क्या आपको सुबह उठने के बाद अपनी उँगलियों और अंगूठों में दर्द का एहसास होता है? जोड़ों में अकड़न, दर्द या उनका सुन्न पड़ना जैसी शिकायतें होने का इन तीन वजहों में से एक कारण हो सकता है:
एक बहुत सामान्य दर्द वाली बीमारी, जो 40 की उम्र से ऊपर के लोगों में ज्यादातर पाई जाती है। अस्थिसंधिशोथ तब होता है, जब हड्डी खत्म हो जाती है और उपास्थि घिसने लगती है। इसके कारण रीढ़, कूल्हे, कोहनी, कंधे, पैर की उंगली, अँगूठे और हाथ आदि प्रभावित हो सकते हैं। वात दोष की वृद्धि जोड़ों में दर्द का मुख्य कारण होती है। संधिशोथ एक स्व-प्रतिरक्षित बीमारी है जो जवानों और किशोरों को भी हो सकती है। इसका अर्थ है कि शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र ही स्वास्थ्य कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें नुकसान पहुंचाने लगता है। संधिशोथ के उपचार में योग और आयुर्वेदिक इलाज बहुत लाभकारी है। अगर इसका समय पर उपचार न कराया जाये, तो घुटना बदलने जैसी नौबत भी आ सकती है।
कटे हुआ अस्थिबंधन/लिगमेन्ट्स या क्षतिग्रस्त हड्डी अथवा उपास्थि जैसी परिस्थिति में भी दर्द और असुविधा आदि मुख्य लक्षण होते हैं। कोई नयी, पुरानी या गुम चोट इसका कारण मानी जा सकती है। यह दर्द सीढ़ी चढ़ते समय, ढलान पर चलते या भागते समय चरम पर पहुँच जाता है।
शरीर में यूरिक अम्ल के बढ़ने से वातरक्त और सन्धिवात जैसी स्थिति आ सकती है। यूरिक अम्ल बढ़ने का कारण गलत आहार या गुर्दे से सम्बन्धित परेशानियाँ होने लगती हैं। सामान्य परिस्थितियों में मूत्रनलिका के रास्ते गुर्दे यूरिक अम्ल को शरीर से बाहर निकाल देते हैं, परन्तु गुर्दे की समस्या के कारण यह एसिड बड़े अंगूठे, पैर के तलवे और एड़ी के जोड़ों के पास इकठ्ठा होने लगता है। आपको क्या करना चाहिए?
आयुर्वेदिक उपचार इन बीमारियों में काफी आरामदायक रहता है। जोड़ों के दर्द की उपेक्षा करने से सर्जरी की नौबत तक आ सकती है। क्षणिक राहत के लिए आप जीवा पेन कॉम बाम और पेन कॉम पोटली का इस्तेमाल कर सकते हैं। मुलेठी, तुलसी और हल्दी की चाय भी सूजन और दर्द के निवारण में काफी असरदार है। आप एक कप हल्दी का दूध भी पी सकते हैं। एक कप दूध में 1/4 भाग हल्दी मिलाकर रात को सोने से 10-15 मिनट पहले पी लें। परेशानी के बढ़ने का इंतज़ार न करें, तुरंत और स्थाई इलाज के लिए हमारे विशेषज्ञों से संपर्क करें।
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