शरीर को एक निश्चित दिनचर्या के अनुरूप ढालकर उसे सही लय में रखें:
मानव शरीर को प्राकृतिक लय में रहना चाहिए और इसी के लिए आयुर्वेद दैनिक कार्यों को सूचीबद्ध करने, यानी कि दिनचर्या बनाने का सुझाव देता है। उच्च रक्त शर्करा (हाई ब्लड शुगर) के मरीज अक्सर थकान और कमजोरी की शिकायत करते हैं। तो क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त में उठने से प्राण ऊर्जा मिलती है, यह करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। दिन में सोने से कफ दोष बढ़ता है, जो कि मधुमेह के मरीजों के लिए घातक होता है। इसीलिए, आयुर्वेद दिन में न सोने की सलाह देता है। एक नियमित भोजनशैली निर्धारित करें और अनियमित समय पर लगने वाली भूख पर संयम रखना सीखें। समय पर मलत्याग करना भी बेहद जरूरी है।
कफ को नियंत्रित रखें:
कफ के स्तर में वृद्धि के कारण आलस बढ़ जाता है और चयापचय धीमा हो जाता है। मीठा, जैसेकि चीनी, गुड़ और बूरा, तैलीय पदार्थों और तली हुए चीज़ों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि यह भी कफ में वृद्धि करते हैं। दूध और घी का सेवन संतुलन में किया जाना चाहिए।
तनाव न लें:
दिमागी तनाव रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ा देता है। जितना आवश्यक है, उतना आराम करें और तनाव से बचें। गहरी साँस लेने का अभ्यास करें और नियमित रूप से व्यायाम करें ताकि स्वयं को तनावरहित रखा जा सके। अश्वगंधा और ब्राह्मी स्नायु तंत्र में उपस्थित अवरोधों को कम करके इसको लचीला बनाता है और तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है। बाद में, यह दोनों मिलकर तनाव को कम करते हैं। दिमागी तनाव रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ा देता है। जितना आवश्यक है, उतना आराम करें और तनाव से बचें। गहरी साँस लेने का अभ्यास करें और नियमित रूप से व्यायाम करें ताकि स्वयं को तनावरहित रखा जा सके। अश्वगंधा और ब्राह्मी स्नायु तंत्र में उपस्थित अवरोधों को कम करके इसको लचीला बनाता है और तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है। बाद में, यह दोनों मिलकर तनाव को कम करते हैं। जीवा स्ट्रैस-फ्री टेबलेट्स प्राकृतिक रूप से शरीर की तनाव को कम करने की क्षमता को बढ़ाती हैं।
मधुमेह का आयुर्वेदिक उपचार रक्त में शर्करा (शुगर) के स्तर को नियमित और स्थायी रखता है। जीवा क्लीनिक के आयुर्वेद विशेषज्ञों से संपर्क करके अपनी प्रकृति के अनुसार अपने लिए उपचार व अनुकूल आहार और जीवन शैली जानें।