क्या आपने सोचा है कि बारिश के मौसम में अंगूठों, उंगलियों के बीच में और त्वचा पर खुजली क्यों हो जाती है? ये सिर्फ इसलिए हैं क्योंकि संक्रमण फैलाने वाले कीटाणु गर्म और चिपचिपे मौसम में ही पनपते हैं और जब आप गीले कपड़े पहनते हैं, चाहे वो मोजे हों या फिर अंदरूनी कपड़े, कीटाणुओं को फलने-फूलने और त्वचा को नुकसान पहुँचाने का मौका मिल जाता है। इससे आपको उलझन और खुजली की दिक्कत होती है।
घर में तैयार हो जाने वाले आयुर्वेदिक उपचार से आप बच सकते हैं। हमारे पास 5 ऐसे उपचार हैं जो खुजली से छुटकारा दिला सकते हैं।
एलोवेरा एक जादुई जड़ी बूटी है और ये लगभग सभी तरह की त्वचा की समस्याओं में असरदार है। एलोवेरा की एक पत्ती लें,उसको पीसकर और निचोड़कर उसका चिपचिपा जेल निकाल लें,इसे खुजली वाली जगहों पर लगाएँ। ऐसा करने से पहले खुजली वाली जगह को अच्छी तरह धो जरूर लें। एलोवेरा जेल को खुजली वाली जगह पर जितनी देर तक रख सकें रखें।उसे ना तो धोएँ ना ही पानी के संपर्क में लाएँ।
नारियल तेल में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण होते हैं, यह कीटाणुओं से होने वाले संक्रमण से त्वचा को बचाते हैं। इसमें दालचीनी तत्व मिला देने से यह ज्यादा असरदार हो जाता है और अति सूक्ष्म कीटाणुओं को भी पनपने से रोक देता है।
लहसुन में भी नारियल तेल जैसे गुण होते हैं जो संक्रमण से बचाते हैं। लहसुन की कुछ कलियाँ पीस लें और खुजली वाली जगहों पर दिन में दो से तीन बार लगाएँ। लहसुन खाने से शरीर की रक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है। हालाँकि घर में तैयार होने वाली यह औषधि असर करती है, लेकिन फिर भी अगर आपको अपनी त्वचा रूखी लगे या खुजली वाली जगह पर खून आने लगे तो यह उपचार ना करें। उस सूरत में विकल्प के तौर पर ऐलोवेरा जेल ही लगाएँ।
नीम और हल्दी का लेप भी इस मामले में बहुत कारगर साबित होता है। नीम की कुछ पत्तियाँ लें, उसमें थोड़ा सा हल्दी पाउडर मिलाएँ और फिर इसको लेप जैसा तैयार कर लें। इस लेप को खुजली वाली जगहों पर लगाएँ, इससे आपको आराम मिलेगा।
पुदीने के रस का इस्तेमाल भी कीटाणुओं को पनपने से रोकता है और त्वचा से चकत्तों और खुजली को मिटा देता है।
मीठा खाने से बचें क्योंकि यह शरीर में कीटाणुओं को पनपने में मदद करता है और संक्रमण को बढ़ाता है।
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