उषापान एक आयुर्वेद द्वारा सुझाया गया दिनचर्या का तरीक़ा है जिसमें सुबह के समय उठकर बिना बिस्तर से उतरे और बिना बाथरूम गए 1 लीटर पानी का सेवन किया जाता है। इसका फ़ायदा तब और बढ़ जाता है जब इस पानी को रात भर ताँबे से बने बर्तन में भरकर रखा जाता है। तो, उषापान करने के क्या फ़ायदे है तथा इसे करने का सही तरीक़ा क्या है?, आइये जानते हैं।
ताँबे के बर्तन में रखे जल के सेवन से ये शरीर के विषाक्त तत्वों को ख़त्म करके इसे मूत्र या फ़िर मल के रास्ते से बाहर कर देता है। अतः इसकी मदद से विभिन्न बीमारियाँ जैसे कि क़ब्ज़, अत्यधिक एसिडिटी और डाइस्पेसिया जैसे रोगों को ख़त्म करने के साथ ही उनसे बचने में भी मदद मिलती है। इसकी मदद से हमारी त्वचा भी साफ़ और सुन्दर बनती है।
उषापान हमारे शरीर के पाचन अग्नि को बढ़ावा देने के साथ ही इसे मज़बूत भी करता है। ताँबे में ऐसा गुण पाया जाता है जो कि शरीर के अन्दर जाने वाले भोजन का नलियो मे गति को व्यवस्थित करता है साथ ही आँत में जमा हुए अमा को भी बाहर करने में मदद करता है। जैसे ही अमा शरीर से बाहर होता है पाचक अग्नि और मज़बूत होकर भोजन को पचाने का काम करने लग जाता है।
ताम्र जल यानी कि ताँबे के बर्तन में रखा जल पर सकारात्मक ऊर्जा होती है जिससे ये शरीर के तीनों तरह के दोष को नियन्त्रित करता है। सिर्फ़ इसी एक नियन्त्रण से शरीर में होने वाले कई तरह के रोगों से राहत मिल जाती है क्योंकि शरीर मे होने वाली किसी भी समस्या के लिए दोषों का असन्तुलन ही काफ़ी हद तक ज़िम्मेदार होता है।
रोज़ाना उषापान करने से ये हमारी किडनी को स्वस्थ बनाता है जिससे ये ठीक तरीक़े से काम करता है। ताँबे वाले जल की मदद से किडनी में पायी जाने वाले दोष को ख़त्म करने में काफ़ी मदद मिलती है।
उषापान की मदद से आपको वज़न कम करने संबंधी तीन लाभ होते हैं। कफ़ दोष के अनियंत्रित होने के कारण ही शरीर मे मोटापा की समस्या होती है। उषापान की मदद से तीनों ही तरह के दोषों को नियन्त्रण में रखने में मदद मिलती है, इसके साथ ही ये पाचक अग्नि को भी उत्तेजित करने का काम करता है। इन सभी क्रियाओं की मदद से हमारा पाचन दुरुस्त होता है तथा शरीर का फैट भी कम होता है जिससे मोटापा से राहत मिलती है।
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