हमारे शरीर से विषाक्त तत्वों को पसीने, मूत्र तथा मल के रूप में बाहर किया जाता है। अतः इन विषाक्त तत्वों को शरीर मे ज़्यादा देर तक रोक कर रखने से ये हमारे स्वास्थ्य पर ख़राब असर डालता है साथ ही शरीर मे अमा यानी कि विष को बढ़ावा देता है। इसलिए रोज़ाना शरीर से इन विषाक्त तत्वों को बाहर करना ज़रूरी होता है। वहीं मल त्याग करने के लिए घुटने के बल बैठने वाला आसन सबसे अच्छा तरीका माना गया है। यहाँ पर हम आपको घुटने के बल बैठकर मल त्याग करने के 5 अनोखें फायदे बताने वाले हैं।
मानव शरीर घुटने के बल बैठकर ही मल त्याग करने के लिए अभिकल्पित किया गया है। जब आप इस अवस्था मे बैठते हैं तो ऐसी स्थिति में गुरुत्व बल सही तरीक़े से काम करता है तथा हमारा सीना भी विषाक्त तत्वों को बाहर धकेलता है, जिससे हमारे शरीर का व्यर्थ पदार्थ तेज़ी से और पूरी मात्रा में शरीर से बाहर हो जाता है।
आधुनिक टॉयलेट पर बैठकर मल त्याग करने से ये हमारे लिए सहज नहीं होता है तथा मल भी ठीक तरीक़े से बाहर नहीं निकलता है। वहीं दूसरी तरफ़ जब आप देशी तरीक़े से मल त्याग करने के लिए बैठते हैं तो हमारे मल द्वार का पूरा रास्ता साफ़ खुल जाता है जिससे मल आसानी से बाहर आ जाता है। इसके परिणामस्वरूप आपको मलद्वार पर जोर लगाने की आवश्यकता नहीं होती है जिससे कि पाइल्स का ख़तरा भी कम होता है।
देशी तरीक़े से मल त्याग करने के लिए बैठने से हमारे घुटने छाती के पास आकर मिलते हैं, जिससे कि मल के अन्दरूनी रास्तों पर अधिक दबाव पड़ता है, लेकिन मलद्वार एक दम स्वतन्त्र स्थिति में होता है। जिससे अन्दर से निकलने वाला मल आसानी से बिना किसी रुकावट के बाहर हो जाता है।
अक्सर क़ब्ज़ से पीड़ित व्यक्तियों के साथ ऐसा होता है कि मल त्याग करने के बाद भी उनके गुदा में कुछ मात्रा में मल रुका रह जाता है, जो कि आगे चलकर संक्रमण जैसे गम्भीर समस्याओ का कारण बन सकता है। लेकिन अगर आप घुटने के बल बैठकर देशी तरीक़े से मल त्याग करते हैं तो आप इस समस्या से निश्चित रूप से बचे रहेंगे।
मल त्याग करने के इस तरीक़े से आप क़ब्ज़ की समस्या से भी दूर रह सकते हैं। क्योंकि इस तरीक़े से शरीर का पूरा अपशिष्ट पदार्थ प्राकृतिक रूप से बाहर निकल जाता है। अतः क़ब्ज़ का ख़तरा कम हो जाता है।
क्या आप क़ब्ज़ या पाचन संबंधी समस्या से परेशान है? अभी कॉल करें- 0129-4040404 पर और बात करें हमारे आयुर्वेदिक जीवा डॉक्टर से।
To Know more , talk to a Jiva doctor. Dial 0129-4040404 or click on ‘Speak to a Doctor
under the CONNECT tab in Jiva Health App.
SHARE:
TAGS:
पित्त का रामबाण इलाज: आयुर्वेदिक उपचार
AYURVEDIC MEDICINE FOR MOUTH ULCER
What is Jiva's Ayunique Treatment Protocol?
Why Choose Jiva For Your Next Ayurvedic Treatment?
Lifestyle & Ayurveda: Understanding the Connection
Is Ayurveda Right For You?
Is Ayurvedic Treatment Effective?
Get The Best Ayurvedic Treatment In India
Why Does Ayurveda Recommend Occasional Fasting?
आँखों के नीचे से काले घेरों को ख़त्म करने के घरेलू और प्राकृतिक उपाय