चूँकि गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय के आकार में वृद्धि हो रही होती है, गुदा क्षेत्र के आस-पास की रक्त-कोशिकाओं पर भी प्रोगैस्टरॉन हॉर्मोन के कारण जोर पड़ता है। इस कारण, पाइल्स का खतरा गर्भावस्था में साधारण दिनों से अधिक होता है।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर का होना सामान्य है। यह प्रायः तीसरे तिमाही के दौरान या प्रसव के बाद होता है।
गुदा क्षेत्र की स्थिति के अनुसार ये समस्या अंदरूनी या बाहरी बवासीर का रूप लेती है। इसमें अक्सर रक्त स्राव होता है, इसलिए खून वाली बवासीर भी कहते हैं।
बवासीर के लक्षण:
बवासीर से ग्रस्त व्यक्ति या महिला में ये लक्षण देखे जा सकते हैं -
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गुदा क्षेत्र के आस-पास खुजली।
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मल-त्याग के दौरान खून आना।
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मल में बलगम/कफ का आना।
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मल त्याग के समय दर्द और परेशानी होना ।
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गुदा क्षेत्र में जलन व पीड़ा होना।
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मल त्याग के समय एक अलग-सी झनझनाहट होना।
आयुर्वेद के अनुसार, बवासीर खराब पाचनतंत्र की वजह से होता है। इसी कारण, सिर्फ खान-पान ठीक व नियमित कर लेने पर हीआपको बवासीर से छुटकारा मिल सकता है।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर से बचने के लिए क्या खाएँ?
बवासीर से बचने के लिए सामान्य आहार के बजाय स्वास्थ्य-वर्द्धक और संतुलित आहार लें। कुछ अच्छे विकल्प हम यहाँ आपको बता रहे हैं -
फाइबर से भरपूर आहार:
फाइबर अपने अच्छे गुणों के लिए जाना जाता है। इसका सेवन पेट के लिए अत्यंत लाभकारी है। आहार में फाइबर लेने से मल मुलायम हो जाता है और आसानी से बाहर आ जाता है, जिसके कारण रक्त-कोशिकाओं में तनाव नहीं आता। फाइबर समृद्ध आहार में अदरक, प्याज, गेहूँ, मूली, केले, सेम, मसूर, आदि आते हैं।
पेय पदार्थ अधिक से अधिक पिएँ:
ज्यादा से ज्यादा पानी पीएँ, क्योंकि इससे आँतें साफ़ और मल मुलायम रहता है। इसके लिए आप रसदार फल और सब्जियों का भी सेवन कर सकते हैं। हर दिन 8 से 10 गिलास पानी पीना आपके लिए फायदेमंद रहेगा।
कैफीन और शराब न लें:
कैफीनयुक्त पेय पदार्थ, जैसे कि चाय और कॉफी को न पिएँ, इससे आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है जिसके फलस्वरूप कब्ज की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं। शराब की वजह से पेशाब ज्यादा आता है, जिसकी वजह से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसीलिए, इन सबके बाद भरपूर मात्रा में पानी पीना जरूरी है।
सूखे अंजीर:
यह एक बहुत पुरानी और नायाब औषधि है। सूखे अंजीर का सेवन करने से आपको कब्ज से राहत मिल सकती है।