हम कई ऐसे जोड़ों को जानते हैं जो प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए कई तरीके अपना चुके होते हैं, लेकिन उनकी प्रजनन से जुड़ी परेशानियों का कोई हल नहीं निकल पाता।
आधुनिक जीवन का दबाव,मानसिक और भावनात्मक तनाव और संबंधों में प्रेम की कमी का होना, बांझपन की समस्या के बढ़ने के कारण हैं। बहुत से शादीशुदा जोड़े संतान सुख नहीं हासिल कर पा रहे हैं। इसके अलावा चार में से एक गर्भावस्था का अंत गर्भपात हो जाता है, आयुर्वेद इन मामलों में अवांछनीय संभावनाओं को खत्म कर सकता है।
आयुर्वेद के सिद्धांतों का फ़ायदा सिर्फ परेशानी मुक्त गर्भावस्था में ही नहीं उससे कहीं ज्य़ादा होता है। पारंपरिक दवाइयों का ये विज्ञान न सिर्फ खानपान, व्यवहार और हर्बल सप्लिमेंट से प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है बल्कि यह इस पर भी खास ध्यान देता है कि आपका नवजात बच्चा स्वस्थ हो।
आयुर्वेद के मुताबिक गर्भधारण की तैयारी को हम खेती के लिए ज़मीन तैयार करने जैसा मान सकते हैं। जैसे अच्छी फसल की पैदावार ज़मीन की गुणवत्ता,बीज, बुवाई का समय और सिंचाई की मात्रा पर निर्भर करती है ठीक वैसे ही एक सेहतमंद नवजात बच्चे के लिए मां का स्वस्थ रहना ज़रूरी है।
एक स्वस्थ और सफलतापूर्ण गर्भावस्था के लिए जोड़ों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
शुक्राणु/अण्डाणु(बीज)
गर्भाशय (जमीन)
पोषण (पानी)
गर्भधारण का समय (बुवाई का समय)
पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन संबंधी सेहत प्रजननशील ऊतकों या शुक्र धातु पर निर्भर करती है। महिलाओं में शुक्र मासिक रूप से अण्डाणु बनाता है और पुरुषों में यौन उत्तेजना से वीर्य तैयार करता है।
पाचन तंत्र की गतिविधियों की एक लंबी कतार में शुक्र का निर्माण होता है।यह भोजन के पचने के साथ शुरू होता है, फिर यह भोजन से पोषक तरल, खून, मांस, वसा, हड्डी, अस्थि मज्जा और अंत में शुक्र ऊतक बनता है। आयुर्वेद के मुताबिक स्वस्थ शुक्र ऊतक शरीर के बाकी उत्तकों की सेहत पर निर्भर करता है।
ताज़ा, ऑर्गेनिक फल और सब्जियाँ
अनाज
डेयरी प्रोटीन, दूध, लस्सी, छाछ और पनीर
मूंग दाल
भीगे हुए बादाम या भीगे हुए अखरोट (आप इसे ग्राइंडर में पीसकर अपनी सब्जियों में भी डाल सकते हैं)
मीठे,रसदार फल जैसे आम,आड़ू, आलूबुखारा और नाशपाती
सूखे फल जैसे छुहारा, अंजीर और किशमिश
शतावरी
ब्रोकोली
खजूर शेक
मैंगो शेक
खीर
मसाले जैसे अजवाइन पाउडर, जीरा (यह महिलाओं में गर्भाशय को और पुरुषों में जननमूत्रीय तंत्र को साफ रखता है), हल्दी (यह हॉर्मोन्स और ऊतकों के बीच संबंध को मजबूत बनाता है) और काला जीरा।
अगर आपका पाचन मजबूत है तो उड़द की दाल को बराबर मात्रा में हल्दी, जीरा, धनिया और सौंफ के साथ पकाएँ।
घी में पकाया गया केला, दालचीनी और इलायची मजबूत पाचन तंत्र वालों के लिए एक स्वादिष्ट और संपूर्ण मिष्ठान है।
भोजन जिसमें प्रिजर्वेटिव्स और अन्य रसायन हों जैसे बनावटी मिठास।
आहार जिसमें ज्य़ादा मात्रा में वसा हो उससे बचें।
डायट सोडा से बचें, इसमें एक बनावटी मिठास एस्पार्टेम होता है।
कैफीन की मात्रा को कम रखें, खासतौर से जब गर्भधारण में परेशानी आती हो।
शोधित कार्बोहाइड्रेट्स जैसे सफेद ब्रेड, पास्ता और चावल को सीमित मात्रा में लें
अधिक मात्रा में मांसाहार न करें
शराब का सेवन न करें
एक सही जीवनशैली ऐसे किसी भी शादीशुदा जोड़े के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है जो संतान पाने की इच्छा रखते हैं। ऐसे जोड़ों को तनाव और गुस्से से दूर रहना चाहिए और दिमाग को शांत रखना चाहिए। ऐसे शादीशुदा जोड़ों को मेडिटेशन, प्राणायाम और नियमित रूप से योग करने की सलाह दी जाती है, जिससे शरीर और मन स्वस्थ रहे।
धूम्रपान करना न सिर्फ सेहत के लिए एक गंभीर समस्या है बल्कि यह प्रजनन क्षमताओं पर भी असर डालता है। धूम्रपान गर्भधारण करने की क्षमता को कम करता है क्योंकि इसके असर से आपका शरीर विटामिन सी और जिंक का लाभ नहीं उठा पाता है।
नशा किसी महिला के प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। गैरकानूनी नशे की दवाएं शरीर की प्राकृतिक कार्यप्रणालियों और पोषण पर बुरा प्रभाव डालती है।
ऐसी महिलाएं जो गर्भधारण करना चाहती हैं वो रसायनों और पेस्टीसाइड्स से जितना दूर रहें उतना अच्छा है। रसायन और पेस्टीसाइड्स गर्भधारण की संभावनाओं को कमजोर बनाते हैं
तनाव किसी भी महिला की प्रजनन शक्ति पर गंभीर असर डालता है। गर्भधारण करने की कोशिश के दौरान सकारात्मक सोच का होना बहुत ज़रूरी होता है।
ज्य़ादा वज़न और कम वज़न दोनों ही स्थिति महिला के गर्भधारण के लिए ठीक नहीं है। अगर आपका वज़न ज़रूरत से कम है तो आपका प्रजनन तंत्र बंद रहता है क्योंकि आपका शरीर गर्भावस्था के लिए तैयार ही नहीं होता। वहीं दूसरी तरफ अगर आपका वज़न ज़रूरत से ज्य़ादा है या आप मोटे हैं तो किसी महिला के लिए गर्भधारण करने की संभावना कम हो जाती है।
अगर आप गर्भवती होना चाहती हैं तो शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना ज़रूरी है। हालांकि ये भी बहुत जरूरी है कि ज्यादा व्यायाम न करें। क्योंकि ज्यादा व्यायाम भी सेहत के लिए ठीक नहीं है, ये गर्भधारण करने में रुकावट पैदा करता है।
आप शुक्र पोषित जड़ी बूटियाँ जैसे शतावरी, कौंच, भिलवा और अश्वगंधा का इस्तेमाल प्रजनन तरल की मात्रा और गुणवत्ता सुधारने के लिए कर सकते हैं।
आपको सेहत और खुशी की शुभकामनाएँ
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