आयुर्वेद लोगों को तीन श्रेणियों और दोषों में बाँटता है। हर व्यक्ति में किसी-न-किसी दोष का असंतुलन होता है, जिसके कारण वह बीमार हो जाता है।
यह दोष तीन तरीके के होते हैं - वात (वायु), पित्त (अग्नि), कफ (पृथ्वी)
वात दोष वाले लोग वायु के सामान होते हैं। यह ऊर्जा से परिपूर्ण होते हैं और हमेशा सक्रिय रहते हैं। शारीरिक रूप से दुबले-पतले और स्वभाव से उत्सुक यह लोग लगातार किसी उत्तेज़न और नए अनुभवों की तलाश में रहते हैं। इनका जिंदगी और काम के प्रति एक रचनात्मक नज़रिया होता है। वात वाले लोग ठण्ड और त्वचा विकारों से परेशान होते हैं। इन लोगों को नींद कम होने की वजह से ज्यादा आराम की जरूरत होती है।
वात दोष में असंतुलन, वजन घटना, कमजोरी, बेचैनी और पाचन समस्याएँ हो सकती हैं।
इसको नियंत्रण में रखने के लिए भारी और अच्छा भोजन खाएँ। ऐसे लोगों को नमकीन, खट्टा और मिठाई फायदा करती है। इन्हें कड़वा व तीखा भोजन नहीं खाना चाहिए। चावल इनके लिए सर्वोत्तम आहार है। फलों में आम, पपीता, खजूर, अनन्नास और सूखे मेवे आपके लिए ठीक रहेंगे।
मसाले, जैसे कि काली मिर्च, जीरा, दालचीनी, इलायची, नमक, सौंफ, लौंग, तुलसी, सरसों, और अजवायन वात को संतुलित करने में समर्थ हैं।
अग्नि की तरह ही इस प्रकार के लोग ऊर्जस्वी और चुनौतियों को पसंद करने वाले हैं। इसी कारण यह महान नेता बन सकते हैं और अच्छी प्रबंधन क्षमता रखते हैं। इन लोगों का पाचन तंत्र अच्छा होता है और साथ ही, इन्हें बहुत भूख भी लगती है। ये लोग अपनी बात को ठीक से समझाने में सक्षम होते हैं और हर कार्य को बखूबी कर सकते हैं।
पित्त दोष के असंतुलन से जलन, गर्म वातावरण में न रह पाना,चकत्ते और सीने में जलन जैसी दिक्कतें आती हैं। इस प्रवृत्ति के लोगों को नमकीन, तीखा, और खट्टा कम खाना चाहिए। मीठे फल, जैसे आम, पका हुआ अनन्नास, संतरे आदि इनके लिए लाभदायक है। खट्टे फलों से परहेज करेंl
सब्जियों में हरी व पत्तेदार सब्जियाँ, गोभी, अजवाइन, ओकरा, खीरा, फलियाँ, आलू, सलाद आदि आपके लिए लाभदायक है। लहसुन, प्याज़, गाजर, चुकन्दर, मूली, गर्म मसाला और पालक आदि से परहेज करें।
कफ दोष वाले व्यक्तियों की प्रवृत्ति पृथ्वी की तरह शांत, स्थिर और जमीन से जुड़े हुए होते हैं। यह प्यार करने वाले, निष्ठावान और सुर्खियों में रहना पसंद न करने वाले होते हैं। ये मजबूत, गठीले और धीमी गति वाले होते हैं। इनको निश्चित दिनचर्या पसंद होती है और धीमे जीवन में खुशी मिलती है। इनका वजन आसानी से बढ़ जाता है।
जब इनका कफ असंतुलित हो जाता है, तो वजन बढ़ना, तनाव, ट्यूमर और द्रव प्रतिधारण (फ्ल्यूड रिटेंशन) जैसी समस्या आने लगती हैं।
ऐसे में, हल्का आहार भारीपन को कम करने में काम आता है। कड़वा और तीखा भोजन अच्छा रहता है, परन्तु साथ ही आपको मीठा और नमकीन खाना छोड़ने की सलाह दी जाती है।
ये लोग सारी सब्जियाँ खा सकते हैं, पर मीठी और रसे वाले सब्जियाँ, जैसे शकरकंद और टमाटर खाना इनके लिए ठीक नहीं है। विषहरण करने वाले आहार और जूस कफ से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अच्छे हैं, क्योंकि यह पाचन तंत्र को ठीक रखते हैं। फल, जैसे कि, नाशपाती, सेब, खुबानी आदि शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं। आपको केले, संतरे और तरबूज जैसे फलों से परहेज करना चाहिए।
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