चिकित्सा विज्ञान की शब्दावली में मुँह से आने वाली दुर्गंध को हॉलीटोसिस कहा जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं और ये सभी पेट से जुड़े हैं, जैसे - बहुत समय से खराब पाचनतंत्र, अल्सर और दाँतों की बीमारी आदि। हालाँकि ये कोई बीमारी नहीं है, परन्तु ये सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से आपकी छवि को प्रभावित कर सकता है।
मुँह की स्वच्छता में कमी
दाँतों के बीच में खाने का फँस जाना
तम्बाकू चबाना, शराब पीना और धूम्रपान करना
उपवास और डाइटिंग करने से मुँह सूखने लगता है, जिसके कारण प्लाक जम जाता है।
कमजोर पाचन और कब्ज
हॉलीटोसिस मुख्यतः मुँह और पेट में खराबी की वजह से होता है, इसीलिए मौखिक स्वच्छता और संतुलित पाचन का मुख्य ध्यान रखा जाना चाहिए। जीभ को हमेशा साफ रखना चाहिए, क्योंकि जीभ पर जमा होने वाले प्लाक की वजह से जीवाणुओं की उत्पत्ति बढ़ सकती है।
शहद के साथ अदरक का ताज़ा जूस या अदरक पाउडर मिलाकर कुल्ला करने से साँसें ताजा रहती हैं।
इलायची, जीरा और सौंफ़ के बीज को मिलाकर इनके मिश्रण को उबलते पानी में मिला दें। अब इसमें शहद और हल्दी मिलायें और इस पानी से दिन में 2-3 बार कुल्ला करें। यह आपकी साँसों को ताज़ा रखता है और एक अच्छी अनुभूति देता है।
कब्ज या खराब पाचन मुँह की दुर्गन्ध का कारण बन सकता है। इसे ठीक करने के लिए त्रिफला चूर्ण, शंका वटी, हींगवास्तक चूर्ण व अन्य आयुर्वेदिक दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इलायची के बीज प्राकृतिक रूप से साँसों को ताज़ा करते हैं और इसका सेवन कभी भी किया जा सकता है।
दिन में दो बार ब्रश करें और मुँह को अच्छे से साफ़ करें, ताकि दाँतों में फँसा हुआ खाना बाहर निकल आये। यह मुँह से प्याज और लहसुन जैसे कच्चे आहार की दुर्गन्ध भी निकाल देता है।
पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन बहुत ही जरूरी है, ये न केवल मुँह की दुर्गन्ध को निकालता है बल्कि शरीर की और भी परेशानियों को दूर करता है। यह मुँह का सूखापन दूरकर पेट के पाचन और कब्ज ठीक रखता है, जो कि हॉलीटोसिस का कारण बन सकते हैं।
इन आसान से घरेलू नुस्खों को अपनाने से आप मुँह की दुर्गन्ध को हमेशा के लिए भगा सकते हैं।
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