अस्थमा फेफड़ों की एक साधारण इंफ्लेमेटरी बीमारी है, जिससे साँस फूलना, सीने में कसाव, दम घुटना और बहुत ज्यादा खाँसी जैसी समस्याएँ आ सकती है। जिन लोगों को अस्थमा है या जिनमें इससे सम्बन्धी लक्षण पाए गए हैं, उनको इन साधारण आयुर्वेदिक औषधियों को अपने आहार का एक नियमित हिस्सा बना लेना चाहिए।
अदरक और लहसुन, दोनों ही अस्थमा के इलाज में बहुत उपयोगी होते हैं। दमा की शुरुआती अवस्था में आपको लहसुन की 5 कलियाँ 30 मिलीग्राम दूध में मिलकर पीने से बहुत लाभ होगा। इसके अलावा, गर्म अदरक की चाय में 2 लहसुन की कलियाँ डालकर पीने से भी अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है।
शरीर की विभिन्न प्रकार की एलर्जियों से लड़ने में मेंथी बहुत अच्छी भूमिका निभाती है। मेंथी के कुछ दाने एक गिलास पाने में तब तक उबालें, जब तक यह एक तिहाई ना रह जाए। अब इसमें शहद और अदरक का थोड़ा रस मिलाकर पिएँ। आप ऐसा हर रोज शाम को कर सकते हैं।
आधा कप अजवाइन लें और इसमें इतनी ही मात्रा में पानी मिलाएँ। इस जूस को प्रतिदिन सुबह और शाम को खाने के बाद बनाकर पिएँ। अस्थमा से आराम पाने के लिए अजवाइन के पानी में भाप लेना भी फायदेमंद माना जाता है। इससे श्वांस-सम्बन्धी समस्याओं में बहुत राहत मिलती है। इसके अलावा, अस्थमा से जूझ रहे व्यक्ति को नियमित रूप से प्राणायाम और योगासन भी करने चाहिए।
शहद को अस्थमा के इलाज में एक बहुत लाभदायक औषधि माना जाता है। यह जमे हुए बलगम (म्यूकस) को साफ़ करता है, जो कि साँस से जुड़ी हुई बीमारियों का मुख्य कारण है। दिन में 3 बार शहद मिला हुआ एक-एक गिलास हल्का गर्म पानी अस्थमा में फायदा करता है। आप इसके लिए जीवा हनी भी अपना सकते हैं, जो कि शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़कर आपको सर्दी और बलगम से छुटकारा दिलाता है।
सूखने के बाद अंजीर बहुत लाभदायक बन जाती है। यह शरीर में बलगम बनने से रोकती है। पूरी रात अंजीर को भीगा हुआ छोड़कर सुबह खाली पेट खाने से लाभ होता है। ऐसा करने से श्वासनली में जमा हुआ बलगम पिघलकर हट जाता है और आपको संक्रमण से राहत मिल जाती है।
सहिजन की पत्तियों को 5 मिनट के लिए उबालकर और फिर इनको ठंडा करके इनपर थोड़ा नमक और काली मिर्च डाल लें। यह खाने से आपको दमा और अन्य श्वांस-सम्बन्धी बीमारियों में आराम मिलेगा।
आधा गिलास पानी लेकर इसमें 4-5 लौंग डालें और इसे उबाल लें। दिन में दो बार इस पेय को बनाकर एक चम्मच शहद के साथ लिया करें। लौंग एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-वायरल होती है। यह रोगाणुओं से लड़कर जमा हुआ बलगम साफ़ करती है और सीने के भारीपन से राहत दिलाती है।
दूध में हल्दी मिलाकर पीना अस्थमा में बहुत फायदा करता है। 1/2 छोटी चम्मच हल्दी लेकर उसे गाय के हल्के गर्म दूध में मिलाएँ और रोज सुबह इसे पिएँ।
जीवा शुगर-फ्री च्यवनप्राश 40 से अधिक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। यह सामान्य साँस की बीमारियों से लड़ता है व आपके शरीर की रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता बढ़ता है।
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