जीवन और मृत्यु के चक्र को समझने का सबसे अच्छा तरीका है वैदिक ज्ञान। इसलिए योग और आयुर्वेद को वैदिक ज्ञान का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है जो जीवन की विविधताओं और गहराई को परिभाषित करता है।
पुरातन विद्वानों के लिए यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का माध्यम था। वह हमेशा जीवन की घटनाओं और खुद को परमात्मा की रचनाओं से जोड़ते थे। वेद गुरूओं ने महसूस किया कि योग और आयुर्वेद अकेली वह तकनीक है जिसके ज़रिए कोई भी इंसान दैवीय शक्ति से जुड़ सकता है और इस वजह से उन्होंने इसे परमात्मा से बातचीत के माध्यम की तरह माना।
योग सूत्र कहता है ‘योग चित्त वृत्ति निरोध”, इसका मतलब है किसी इंसान का शांत और एकाग्र चित्त मन। योग में यह माना जाता है कि प्रकृति की आध्यात्मिकता ही हमारी इच्छाओं की पूर्ति करती है। योग अंदरूनी अध्यात्म से जुड़ने का ज़रिया है, जिसे संस्कृत में साधना कहते हैं। इस कारण से इसको चिकित्सीय औजार भी माना जाता है जिससे ऐसे-ऐसे जख़्म भी भरे जा सकते हैं जिसको भरना आज के चिकित्सा विज्ञान के लिए भी मुमकिन नहीं है।
आयुर्वेद कहता है ‘ स्वस्मिन् तिष्ठति इति स्वस्थ’ इसका मतलब है, वह व्यक्ति जो हमेशा अंदर से संगठित रहता है वह एक स्वस्थ व्यक्ति है। आयुर्वेद शायद वैदिक ज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह उपचार के हर पहलू को देखता है और शरीर और मन की बेहतरी के लिए काम करता है। आयुर्वेद की सबसे अच्छी बात ये है कि यह परेशानी को जड़ से खत्म करता है। आयुर्वेद का कोई बुरा प्रभाव भी नहीं पड़ता है।
योग और आयुर्वेद हमारे वैदिक ज्ञान के दो ऐसे विषय है जो आपस में जुड़े हुए हैं, यह मानव जीवन और ईश्वर की रचनाओं के बीच संतुलन को दिखाते हैं। यह अलग बात है कि दोनों के गुण और काम करने का तरीका अलग-अलग है, हम इन दोनों को अलग-अलग तरह से नहीं देख सकते क्योंकि दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं।
योग और आयुर्वेद, दोनों ही अपने-अपने तरीके से किसी परेशानी का सबसे बेहतरीन हल खोजते हैं, लेकिन अंत दोनों का लक्ष्य और परिणाम एक ही होता है। इसी तरह से हम कह सकते हैं कि योग और आयुर्वेदक दरअसल एक ही इलाके की दो बहनें हैं। हमारे लिए ये जानना ज़रूरी है कि यह हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं और गंभीर बीमारियों से लड़ने में ये कैसे हमारी मदद कर सकते हैं। योग कहीं ना कहीं हमारे शारीरिक श्रम से संबंध रखता है और इसकी आध्यात्मिकता सीधे प्रकृति से जुड़ती है, खासकर बाहरी वातावरण से।
आजकल हम मुश्किलों से भरा जीवन जीते हैं,हमारे पास अपने लिए ही समय नहीं होता है इसलिए हमें योग और आयुर्वेद के महत्व को समझना चाहिए। हम अपनी सेहत को इन तरीकों से कैसे अनुकूल बनाएंगे? इन तकनीकों की मदद से कोई व्यक्ति शांति और उपलब्धि की भावना कैसे हासिल कर सकता है? योग और आयुर्वेद की मदद से किस तरह के फायदे उठाए जा सकते हैं और कैसे अपने व्यस्त जीवन में हम इसके लिए वक्त निकालें?
हम योग और आयुर्वेद से जुड़े तथ्यों और जीवन में इसको अपनाने से होने वाले फायदों से इनकार नहीं कर सकते हैं। वास्तव में ये हमारे समाज की देखभाल, तंदुरुस्ती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम सब यह भी जानते हैं कि इसको आदर और सार्वभौमिक रूप से मान्यता भी हासिल है तो, जीवा कहता है कि अपने जीवन को ‘आयुर्योगिक’ तरीके से संतुलित करें,जो आयुर्वेद और योग को मिलाकर बना है।
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