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बालासन की योग विधि और लाभ

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योग अनुशासित जीवन जीने की कला है, जिस में आसन, प्राणायाम, ध्यान इत्यादि ऋषियों-मुनियों द्वारा बताई गई वो कलायें हैं जिन को ठीक ढंग से दिनचर्या का अंग बना शरीर, मन व मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखा जा सकता है व मनुष्य तनाव रहित जिन्दगी जी सकता है।

योगाभ्यास के नियमित अभ्यास से तनाव के अतिरिक्त कई अन्य शारीरिक व मानसिक रोगों को भी दूर किया जा सकता है। प्रतिदिन योगाभ्यास करने से एक तरफ जहाँ तनाव कम होता है वहीं दूसरी ओर शरीर प्रसन्न व प्रफुल्लित रहता है।

योगाभ्यास के अतिरिक्त सकारात्मक सोच के लोगों का संग व अपनी दिनचर्या में से जरूरतमंदों की निस्वार्थ सेवा के लिये थोड़ा समय निकालने से भी तनाव को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

तनाव कम करने के लिये पाद्हस्तासन, जानुसिरासन, पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, सेतुबन्धासन व मत्स्यासन के अतिरिक्त बालासन, अधोमुखश्वानासन, शवासन, मरजरी आसन व योग-निद्रा का अभ्यास किया जा सकता है।

आज हम जिस आसन की चर्चा करने जा रहे हैं उस का नाम है ‘‘बालासन’’। जैसा नाम वैसा काम। बालासन का नियमित अभ्यास इन्सान को बच्चे की तरह निश्चिन्त व तनाव रहित बना देता है।

विधिः

  • आसन बिछाकर बैठ जायें।

  • दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ व पैरों को पीछे की तरफ रखते हुये एड़ियों पर बैठ जायें।

  • दोनों बाजू साईडस पर व हथेलियाँ आकाश की तरफ रखें।

  • कमर व गर्दन सीधी रखकर श्वास भरें।

  • श्वास छोड़ते हुए कमर से आगे की तरफ झुकते हुए, छाती व पेट को जंघाओं की ओर ले जायें व मस्तक ज़मीन पर टिका दें।

  • बाजुओं व कंधों को ढीला छोड़ ध्यान को श्वास पर टिका दें।

  • श्वास सामान्य रखते हुये इस स्थिति में 30 सैकण्ड से 3 मिनट तक यथाशक्ति रूकें व श्वास भरते हुये वापिस एड़ियों पर बैठ जायें

लाभः

  • शरीर से तनाव को दूर करता है।

  • पेट की चर्बी कम करता है।

  • हिप्स, जंघा, टखनों की माँसपेशियाँ सुदृड़ होती है।

  • मेरूदण्ड को लचीला बनाता है।

  • श्वास को सामान्य कर तन व मन को शान्त करता है।

  • इस आसन का लगातार अभ्यास अच्छी नींद लाने में सहायक है।

विशेषः

  • अगर मस्तक ज़मीन पर नहीं लगता तो मस्तक के नीचे तकिया या तौलिया रख लें।
  • उच्चरक्तचाप की समस्या तथा घुटनों की परेशानी से ग्रस्त व्यक्ति इसका अभ्यास न करें।

नोटः

  • योगाभ्यास शुरू करने से पूर्व डॉक्टर से परामर्श कर योग्य योग शिक्षक की देख-रेख में ही अभ्यास करें। याद रखें, किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतरता और धैर्यता अति आवश्यक है।

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