शरद ऋतु का मौसम फसल और फल की प्रचुरता के लिए जाना जाता है। इसके साथ कई अन्य चीजें उपहारस्वरुप मिलती हैं, शरद ऋतु में खांसी और जुकाम भी साथ ही आते हैं। चाहे हम इसे पसंद करें या नहीं, इस समय अक्सर छींक, आँखों से पानी गिरना और हल्के गले में दर्द जैसी समस्याएं जीवन का हिस्सा बन जाती हैं।
मानसून के समाप्त होते ही शुष्क और ठंड मौसम से लोग बीमार हो जाते हैं। मौसमी परिवर्तन, तनाव, ठंडे पेय और ठंडक प्राप्त करने के लिए शरीर का अधिक खुले में रखने से खांसी और वायरल संक्रमण आसानी से फैलते हैं। ठंडे परिवेश के अनुकूल रहने वाले वायरस नमी पाकर आसानी से कामयाब हो जाते हैं जो नासिका मार्ग को सुखा देते हैं जिससे समस्या बढ़ जाने की संभावना रहती है।
हमारी घरेलू उपचार विशेषज्ञ, डॉक्टर दादी बताती हैं कि खांसी और जुकाम कफ के बढ़ने से होता है। ‘‘यदि भोजन ठीक से नहीं पचता है, तो यह विषाक्त पदार्थों (अमा) में बदल जाता है। यह कफ की वृद्धि करता है, खासकर जब यह कफ वाले स्थानों छाती और शरीर के ऊपरी हिस्सों में (सिर, गर्दन, फेफड़े, और पेट) में जमा होता है।’’
सामान्य सर्दी का समस्या, जो 100 से अधिक विभिन्न वायरस के कारण होती है, संक्रमित लोगों के छींकने और खांसने से फैल सकता है। किसी संक्रमित जगह को छूते हैं या हाथ मिलाते हैं और फिर अपने चेहरे आदि को छूते हैं तो भी यह फैल सकती है। छूने के बाद संक्रमण फैलने में एक से तीन दिन का समय लगता है और इससे निजात पाने में कुछ दिनों से लेकर कई सप्ताह तक का समय भी लग सकता है।
ठंड के मौस्सम में मिठाई (रस, पेस्ट्री और कैंडी), ठंडे भोजन और ठंडे पेय, पनीर और दही, मांसाहांरी उत्पादों, केले, रेफ्रीजरेटर या जमाए हुए खाद्य पदार्थों से बचें। ज्यादातर हल्के खाद्य पदार्थों जैसे सूप और सब्जियां, ब्रेड, और ऐसे फल जो रसदार न हों (विशेष रूप से सेब और पपीता) ही लें। शहद, हर्बल चाय या घरेलू उपचार में बहुत फायदेमंद है। उचित मात्रा में मसाले का उपयोग करना ठीक होता है, लेकिन इन्हें ज्यादा खाने से बचना चाहिए।
शरद ऋतु की शुरुआत में पाचक अग्नि (जठराग्नि) बहुत दुर्बल होती है, इसलिए शुरुआत में भारी खाद्य पदार्थों से परहेज किया जाना चाहिए। खट्टे और अम्लीय खाद्य पदार्थों से बचने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि ये पित्त की वृद्धि करते हैं।
सर्दी लगना सबसे आम बीमारियों में से एक है, लेकिन सामान्य घरेलू उपचार के द्वारा इससे छुटकारा मिल जाता है जिससे चिकित्सक के पास जाने से बचा जा सकता है और काम और स्कूल की लम्बी छुट्टी नहीं करनी पड़ती है।
अदरक पाउडर, हल्दी और काली मिर्च (प्रत्येक को लगभग 1 चम्मच) बराबर मात्रा में मिलाएं। आधे चम्मच मिश्रण को गर्म पानी या शहद के साथ लें।
मुलेठी को पीसकर 2 कप पानी में उबाल लें, तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न हो जाए। इसे गरमागरम दिन में 2 या 3 बार सेवन करें।
आधा चम्मच हल्दी पाउडर तथा आधा चम्मच अदरक पाउडर को मिलाकर 5 मिनट तक मध्यम आंच पर 1 कप पानी में उबाल लें। इसमें शहद भी मिलाया जा सकता है। इसे गरम-गरम ही पियें।
एक-एक चम्मच इलायची, अदरक पाउडर, काली मिर्च और दालचीनी लें। इसमे चीनी मिलाएं और अच्छी तरह से पीसकर मिश्रण बना लें। इसे आधा या एक चम्मच दिन में दो बार भोजन के बाद रोज गर्म पानी के साथ लें।
सामान मात्रा में मेथी दाने का पाउड, हल्दी और अदरक पाउडर को एक साथ मिला लें। एक-एक चम्मच सुबह और शाम लें।
गले की खराश में, एक लौंग या दो इलायची वाली या कुछ किशमिश लेकर चबाएं।
4 लहसुन की कली को पीसकर और इसे एक कप पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे तब तक उबालें जब तक इसकी मात्रा आधी न हो जाए। इसमें एक चुटकी नमक मिला लें और गर्म पानी के साथ पियें। इसे एक दिन में 2-3 बार तक लिया जा सकता है।
इन नुस्खों को आजमाने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले लें। कृपया याद रखें, घरेलू उपचार को दवाओं के स्थान पर प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। अगर इससे आपकी हालत में सुधार नहीं आता है, तो किसी चिकित्सक की मदद अवश्य लें।
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