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क्या आपकी 9-5 की नौकरी आपको Fatty Liver दे रही है? आयुर्वेद से इसका रामबाण उपचार

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सुबह से शाम तक एक ही जगह बैठकर लैपटॉप पर काम करना, लंच और स्नैक्स में प्रोसेस्ड फूड खाना, और फिर घर आकर आराम करने के नाम पर मोबाइल या टीवी देखना—अगर आपकी दिनचर्या कुछ ऐसी ही है, तो सावधान हो जाइए।

ऐसी जीवनशैली में सबसे ज़्यादा असर आपके लिवर पर पड़ता है। जब आप ज़्यादा देर तक बैठे रहते हैं और शारीरिक गतिविधि नहीं करते, तो शरीर में फैट मेटाबॉलाइज़ नहीं हो पाता और धीरे-धीरे लिवर में जमा होने लगता है। यही स्थिति Fatty Liver कहलाती है।

Fatty Liver क्या होता है?

Fatty Liver यानी जब आपके लिवर की कोशिकाओं में ज़रूरत से ज़्यादा चर्बी (fat) जमा हो जाती है। सामान्य रूप से लिवर में थोड़ी मात्रा में फैट रहना स्वाभाविक है, लेकिन जब यह 5-10% से ज़्यादा हो जाए, तो यह बीमारी का रूप ले लेता है।

Fatty Liver के दो प्रकार होते हैं:

  • Non-Alcoholic Fatty Liver Disease (NAFLD): शराब का सेवन न करने पर भी फैट जमा होना
  • Alcoholic Fatty Liver Disease (AFLD): अधिक शराब पीने की वजह से लिवर में फैट जमा होना

आजकल के ऑफिस वर्क कल्चर में NAFLD के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

Fatty Liver के लक्षण कैसे पहचानें?

Fatty Liver की शुरुआत में कोई साफ़ लक्षण नहीं दिखते, लेकिन धीरे-धीरे आपको ये संकेत मिल सकते हैं:

  • पेट के दाईं ओर हल्का भारीपन या दबाव महसूस होना
  • लगातार थकान और आलस लगना
  • खाने के बाद पेट फूलना या अपच
  • मुँह का स्वाद कड़वा होना
  • शरीर में सूजन या वज़न बढ़ना
  • त्वचा या आँखों में पीलापन (गंभीर अवस्था में)

अगर आपको ये लक्षण नज़र आ रहे हैं, तो लिवर फंक्शन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड करवाना ज़रूरी है।

आपकी 9-5 की नौकरी और Fatty Liver का सीधा कनेक्शन

ऑफिस में लगातार 8-9 घंटे बैठकर काम करना, स्क्रीन पर घूरते रहना, फिज़िकल मूवमेंट न होना और जंक फूड से भरे लंच ब्रेक—ये सब मिलकर आपके लिवर को धीरे-धीरे कमज़ोर बनाते हैं।

  • शारीरिक गतिविधि की कमी: कम चलना-फिरना फैट को लिवर में जमा करता है।
  • अनहेल्दी डाइट: ऑफिस में अकसर ऑयली, प्रोसेस्ड और मीठा खाना ज़्यादा खाया जाता है।
  • पानी कम पीना: बैठकर काम करते समय पानी पीने की आदत छूट जाती है, जिससे डिटॉक्स प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
  • तनाव और नींद की कमी: डेडलाइन, टारगेट्स और ओवरवर्क से Cortisol बढ़ता है, जो लिवर की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।

आयुर्वेद में Fatty Liver को कैसे समझा जाता है?

आयुर्वेद के अनुसार, Fatty Liver को 'यकृत मेदोरोग' कहा जाता है। यह तब होता है जब पाचन अग्नि (Digestive Fire) कमज़ोर हो जाती है और शरीर में आम (टॉक्सिन्स) जमा होने लगते हैं।

यह रोग मुख्यतः कफ दोष की अधिकता और मंदाग्नि के कारण होता है। जब कफ बढ़ता है, तो यह शरीर में वसा (fat) को बढ़ाता है, जो यकृत में जाकर जमा हो जाता है।

आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य अग्नि को तेज़ करना, आम को निकालना और कफ को संतुलित करना होता है। साथ ही, लिवर की प्राकृतिक कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए हर्बल औषधियाँ और पंचकर्म विधियों का उपयोग किया जाता है।

आयुर्वेदिक नुस्ख़े जो Fatty Liver में देते हैं राहत

Fatty Liver की समस्या को जड़ से ठीक करने के लिए आयुर्वेद में कई असरदार उपाय बताए गए हैं। इन नुस्ख़ों का मक़सद आपके लीवर को डिटॉक्स करना, मेटाबॉलिज्म को सुधारना और पाचन अग्नि को मज़बूत बनाना है। अगर आप शुरुआती लक्षणों को पहचानकर सही समय पर इन उपायों को अपनाते हैं, तो लीवर की सेहत को बेहतर बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं कुछ आसान और प्रभावी घरेलू आयुर्वेदिक नुस्ख़े जो आपकी इस परेशानी में राहत पहुँचा सकते हैं:
1. भृंगराज और पुनर्नवा का काढ़ा
ये दोनों जड़ी-बूटियाँ लिवर को डिटॉक्स करने और सूजन कम करने में मदद करती हैं। कैसे लें?
भृंगराज और पुनर्नवा के पत्तों को पानी में उबालकर दिन में 1 बार पीएँ।
2. त्रिफला चूर्ण का सेवन
त्रिफला पाचन को बेहतर बनाता है और लिवर में फैट जमा नहीं होने देता। कैसे लें?
रात को सोने से पहले 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें।
3. एलोवेरा और आँवला रस
ये दोनों लिवर की सफाई करते हैं और इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाते हैं। कैसे लें?
सुबह खाली पेट 1-1 चम्मच एलोवेरा और आँवला रस पिएँ।
4. द्राक्षा (मुनक्का) का सेवन
मुनक्का रक्त की शुद्धि करता है और लिवर को ताक़त देता है। कैसे लें?
4-5 मुनक्के रातभर भिगोकर सुबह खाएँ।
5. नीम और गिलोय का काढ़ा
ये लिवर को संक्रमण से बचाते हैं और टॉक्सिन्स को बाहर निकालते हैं। कैसे लें?
नीम और गिलोय की स्टिक को उबालकर काढ़ा बनाकर पीएँ।

लाइफस्टाइल में ज़रूरी बदलाव

Fatty Liver से बचाव और उपचार के लिए सिर्फ औषधियाँ नहीं, आपकी आदतों को भी बदलना ज़रूरी है:

  • रोज़ाना कम से कम 30 मिनट तेज़ चलना या योग करें
  • ऑफिस में हर 1 घंटे बाद 5 मिनट चलने की आदत डालें
  • मीठा, तला-भुना और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएँ
  • दिन में 2-3 लीटर पानी ज़रूर पिएँ
  • रात को समय पर सोएँ और नींद पूरी करें
  • स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए ध्यान और प्राणायाम करें

डॉक्टर से मिलना कब ज़रूरी है?

Fatty Liver की शुरुआती अवस्था में ज़्यादातर लोग इसे पहचान नहीं पाते क्योंकि यह बिना किसी खास दर्द या तकलीफ़ के शरीर में धीरे-धीरे विकसित होता है। लेकिन जब यह प्रॉब्लम बढ़ती है, तब इसके लक्षण भी गहरे और स्थायी रूप लेने लगते हैं। ऐसे में घरेलू उपाय या डाइट कंट्रोल से ज़्यादा देर तक काम नहीं चलता।
अगर आपको रोज़ थकान महसूस होती है, खासकर तब जब आपने कोई फिज़िकल मेहनत न की हो, या अगर आपके पेट के दाएँ हिस्से में हल्का-हल्का दबाव या सूजन बनी रहती है, तो यह लीवर की परेशानी का संकेत हो सकता है। साथ ही अगर आपका वज़न अचानक बढ़ रहा है, भूख कम लग रही है, गैस और एसिडिटी हमेशा बनी रहती है, या आपकी त्वचा व आंखों में पीलापन झलकने लगा है, तो इन संकेतों को बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ न करें।
अगर आपकी रिपोर्ट में SGPT, SGOT या LFT के दूसरे पैरामीटर्स सामान्य से बाहर दिख रहे हैं, या अल्ट्रासाउंड में लीवर फैटी दिखता है, तो तुरंत किसी अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह लें। समय रहते उपचार शुरू किया जाए, तो आयुर्वेदिक उपाय लीवर को रिपेयर करने और उसकी प्राकृतिक क्षमता को फिर से मज़बूत करने में बेहतरीन काम करते हैं।

अंतिम विचार

Fatty Liver कोई अचानक होने वाली बीमारी नहीं है। यह आपकी आदतों, खानपान, बैठने के तरीक़ों और स्ट्रेस भरी लाइफस्टाइल का धीरे-धीरे बना हुआ नतीजा होता है। अच्छी बात ये है कि जब ये बीमारी आपकी दिनचर्या से पैदा होती है, तो इसका समाधान भी वहीं छिपा होता है।
अगर आप अपनी 9-5 की नौकरी को एक हेल्दी रूटीन के साथ बैलेंस करना सीख जाते हैं — जैसे सही समय पर उठना, हल्का व्यायाम करना, डिटॉक्सिफाइंग डाइट अपनाना, और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को अपने रोज़मर्रा में शामिल करना — तो आपका लीवर फिर से स्वस्थ और सक्रिय बन सकता है।
आयुर्वेद का मक़सद सिर्फ बीमारी को रोकना नहीं है, बल्कि शरीर की आंतरिक शक्ति को जगाना है। इसलिए Fatty Liver को नज़रअंदाज़ न करें। यह एक संकेत है कि आपका शरीर आपसे मदद मांग रहा है — और आयुर्वेद वह जवाब है जो सैकड़ों वर्षों से इसका समाधान देता आ रहा है।

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