कुछ जड़ी-बूटियाँ मधुमेह के नियंत्रण में आपकी मदद कर सकती हैं। हम आपको जीवा के आयुर्वेदिक चिकित्सकों से परामर्श लेकर ऐसी ही कुछ जड़ी-बूटियों के बारे में यहाँ बता रहे हैं। इनके इस्तेमाल से आप अपने रोग को बढ़ने से रोक सकते हैं या खुराक में शामिल करके डाइबिटीज से बचे रह सकते हैं।
शहतूत :
यदि आप हाई शुगर के शिकार हैं, तो शहतूत की पत्तियाँ आपके लिए चमत्कारइक औषधि सिद्ध हो सकती हैं। अध्ययनों में यह पाया गया है कि शहतूत के पत्तों में आपकी शर्करा स्तर को 38% तक कम करने के गुण पाये जाते हैं। साथ ही यह तनाव कम करके वसा के असंतुलन को भी ठीक करता है।
मेथी के बीज (मेथी):
मेथी सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक पदार्थों में से एक है और यह हमारे शरीर में इंसुलिन को कम करने में भी बेहद सहायता करती है। 2 महीने तक मेथी के बीजों का नियमित प्रयोग करने से आपके शरीर का शुगर लेवल कम हो सकता है। मधुमेह के रोगियों के लिए यह एंटी-डायबिटिक जड़ी-बूटी बहुत ही ताकतवर और असरदार है।
नीम:
नीम का पौधा एक कड़वी आयुर्वेदिक औषधि है, जो शरीर की ग्लूकोज को बर्दाश्त करने की क्षमता को बढ़ाता है । यह उन लोगों के लिए भी बहुत अच्छा है, जो मधुमेह के वजह से किडनी की परेशानियों से ग्रसित हो गए हैं। और इसीलिए, यह हमारे आयुर्वेदिक चिकित्सकों का सबसे पसंदीदा विकल्प है।
गुड़मार:
चिकित्सकीय गुणों से भरपूर यह जड़ी-बूटी रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को काफी कम कर सकती है। यह अग्नाशय में बीटा कोशिकाओं के निर्माण में मदद करके इंसुलिन पर आपकी निर्भरता को कम देती है। गुड़मार एक ह्यपोग्लैमिक जड़ी-बूटी है और मधुमेह के लिये आयुर्वेद द्वारा सुझाया गया एक प्रसिद्ध उपचार है।
ऊपर बतायी गयी जड़ी-बूटियाँ मधुमेह के इलाज में बहुत फायदा करती हैं, लेकिन खुराक और दवा का उपयोग व्यक्ति की हालत और मधुमेह के स्तर पर भी निर्भर करता है। कई बार सिर्फ एक जड़ी-बूटी ही मधुमेह को नियंत्रण में ला देती है और कई बार डाइबिटीज के उपचार में औषधियों के मिश्रण की जरूरत पड़ सकती है।