हमारे देश में गर्मिंयों का मौसम लीवर खराब करने के लिए बहुत बदनाम है। छुट्टियों के दौरान घूमना-फिरने की वजह से सफर की थकान, खाने-पीने में बहुत जल्दी और बार-बार बदलाव हो ही जाते हैं। इससे न सिर्फ दिनचर्या चरमराती है, बल्कि पाचन पर भी विपरीत असर पड़ता है। ऐसे वक्त में जो कुछ भी खाया जाता है, अक्सर उसमें शक्कर, मैदा, मसाले, ब्रेड, मीट, मछली, आलू और कई तरह के दूसरे नुकसानदाय भोज्य पदार्थ बहुतायत से खाए जाते हैं। जब तक कोई संभल पाए, तक छुट्टियां लीवर संबधी विकरों का रास्ता तैयार कर चुकी होती हैं।
भूख कम लगना, पेट का फूलना और भारापन, छाती या पेट में जलन और बहुत खट्टी डकारें आना, ये सभी लीवर कमजोर होने के लक्षण हैं। इन लक्षणों के बढ़ जाने पर डॉक्टर के पास जाना भी जरूरी हो सकता है। हालांकि, छोटी-मोटी तकलीफों का उपचार, घरेलू नुस्खों से किया जा सकता है।
पिसी हुई सौंफ, मुलैठी, तुलसी के पत्ते और पिसा हुआ साबुत धनिया बराबर मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण का आधा छोटा चम्मच (टी स्पून), आधी टी स्पून पिसी हुई मिश्री के साथ दोपहर और रात के खाने से 15 मिनट पहले सेवन करें।
पिसी हुई सौंफ, मिश्री और हरे धनिए का बराबर मात्रा में मिश्रण तैयार कर लें। जब भी सीने में जलन महसूस हो, तो इस मिश्रण की एक टी स्पून मात्रा ठंडे दूध में मिलाकर पी लें।
चौथाई छोटी चम्मच अदरक का रस, चौथाई छोटी चम्मच नींबू का रस और चुटकीभर सैंधा नमक मिलाकर एक खुराक बनती है। दिन में दोबार इस मिश्रण का सेवन खाने से 15 मिनट पहले कर सकते हैं।
सौंठ, काली मिर्च, अजवाइन, जीरा, सैंधा नमक और पिप्पली को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे हवां बंद बर्तन में रखा लें। एक छोटी चम्मच मात्रा से दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं।
देशी घी में भुनी 1 ग्रा. हींग, आधा छोटा चम्मच काला नमक और 3 छोटे चम्मच अजवाइन का मिश्रण तैयार कर लें। दिन में 2-3 बार इसका सेवन गुनगुने पानी से करे।
एक छोटा चम्मच भुना हुआ जीरा, एक छोटा चम्मच अजवाइन, एक छोटा चम्मच पिसी हुई सौंठ और चौथाई चम्मच काला नमक, इन सबका मिश्रण बना लें।
भुना हुआ जीरा और पिसी हुई सौंठ, दोनों का छोटा चम्मच एक गिलास लस्सी के साथ लें। स्वादानुसार काला नमक भी मिला सकते हैं।
4-5 पिसे हुए तुलसी के पत्तों के साथ गन्ने का रस दिन में 2 बार सेवन करें। गन्ने का रस, साफ-सफाई वाली जगह से लिया जाएय ताकि इसमें धूल-मिट्टी या गंदगी न हो।
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