आज कल के समय मे बच्चें अपने खाली समय में या तो टीवी देखते हैं या फ़िर स्मार्टफोन चलाते हुए पाए जाते हैं ऐसे में उनके पास किसी चीज के बारे में सोचने और समझने का वक़्त नहीं होता है। ऐसे में अगर आप बच्चों को टीवी और इंटरनेट से दूर कर के उनके अन्दर सोचने और समझने की क्षमता विकसित करना चाहते हैं तो ये आसान से तरीक़े अपना सकते हैं।
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पढ़ना बच्चों के लिए सबसे अच्छी क्रिया माना जाता है। अलग-अलग तरह की किताबें पढ़ने से ना सिर्फ़ बच्चों के सोचने और समझने की क्षमता बढ़ती है बल्कि वो चीजों के बारे में खुद से कल्पना करने के योग्य भी बनते हैं। किताबें पढ़ना बच्चों के साथ ही बड़ो के लिए भी एक अच्छी आदत है। इसे और मज़ेदार बनाने के लिए आप रात में सोतें समय भी किताबों को पढ़ सकते हैं।
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लिखना भी एक ऐसी क्रिया जी जिसके माध्यम से बच्चों के अन्दर सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है। बच्चों को कुछ भी लिखने के लिए प्रेरित करें जैसे कि निबन्ध, कहानी, कविता या फ़िर कुछ भी ऐसा जो कि उन्हें सोचने समझने के लिए प्रेरित करे। लिखने से बच्चों में तार्किक सोचने की क्षमता भी बढ़ती है।
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उन्हें कुछ भी चित्रकारी करने दें, वो चाहे तो किसी जानवर का, या फ़िर जहाँ घूमने गए हो वहाँ का, या फिर दादाजी की नई गाड़ी का चित्र या, किसी खिलौने का चित्र, जो भी वो चाहें अपने सोचने की क्षमता से बना सकते हैं। इससे बच्चों के सोचने की क्षमता बढ़ने के साथ ही उनकी याददाश्त भी तेज़ होती है।
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बच्चों से हाल ही में हुई किसी घटना के बारे में पूछे। जैसे आप उनसे पिछले पिकनिक की बाते या फ़िर बीते हुए किसी जन्मदिन उत्सव के बारे में भी पूछ सकते हैं। इससे उनमें बीती हुई घटनाओं को याद करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी साथ ही वो इस समय की घटनाओं की कल्पना कर के उसके बारे में और गहरायी से सोचेंगे।
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बच्चों को बन्द आँखों से संगीत सुनने के लिये कहे। ये सुनने में तो बहुत ही अज़ीब लगता है लेकिन बन्द आँखों से संगीत सुनने पर बच्चें इसके बोल के अनुसार चीज़ो की कल्पना करेंगे। इसके साथ ही गायक की आवाज़ तथा बजाये जाने वाले संगीत यंत्रों के बारे में भी वो एक तरह की सोच विकसित करने में कामयाब होंगे।
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उनसे "क्या होगा यदि" के तरह के प्रश्न पूछें। ये किसी भी क्षेत्र से जुड़ा हुआ तथा किसी भी तरह का प्रश्न हो सकता है। इससे ना सिर्फ़ आपको मज़ेदार उत्तर मिलेंगे बल्कि बच्चों के अन्दर बुद्धिमता भी बढ़ती है।
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बच्चों को रुचिकर और क्रिएटिव लोगों के साथ वक्त बिताने का मौका दें। इससे बच्चों के अन्दर भी चीज़ों को रुचिकर बनाने का गुण पैदा होगा। वहीं इस संगत में उनका दिमाग़ भी खुलता है।
लोग कहते हैं कि सोचने की क्षमता बच्चों में जन्म से ही या तो होती है या फ़िर नही होता है। ये बाद में पैदा नहीं किया जा सकता है। लेकिन हम मानते हैं कि बहुत से ऐसे तरीक़े है जिसके माध्यम से आप बच्चों में सोचने समझने की क्षमता विकसित कर सकते हैं। इसके लिए आपको सही समय पर सही तरीक़े को आज़माने की जरूरत है, इसके बाद आप ख़ुद देखेंगे कि आपके बच्चें की तार्किक क्षमता बढ़ रही है।