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बार-बार पेट खराब हो रहा है? हो सकता है IBS - 20 वर्ष अनुभवी डॉक्टर द्वारा आयुर्वेदिक इलाज

यदि आपका पेट बार-बार खराब होता है और आपको इसके पीछे का असली कारण नहीं समझ आ रहा, तो यह इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome या IBS) का संकेत हो सकता है। IBS भारत में लगभग 4-7% लोगों को प्रभावित करता है।
आयुर्वेद में, शरीर के तीन दोषों—वात, पित्त और कफ, के संतुलन पर ज़ोर दिया जाता है। इनमें असंतुलन होने पर पाचन संबंधी समस्याएँ, जैसे IBS, उत्पन्न हो सकती हैं। आयुर्वेदिक उपचार इन दोषों के संतुलन को बहाल करने और पाचन तंत्र को मज़बूत करने पर केंद्रित होते हैं।​
आइए, इस लेख में हम IBS के लक्षण, कारण, और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से इसके उपचार के बारे में विस्तार से जानें।

IBS क्या है? (What is IBS?)

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome या IBS) एक आम पाचन तंत्र की समस्या है, जो पेट की गतिविधियों में असामान्यता लाती है। इस स्थिति में, पाचन तंत्र की मांसपेशियाँ या तो बहुत धीमी या बहुत तेज़ हो जाती हैं, जिससे खाना सही से पच नहीं पाता।
प्रो टिप: यदि आपको अक्सर पेट में दर्द या असुविधा महसूस होती है, तो इसे हल्के में न लें। IBS की पहचान जल्दी होने पर इसे प्रबंधित करना आसान होता है।

IBS के सामान्य लक्षण क्या हैं? (What are the Symptoms of IBS?)

IBS के लक्षण व्यक्ति के दिनचर्या और खान-पान की आदतों पर निर्भर करते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • पेट में दर्द और मरोड़: यह IBS का सबसे आम लक्षण है। पेट के निचले हिस्से में दर्द और ऐंठन आमतौर पर खाने के बाद बढ़ जाता है।
  • दस्त या कब्ज़: IBS से पीड़ित लोगों को अक्सर दस्त या कब्ज़ का सामना करना पड़ता है। इसके लक्षण रोज़मर्रा के जीवन में अचानक बदल सकते हैं।
  • पेट में गैस और सूजन: अधिक गैस बनने और पेट में सूजन आना भी IBS के आम लक्षण हैं।
  • मल में असामान्यता: मल सामान्य से अधिक पतला या सूखा हो सकता है, और कभी-कभी मल में श्लेष्मा (mucus) भी दिख सकता है।

यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो इसे अनदेखा न करें। जल्द से जल्द आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करना और उचित जांच करवाना महत्वपूर्ण है। IBS एक प्रबंधनीय स्थिति हो सकती है, अगर इसे सही समय पर पहचान लिया जाए और सही उपचार किया जाए।

कैसे पता करें कि यह IBS है या कुछ और?

यदि आपके लक्षण केवल कुछ खास खाद्य पदार्थों को खाने के बाद होते हैं या यदि वे दवाओं के सेवन से जुड़े हैं, तो यह IBS के बजाय कुछ और हो सकता है। एक विस्तृत परीक्षण से ही सही निदान हो सकता है, इसलिए समय पर आयुर्वेदिक सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।

आपको IBS क्यों हो सकता है? (Causes of IBS)

IBS के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, और अक्सर यह समझना मुश्किल होता है कि आखिर इसकी मुख्य वजह क्या है। फिर भी, कुछ आम कारण हैं जिनसे आप इस दिशा में सोच सकते हैं:

तनाव: यह IBS के विकास में एक बड़ा कारक हो सकता है। जब आप तनाव में होते हैं, तो आपका शरीर अधिक एड्रेनालिन और कोर्टिसोल हार्मोन छोड़ता है, जिससे पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है।

खान-पान की आदतें: जैसे कि अत्यधिक कैफीन या चॉकलेट का सेवन, जो आपके पाचन तंत्र को परेशान कर सकते हैं।

जीवनशैली: निष्क्रिय जीवनशैली या अपर्याप्त व्यायाम भी IBS को ट्रिगर कर सकता है क्योंकि यह आपके पाचन तंत्र की क्षमता को प्रभावित करता है।

आनुवांशिकी: कई बार IBS कुछ परिवारों में अधिक देखा गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इसमें आनुवांशिक (genetic) तत्व भी शामिल हो सकते हैं।

संक्रमण: पेट में हुए किसी संक्रमण के कारण भी IBS के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। यह संक्रमण आपके पाचन तंत्र के फ्लोरा को प्रभावित कर सकता है, जिससे पाचन में असंतुलन होता है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि IBS एक जटिल स्थिति है और इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं। इसलिए, अपने लक्षणों को सही ढंग से पहचानना और उन्हें प्रबंधित करना आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

IBS का प्राकृतिक उपचार कैसे करें? (Natural Home Remedies for IBS)

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) के लिए आयुर्वेदिक उपचार घरेलू नुस्खों के माध्यम से संभव है, जो प्राकृतिक और सुरक्षित होते हैं। यहाँ कुछ ऐसे ही उपचार बताए गए हैं:

पुदीना (Mint): पुदीना पेट की गैस और सूजन को कम करने में मददगार होता है। ताज़े पुदीने की पत्तियों को उबालकर उसका पानी पीने से IBS में राहत मिल सकती है।

प्रो टिप: पुदीने की चाय बनाने के लिए, ताज़े पुदीने की 10-15 पत्तियाँ लें और उन्हें एक कप पानी में 5-7 मिनट तक उबालें। इसे छानकर गर्म-गर्म पीएँ। पुदीना आंतों में चिकनाई लाता है, जिससे मल आसानी से निकलता है।

सौंफ (Fennel Seeds): सौंफ के बीज पाचन में सहायक होते हैं और पेट की गैस को कम करते हैं। रोजाना सौंफ के बीज चबाने से या सौंफ का पानी पीने से IBS के लक्षणों में कमी आती है।

प्रो टिप: सौंफ के बीजों को एक गिलास पानी में रात भर भिगो दें और सुबह इस पानी को छानकर पिएँ। यह पानी पेट की सूजन और गैस को कम करने में मदद करता है।

इसबगोल (Isabgol): इसबगोल प्राकृतिक रूप से फाइबर का एक बड़ा स्रोत है जो कब्ज़ को दूर करने में मदद करता है। इसे पानी के साथ मिलाकर पीने से मल नरम होता है, जिससे IBS में राहत मिलती है।

प्रो टिप: इसबगोल को रात में लेने की सलाह दी जाती है। एक गिलास ठंडे पानी में एक चम्मच इसबगोल मिलाकर तुरंत पी लें। इससे सुबह आपका पेट साफ होगा। ध्यान रहे कि इसबगोल का सेवन करते समय पर्याप्त मात्रा में पानी पीना ज़रूरी है।

धनिया (Coriander): धनिया भी पाचन संबंधी समस्याओं के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है। धनिया के बीजों को उबालकर उसका पानी पीने से गैस और सूजन में राहत मिलती है।

प्रो टिप: एक चम्मच धनिया के बीजों को एक कप पानी में उबालें, फिर इसे गुनगुना करके पिएँ। यह पेट की जलन और ऐंठन को कम करने में सहायक है।

अदरक (Ginger): अदरक पेट के लिए बहुत ही गुणकारी होता है। यह पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करता है और पेट दर्द में राहत देता है।

प्रो टिप: ताज़ा अदरक का एक छोटा टुकड़ा लें, इसे छीलें और कद्दूकस कर लें। इसे एक कप गरम पानी में डालें, 5-7 मिनट के लिए ढककर छोड़ दें, फिर छानकर पिएँ। यह उपाय IBS के कारण होने वाले पेट की ऐंठन और दर्द को कम करने में मदद करता है।

हल्दी (Turmeric): हल्दी में कर्क्यूमिन होता है, जो एक प्राकृतिक सूजनरोधी घटक है। यह पेट के लिए बहुत लाभदायक होता है और IBS से जुड़ी सूजन को कम कर सकता है।

प्रो टिप: हल्दी का एक चम्मच पाउडर गर्म पानी या दूध में मिलाकर रोजाना पिएँ। यह न केवल पाचन में मदद करेगा बल्कि आंतों की सूजन को भी कम करेगा। इसे दिन में एक बार सेवन करना उचित रहेगा।

आँवला (Indian Gooseberry): आँवला विटामिन C से भरपूर होता है और इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण आंत की स्वास्थ्य में सुधार लाते हैं। आँवला IBS के दौरान पेट की ऐंठन और दर्द को कम कर सकता है।

प्रो टिप: ताज़ा आँवले का रस निकालें या आँवला पाउडर का उपयोग करें। इसे एक ग्लास पानी में मिलाकर हर रोज़ सुबह खाली पेट पिएँ। यह आपके पाचन तंत्र को मज़बूत करने के साथ-साथ IBS के प्रभाव को कम करने में मदद करेगा।

जीरा (Cumin): जीरा गैस और सूजन को कम करने में अत्यंत प्रभावी होता है। इसके अलावा, यह पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है।

प्रो टिप: जीरा के बीजों को भूनकर पाउडर बना लें और इसे एक गिलास पानी के साथ प्रतिदिन पिएँ। यह नुस्खा पेट की गैस और दर्द को कम करने के साथ-साथ आपके पाचन तंत्र को भी सुधारने में सहायक होगा।

छाछ और हींग (Buttermilk and Asafoetida): बटरमिल्क ठंडा और पाचक होता है, जबकि हींग पाचन संबंधी विकारों में लाभकारी होती है।

प्रो टिप: ताज़ा बटरमिल्क में थोड़ी हींग और काला नमक मिलाकर पिएँ। यह दैनिक पीने से IBS से जुड़ी सूजन और गैस की समस्या में बहुत राहत देता है।

ये प्राकृतिक उपचार आपके IBS को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, यदि आपको लगातार समस्या बनी रहती है, तो किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना उचित होगा।

आयुर्वेद के अनुसार IBS का उपचार कैसे करें? (Ayurvedic Remedies for IBS)

आयुर्वेद में IBS को 'संग्रहणी' कहा जाता है और इसके उपचार के लिए आहार और जीवनशैली में बदलाव को मुख्य माना जाता है। आइए जानें कि आयुर्वेद के अनुसार IBS के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं:

आहार का महत्व: आयुर्वेद में आहार को IBS को प्रबंधित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। लाइट, नरम और संतुलित आहार जैसे कि खिचड़ी, दलिया और बासमती चावल आदि का सेवन करना चाहिए।

अन्य आयुर्वेदिक उपचार: आयुर्वेद में पहले उल्लेखित हर्ब्स और पंचकर्म थेरेपी का उपयोग IBS के उपचार में किया जाता है।

  • त्रिफला: त्रिफला एक हर्बल फॉर्मूला है जो पाचन को संतुलित करता है और कब्ज़ से राहत देता है।
  • अश्वगंधा: यह तनाव को कम करने और नर्वस सिस्टम को मज़बूत करने में मदद करता है।
  • अभ्यंग (Abhyanga): आयुर्वेदिक तेल मालिश, जो शरीर और मन को शांत करती है, विशेष रूप से तनावजनित IBS के लिए फायदेमंद होती है।

प्रो टिप: नियमित अभ्यंग से न केवल शारीरिक तनाव कम होता है, बल्कि यह पाचन तंत्र की मज़बूती में भी सहायक होता है।

आयुर्वेद के इन उपचारों को अपनाकर आप IBS के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं। लेकिन याद रखें, किसी भी हर्बल सप्लीमेंट या उपचार को शुरू करने से पहले एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।

रोज़मर्रा की जिंदगी में IBS से निपटने के लिए क्या करें? (Lifestyle Tips to Prevent IBS)

IBS का प्रबंधन दैनिक जीवन में छोटे-छोटे परिवर्तनों से किया जा सकता है जो बड़े प्रभाव डाल सकते हैं। यहाँ कुछ प्रैक्टिकल टिप्स दिए जा रहे हैं जो आपके दैनिक जीवन में IBS के प्रबंधन में मदद कर सकते हैं:

नियमित आहार पैटर्न अपनाएँ: अपने खाने के समय को नियमित रखें। छोटे-छोटे भोजन करें और दिन में कई बार खाएँ बजाय तीन बड़े भोजन के।

फाइबर युक्त आहार शामिल करें: अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्ज़ियाँ और अनाज लेना शुरू करें। ये न केवल कब्ज़ को रोकते हैं बल्कि आपके आंत की स्वास्थ्य को भी बढ़ाते हैं।

तनाव प्रबंधन: तनाव IBS के लक्षणों को बढ़ा सकता है, इसलिए तनाव को कम करने के उपाय जैसे योग, ध्यान और डीप ब्रीदिंग अभ्यास करें।नियमित व्यायाम: हल्की फुल्की शारीरिक गतिविधियाँ जैसे टहलना, साइकिल चलाना या तैरना आपके आंत की गतिशीलता को बढ़ावा देती हैं और IBS के लक्षणों को कम कर सकती हैं।

ये रोज़मर्रा की कुछ साधारण आदतें हैं जो आपको IBS के प्रबंधन में मदद कर सकती हैं। अपनी जीवनशैली में इन परिवर्तनों को शामिल करना शुरू करें और देखें कि कैसे आपका शरीर और मन दोनों स्वस्थ होते हैं।

अंतिम विचार (Final Thoughts)

अगर आप भी बार-बार पेट खराब होने, गैस, पेट दर्द या कब्ज़-दस्त की समस्या से जूझ रहे हैं, तो यह सिर्फ आम पाचन की परेशानी नहीं, बल्कि IBS हो सकता है। लेकिन घबराइए नहीं! सही जानकारी, थोड़े से बदलाव और आयुर्वेदिक देखभाल से आप इस समस्या को अच्छे से नियंत्रित कर सकते हैं।
IBS को समझना और समय रहते उसका प्रबंधन करना ही पहला कदम है एक बेहतर, स्वस्थ जीवन की ओर। अगर आपने अब तक इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ किया है, तो अब समय है सजग होने का।

यदि आप अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं, तो जीवा के अनुभवी डॉक्टरों से से संपर्क करें। अभी कॉल करें: 0129-4264323।

FAQs

IBS कितने दिन में ठीक होता है?
IBS का इलाज समय और अनुशासन पर निर्भर करता है। सही आहार, जीवनशैली और आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर 2 से 6 हफ्तों में अच्छे परिणाम देखे जा सकते हैं। हालांकि हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए सुधार की गति भी अलग हो सकती है।

आईबीएस का स्थायी इलाज क्या है?
IBS का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। सही आहार, तनाव कम करना, नियमित व्यायाम और आयुर्वेदिक उपायों से लक्षणों को लंबे समय तक रोका जा सकता है।

क्या आईबीएस पेट खराब कर सकता है?
हाँ, IBS के कारण बार-बार दस्त या कब्ज़ हो सकता है, जिससे पेट बार-बार खराब रहने लगता है। इससे गैस, सूजन और पेट दर्द जैसी समस्याएँ बनी रहती हैं।

क्या आईबीएस के बारे में चिंता करने से यह और भी खराब हो जाता है?
बिल्कुल! तनाव और चिंता IBS के लक्षणों को और बिगाड़ सकते हैं। इसलिए ध्यान, योग और सकारात्मक सोच से मानसिक संतुलन बनाए रखना बहुत ज़रूरी है।

आईबीएस कब शुरू होता है?
IBS आमतौर पर युवावस्था या 20–40 साल की उम्र में शुरू होता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। तनाव, गलत खान-पान या पाचन कमज़ोर होने पर यह अचानक शुरू हो सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार आईबीएस का कारण क्या है?
आयुर्वेद के अनुसार, IBS वात और पित्त दोष के असंतुलन तथा कमज़ोर पाचन अग्नि (digestive fire) के कारण होता है। साथ ही, अमा (टॉक्सिन्स) का जमाव भी इसका मुख्य कारण होता है।

आईबीएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार क्या हैं?
छाछ, सौंफ, अदरक, हींग, पिप्पली, हरड़, त्रिफला जैसे आयुर्वेदिक उपाय IBS के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। साथ ही हल्का और गर्म आहार लेने की सलाह दी जाती है।

क्या आयुर्वेद से आईबीएस को स्थायी रूप से ठीक किया जा सकता है?
हाँ, आयुर्वेद में जीवनशैली, आहार और औषधियों के ज़रिए दोषों को संतुलित कर IBS को लंबे समय तक नियंत्रित किया जा सकता है। ये उपाय धीरे-धीरे काम करते हैं लेकिन असर गहरा होता है।

अगर आपको IBS है तो क्या आप चावल खा सकते हैं?
हाँ, बासमती चावल जैसे हल्के और जल्दी पचने वाले चावल IBS के लिए फायदेमंद होते हैं। इन्हें घी या मूंग दाल के साथ खिचड़ी बनाकर खाना पेट को आराम देता है।

क्या रोटी IBS के लिए खराब है?
हर किसी के लिए नहीं, लेकिन कुछ लोगों को गेहूं की रोटी पचाने में दिक्कत हो सकती है। अगर रोटी खाने के बाद पेट में गड़बड़ होती है, तो कुछ समय के लिए केवल दाल, सब्ज़ियाँ और चावल पर रहें और आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।

क्या गर्म पानी IBS के लिए अच्छा है?
हाँ, गर्म पानी पाचन में मदद करता है, गैस कम करता है और पेट को शांत रखता है। सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुना पानी पीना IBS में राहत दे सकता है।

क्या दूध एक IBS रोगी के लिए अच्छा है?
अगर आपको लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस नहीं है, तो थोड़ा बहुत दूध लिया जा सकता है। लेकिन कई IBS मरीजों को दूध से गैस या दस्त की समस्या होती है, ऐसे में दही या छाछ बेहतर विकल्प हैं।

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