योग आसनों में मुख्यतः अर्धमत्स्येन्द्रासन, मण्डूकासन, पश्चिमोत्तानासन, हलासन, धनुरासन, भुजंगासन, पवनमुक्त्तासन, शलभासन, सूर्यनमस्कार को ठीक विधि व नियमपूर्वक करने से मधुमेह टाईप-2 को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
इस बार जिस आसन के बारे में आपको बताया जा रहा है उसका नाम है-जानुसिरासन
विधिः
-
शान्त चित्त होकर कमर को सीधा रखते हुए सुखपूर्वक बैठ जाएं।
-
दोनों टांगों को सामने की तरफ सीधा लाएं व दोनों पैरों को एक फुट के करीब आपस मेंखोल लें।
-
बाईं टांग को घुटने से मोड़ते हुऐ बाएं तलवे को दाईं जंघा के साथ लगाएं और बाएं घुटने को जमीन से छूने दें।
-
कमर सीधी रखें।
-
श्वास भरते हुएए, दोनों बाजुओं को सीधा में रखते हुए कानों के पास ले जाएं।
-
बाजू सीधी ऊपर व हथेलियाँ सामने की ओर रखते हुए श्वास छोड़ दें।
-
पुनः श्वास भरें और श्वास छोड़ते हुएए कमर से आगे झुकते हुएए मस्तक को दाएं घुटने की तरफ ले जाएं। बाजू सीधी रखें व दोनों हाथों को दाएं पैर की तरफ ले जाकर दाएं पंजे को पकड़ लें।
-
दोबारा श्वास भरें और श्वास छोड़ते हुए कमर को थोड़ा ओर आगे खींचते हुए मस्तक कोघुटने से लगाएं।
-
यथासम्भव बाह्य कुम्भक करते हुए यथाशक्ति रुकें।
-
श्वास भरते हुए धीरे-धीरे कमर को वापिस लाएं ओर बाजू सीधी कानों के पास ले जाएं। श्वास छोड़ते हुए हाथ नीचे लाएं।
-
इसी क्रम को पैर बदलकर करें।
लाभः
- मधुमेह के अतिरिक्त कब्ज दूर करने में सहायक।
-फेपड़ों को स्वस्थ बनाता है।
-
जठराग्नि प्रदीप्त कर पाचन शक्ति बढ़ाता है।
-
कमर, जांघ व पिण्डलियों की मांसपेशियों को पुष्ट व सशक्त बनाता है।
-
मूत्र सम्बन्धी शिकायत दूर करने में उपयोगी।
-
आलस्य दूर कर शरीर में स्फूर्ति लाता है।
सावधानियाँः
-
उच्च रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्ति इस आसन को न करें।
-
मासिक धर्म के दौरान व गर्भवती महिलाएं इस आसन को न करें।
विशेषः
- कोई भी आसन करने से पूर्व योग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।