मधुमेह या डायबिटीज मेलिटस, पेनक्रियाज ग्रन्थि से इन्सुलिन हारमोन का उचित मात्रा या फिर बिल्कुल न निकलना और परिणाम स्वरूप शरीर में शुगर की मात्रा पर नियंत्रण न होने से होता है।
योग आसनों में मुख्यतः अर्धमत्स्येन्द्रासन, मण्डूकासन, पश्चिमोत्तानासन, हलासन, धनुरासन, भुजंगासन, पवनमुक्त्तासन, शलभासन, सूर्यनमस्कार को ठीक विधि व नियमपूर्वक करने से मधुमेह टाईप-2 को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
इस बार जिस आसन के बारे में आपको बताया जा रहा है उसका नाम है-जानुसिरासन
शान्त चित्त होकर कमर को सीधा रखते हुए सुखपूर्वक बैठ जाएं।
दोनों टांगों को सामने की तरफ सीधा लाएं व दोनों पैरों को एक फुट के करीब आपस मेंखोल लें।
बाईं टांग को घुटने से मोड़ते हुऐ बाएं तलवे को दाईं जंघा के साथ लगाएं और बाएं घुटने को जमीन से छूने दें।
कमर सीधी रखें।
श्वास भरते हुएए, दोनों बाजुओं को सीधा में रखते हुए कानों के पास ले जाएं।
बाजू सीधी ऊपर व हथेलियाँ सामने की ओर रखते हुए श्वास छोड़ दें।
पुनः श्वास भरें और श्वास छोड़ते हुएए कमर से आगे झुकते हुएए मस्तक को दाएं घुटने की तरफ ले जाएं। बाजू सीधी रखें व दोनों हाथों को दाएं पैर की तरफ ले जाकर दाएं पंजे को पकड़ लें।
दोबारा श्वास भरें और श्वास छोड़ते हुए कमर को थोड़ा ओर आगे खींचते हुए मस्तक कोघुटने से लगाएं।
यथासम्भव बाह्य कुम्भक करते हुए यथाशक्ति रुकें।
श्वास भरते हुए धीरे-धीरे कमर को वापिस लाएं ओर बाजू सीधी कानों के पास ले जाएं। श्वास छोड़ते हुए हाथ नीचे लाएं।
इसी क्रम को पैर बदलकर करें।
-फेपड़ों को स्वस्थ बनाता है।
जठराग्नि प्रदीप्त कर पाचन शक्ति बढ़ाता है।
कमर, जांघ व पिण्डलियों की मांसपेशियों को पुष्ट व सशक्त बनाता है।
मूत्र सम्बन्धी शिकायत दूर करने में उपयोगी।
आलस्य दूर कर शरीर में स्फूर्ति लाता है।
उच्च रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्ति इस आसन को न करें।
मासिक धर्म के दौरान व गर्भवती महिलाएं इस आसन को न करें।
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