जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने अपने हालिया जापान दौरे पर मूत्रजनंनागों से संबंधित विकारों और आयुर्वेद पर एक साप्ताहिक वर्कशॉप भी आयोजित की। इस वर्कशॉप में आयुर्वेदिक सलाहकार, चिकित्सक, योग शिक्षक और चिकित्सा से जुड़े पेशेवर लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें त्वचा की बीमारियों और मानसिक बीमारियों के नियंत्रण पर व्याख्यान दिए गए। लोगों की रुचि को देखते हुए जीवा ने यह फैसला लिया है कि जापान के कई अलग-अलग शहरों में भी ज्य़ादा से ज्य़ादा वर्कशॉप आयोजित की जाएंगी।
डॉ. चौहान जापान के प्रसिद्ध खानसामा अकीरा वातानबे से भी मिले, जो भारतीय पाक कला में पारंगत है। इन दोनों ने कुछ साल पहले आयुर्वेदिक पाक कला पर भी मिलकर एक वर्कशॉप आयोजित की थी। इस मुलाकात में आयुर्वेद के प्रसार की थीम ‘भोजन और दवाएँ’ पर चर्चा हुई थी। डॉ. चौहान की मुलाकात जापान में अशोक फाउंडेशन के चेयरपर्सन से भी हुई, और जापानी युवाओं की आयुर्वेद से मदद कैसे की जाए इस पर बात हुई। भारत से जीवनपर्यंत अशोक सदस्य डॉ. प्रताप चौहान संगठन के जरिए लोगों की मदद करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। अशोक सदस्य और केयर प्रो कंपनी के मालिक श्री. कावागोई ताकाशी भी डॉ. चौहान से मिले और उन्हें अपने मौलिक केंद्रों में लेकर गए, जहां उन्होंने कम कीमतों पर अलग-अलग तरह के शारीरिक प्रयोग करने का प्रस्ताव रखा।
अपने दौरे पर डॉ. चौहान जापान के कई मंदिरों में भी गए और वहां उन्होंने जापानी बौद्ध धर्म और भारतीय सभ्यताओं के बीच संबंधों की खोज की। वो याकुशी न्योराय जिन्हें जापानी उपचार के देवता यानि जापानी धनवंतरी भी कहते हैं उनके मंदिर और शिन्टो मंदिर भी गए। डॉ. चौहान को टोक्यो के इस्कॉन मंदिर में भी आमंत्रित किया गया था,जहां उन्होंने शाम की आरती में हिस्सा लिया।