Diseases Search
Close Button

बेहतर कल के लिए खुद को आज जानें

Search Icon

यहां एक 25 साल के कॉर्पोरेट एग्जीक्यूटिव की दिनचर्या का जिक्र किया जा रहा है। क्या ये आपकी दिनचर्या जैसी ही दिखती है। अगर हां, तो फिर ये समय है वास्तविकता की जांच करने का उसे समझने का।

उठने का समय: 8 बजे स्नान करना और तैयार होना: सब कुछ जल्दबाजी में (महंगे कपड़े और अच्छा खुशबूदार परफ्यूम बाकी सब की देखभाल कर लेंगे) नाश्ता: समय ही कहां है; मुझे पहले से ही देरी हो रही है। ऑफिस में: हमेशा कंप्यूटर के सामने; मैं धूम्रपान करने के लिए या चाय की एक घूंट लेने के लिए कभी-कभी ब्रेक लेता हूं: दोपहर का खाना: मैं कैंटीन में मिलने वाले जंक फूड जैसे कि बर्गर, समोसा, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक्स, वेफर खूब खाता हूं। और वैसे भी मैं दोपहर का खाना शाम 4 बजे के बाद ही खाता हूं, आप देख ही सकते हैं मैं काम में कितना बिजी होता हूं।

शाम में: फिर एक सिगरेट और एक कप कॉफी लेता हूं, मुझे सतर्क जो रहना होता है, काम खत्म करने की समयसीमा जो मिली हुई है। रात का खाना: निश्चित रूप से कार्यालय में ही खाता हूं! देखता हूं... हो सकता है कुछ पिज्जा ही खा लूं। घर वापसी :रात में 10 बजे, ये समय परिवार के लिए है : मेरा पसंदीदा टीवी शो शुरू होने वाला है: मैं इसे छोड़ नहीं सकता: मेरा परिवार समझता है कि काम पर लंबे दिन के बाद मुझे कुछ समय ऐसा भी चाहिए होता है जिसे मैं सिर्फ अपने साथ बिताऊं। बिस्तर पर जा रहे हैं: रात को 12 बजे के बाद मैं सोने के लिए जाता हूं।

आयुर्वेद के अनुसार, बीमारियों का एक प्रमुख कारण बुद्धि का दुरुपयोग है। धरती पर सबसे बुद्धिजीवी वर्ग होने के बावजूद भी अपने शरीर और सेहत से जुड़ी परिस्थितियों को लेकर वो बुद्धि का इस्तेमाल नहीं करते। ऐसा खासतौर पर युवाओं के मामले में होता है कि वो स्वास्थ्य को एक ऐसी चीज मानते हैं जिस पर जीवन में सबसे बाद में ध्यान देना चाहिए। आखिरकार, पेशा, महत्वाकांक्षा, और पैसा इस वक्त सबसे जरूरी नहीं है।

प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक, अरिस्टोटल ने एक बार कहा कि युवावस्था की अच्छी आदतें जीवन में बदलाव लाती हैं। युवावस्था में बनी आदतें हमारे जीवन पर अस्थाई प्रभाव डालती हैं और अक्सर जीवन में आगे सफलता और कार्य कुशलता के लिए जिम्मेदार होती है।

अगर आप युवा अवस्था में खाने-पीने की सही आदतें और अच्छी जीवनशैली को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं तो आपको उम्र बढ़ने पर गंभीर बीमारियों पर बहुत ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे। लेकिन, मुझे अपनी ये बेपरवाह जीवनशैली पसंद है। मैं आयुर्वेद को इसे क्यों बदलने दूं।

युवाओं को आम तौर पर महत्वाकांक्षी, साहसी, उच्च तकनीक के लैस और समय के प्रबंधन के मामले में लापरवाह माना जाता है।

आप बल्ब या ट्यूबलाइट की रोशनी और वातानुकूलित कार्यालयों में लंबे समय तक काम करते हैं, विज्ञापनों और लगातार हो रहे शोर के बीच, प्रदूषित हवा और पानी को बर्दाश्त करते हुए एक काम से दूसरे काम के पीछे भागते रहते हैं।

इन सबके बावजूद, आप इस 'बेपरवाह' जीवन शैली से प्यार करते हैं और कभी भी इसके स्थान पर कुछ और नहीं चुनना चाहते। लेकिन ऐसे में, आयुर्वेद आपकी जीवन शैली को बदलने पर जोर नहीं देता है; ये सिर्फ स्वस्थ होने की आवश्यकता पर जोर देता है। आइए जानें कैसे।

क्या मैं बहुत जल्दी बूढ़ा हो रहा हूँ?

क्या आपको आश्चर्य होगा, अगर मैं आपको ये बताऊं कि युवाओं की बड़ी संख्या एसिडिटी ,कब्ज, गर्दन से जुड़ी समस्या, मोटापे, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा और सिरदर्द से पीड़ित हैं? मेरा अनुमान है कि नहीं। लेकिन, अगर मैं आपको बताऊं, इनमें से कई बीमारियां लगभग एक दशक पहले, ज्यादातर 40 साल से ऊपर के लोगों को होती थीं, आप खुद से ये पूछने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि - क्या मैं बहुत जल्दी बूढ़ा हो रहा हूं? क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्या है जो आपको इतना कमजोर बना देता है कि आपको ये सेहत से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं? आप अच्छा भोजन करते हैं, महंगे कपड़े और सामान इस्तेमाल करते हैं, आपके पास एक अच्छा रोजगार और रिश्ते हैं... आपके जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा है। लेकिन, आपके अस्तित्व का एक बेहद महत्वपूर्ण पहलू जिसे आपने लंबे समय से अनदेखा कर रखा है वो है आपका शरीर। आपके पास शायद ही कभी यह समझने का समय हो कि आपके शरीर को वास्तव में स्वस्थ रहने के लिए किस चीज की जरूरत है, और शायद, यही कारण है कि ऐसा महसूस कर रहे हैं कि आप बूढ़े हो रहे हैं।

तो, समाधान क्या है? सबसे पहली चीज़, खुद को जानें

मैं खुद को कैसे जानूं?

उपचार की दुनिया का सबसे पुराना विज्ञान आयुर्वेद, बाजार में उपलब्ध अन्य उपचारों का कोई प्रारूप नहीं है। यह 'जीवन जीने का एक तरीका' है जो हमें बताता है कि हम अपने शरीर की आवाज को कैसे सुनें और शारीरिक समस्याओं के संकेत को समझकर अच्छी सेहत बनाए रखें और अपने जीवन को अधिक संतुलित, उत्पादक और संतुष्ट बनाए रखें।

आयुर्वेद तीन मौलिक ऊर्जा या शरीर के द्रव के संतुलन पर जोर देता है: वात (वायु), पित्त (अग्नि) और कफ (जल)। ये नियामक सिद्धांत दोष के नाम से जाने जाते हैं, जो किसी व्यक्ति की प्रकृति को बतलाते हैं। ये सभी सेहत के लिए बहुत जरुरी हैं, क्योंकि जब ये संतुलित होते हैं, तब शरीर स्वस्थ होता है, और जब असंतुलित होते हैं, तो शरीर में बीमारियां घर करने लगती हैं।

खुद को जानने के लिए पहला कदम ये है कि आप अपने दोष को पहचानें । ऐसा करने के लिए सबसे आसान तरीका है कि आप अपने शरीर के प्रकार का टेस्ट कराएं, जिसे वीपीके टेस्ट के नाम से जाना जाता है।

अब जब मैं खुद को जानता हूं, तो मैं इसका क्या करूँ?

अपने दोष के बारे में जानने से आपको अपने शरीर की मूल प्रकृति की समझ मिलती है, और आपको एक अच्छी सेहत और मन की शांति को बनाए रखने के लिए आहार और जीवन शैली को अनुकूल बनाने में मदद मिलती है। हर व्यक्ति की एक खास पोषण संबंधी आवश्यकता होती है जिसके साथ एक खास दोष होता है। अपने दोष को पहचान कर नियंत्रण बनाने के लिए आप ये तय करते हैं कि आपके लिए कौन सा आहार, व्यायाम और जीवन शैली सही है। यह सेहतमंद बने रहने की कुंजी है।

हमेशा याद रखें, आयुर्वेदिक सिद्धांतों का पालन करने के लिए, आपको आधुनिक जीवन को नकारने की या घास की झोपड़ी या एक निर्जन द्वीप पर रहने की आवश्यकता नहीं है। अक्सर हमारे पास वास्तव में कोई विकल्प नहीं होता, और हमें चाहिए कि हम आधुनिक जीवन के फायदे को सिर्फ इसलिए ना छोड़ें, क्योंकि इसके बहुत सारे नुकसान है। इसके बजाए, हम अपने शरीर में असंतुलन की पहचान करने के तरीके के बारे में जानें । हम यह भी सीख सकते हैं कि किस तरह हम परेशानियों को दूर करके शारीरिक और मानसिक स्थिति को बेहतर कर सकते हैं। आयुर्वेद को हमें अपने जीवन का एक जरूरी हिस्सा बनाना चाहिए ताकि हम सेहत, खुशी और शांति पा सकें ।

अगर आपको मदद की ज़रूरत है तो जीवा से संपर्क करें

अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां हैं और आप आयुर्वेदिक मदद चाहते हैं तो जीवा के कॉल सेंटर नंबर 0129-4040404 (केवल भारत के मरीजों के लिए) पर कॉल करें या नि:शुल्क परामर्श के लिए info@jiva.com पर मेल करें।

To Know more , talk to a Jiva doctor. Dial 0129-4040404 or click on ‘Speak to a Doctor
under the CONNECT tab in Jiva Health App.

SHARE:

TAGS:

Related Disease

Our Happy Patients

  • Sunita Malik - Knee Pain
  • Abhishek Mal - Diabetes
  • Vidit Aggarwal - Psoriasis
  • Shanti - Sleeping Disorder
  • Ranjana - Arthritis
  • Jyoti - Migraine
  • Renu Lamba - Diabetes
  • Kamla Singh - Bulging Disc
  • Rajesh Kumar - Psoriasis
  • Dhruv Dutta - Diabetes
  • Atharva - Respiratory Disease
  • Amey - Skin Problem
  • Asha - Joint Problem
  • Sanjeeta - Joint Pain
  • A B Mukherjee - Acidity
  • Deepak Sharma - Lower Back Pain
  • Vyjayanti - Pcod
  • Sunil Singh - Thyroid
  • Sarla Gupta - Post Surgery Challenges
  • Syed Masood Ahmed - Osteoarthritis & Bp

Signup For Jiva Newsletter

Subscribe to the monthly Jiva Newsletter and get regular updates on Dr Chauhan's latest health videos, health & wellness tips, blogs and lots more.

Please fill your Name
Please fill your valid email
Book Free Consultation Call Us