मकरासन दो शब्दों से मिलकर बना है - मकर एवं आसन। मकर संस्कृत भाषा का शब्द है। जिससे अभिप्राय है मगरमच्छ एवं आसन से अभिप्राय है मुद्रा। इस आसन को करते हुए शरीर का आकार एक मगरमच्छ की भांति प्रतीत होता है अतः इसे क्रोकोडाइल पोज भी कहा जाता है। मकरासन कमर व घुटने की समस्या को हल करने, तनाव कम करने, साइटिका, स्लिप डिस्क व श्वसन की समस्या को दूर करने व हाई-ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक है।
आसनों की श्रृंखला में मकरासन एक ऐसा आसन है जिसका नियमित अभ्यास हमें शारीरिक व मानसिक रुप से स्वस्थ रख सकता है। सबसे आगे निकलने की अंधी दौड़, चाहे वो स्कूल में हो या दफ्तर में, सड़क पर हो या बाजार में, इस दौड़ ने इंसान को इस कदर पागल बना दिया है, कि उसे मालूम ही नही पड़ता कि वो कब डिप्रेशन, तनाव, उच्च रक्तचाप, सर्वाइकल, कमर दर्द जैसी बीमारियों के चंगुल में धँसता चला जाता है। अपने व्यस्त जीवन में से थोडा़ समय अपने स्वास्थ्य के लिये निकालने से इन बीमारियों के भयंकर परिणामों से बचा जा सकता है।
विधिः
- समतल, स्वच्छ जगह पर आसन बिछाकर पेट के बल लेट जायें। कंधों और चेहरे को थोड़ा ऊपर उठा, बाजुओं को कोहनी से मोड़ लें और चेहरे को हथेलियों पर इस प्रकार रखें, चेहरा आराम से हाथों पर टिक जाये। कोहनियां न तो अधिक आगे की ओर हो ओर न ही छाती के नीचे, पैर सीधे रखें।
- सहजभाव से लयबद्ध तरीके से श्वास लेते व छोडते हुए प्रारम्भ में 30 सेकण्ड से 3 मिनट तक करें, धीरे-2 अभ्यास करते हुए समय सीमा को 5-10 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है।
लाभः
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शारीरिक व मानसिक तनाव को कम करता है।
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फेफड़े स्वस्थ होते हैं।
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स्लिप डिस्क, साईटिका में लाभदायक ।
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अस्थमा व श्वास संबन्धी रोगों का दूर करने में सहायक।
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मेरुदण्ड को लचीला व पुष्ट करता है।
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उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक।
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छोटी आँत की क्रियाशीलता बढ़ा पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
सावधानियां
- गर्भवति महिलायें इसे न करें ।
- हृदय रोग व अति मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को मकरासन नही करना चाहिए।
- कोहिनयां आराम पूर्ण स्थिति में रखें व क्षमतानुसार धीरे-धीरे समय को बढ़ायें।
विशेषः
- किसी भी आसन को करने से पूर्व योग विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।