दुनिया भर में लोग दूध और दूध के उत्पादों को लेकर सवाल पूछते हैं, खासतौर पर हाल ही में हुए अनुसंधानों के बाद लोगों के सवाल और अधिक बढ़ गए हैं। इन अनुसंधानों के अनुसार दूध सिर्फ़ बच्चों के लिए फायदेमंद है। हालांकि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लेना मुश्किल है, क्योंकि इस पर बहस जारी है। ऐसे में दूध और दूध के उत्पादों पर आयुर्वेदिक दृष्टिकोण महत्वपूर्ण हो सकता है।
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आयुर्वेद के अनुसार दूध आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आयुर्वेद के एक प्राचीन ग्रंथ अष्टांग संग्रह में एक सम्पूर्ण वर्ग- क्षीर वर्ग है, जिसमें दूध और दूध के उत्पादों का विवरण है।
दूध का स्वाद मीठा होता है। (रस)
यह ओजस बढ़ाता है, जिसे धातु (उतक) का सार माना जाता है। इसलिए यह सात धातुओं को पोषण प्रदान करता है।
यह वात और पित्त को कम करता है और कफ को बढ़ाता है।
दूध एक अच्छा वृश्य (कामोत्तेजक) है, यानि यह शुक्र धातु को सक्षम और ताकतवर बनाता है। (प्रजनन उतक)
दूध कफ को बढ़ाता है, यह पचाने में मुश्किल होता है; इसलिए ठंडा दूध नहीं पीना चाहिए, जो ज़्यादा भारी होता है। दूध हमेशा गर्म करके और उबालने के बाद ही पीना चाहिए।
दूध की तासीर ठंडी होती है इसका मतलब यह है कि इसका असर शरीर को ठंडक देने वाला होता है।
दूध के 8 प्रकारों में से गाय का दूध तरोताज़ा करने वाला होता है (रसायन)। यह विभिन्न ऊतकों को सशक्त बनाता है, याद्दाश्त तेज़ करता है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह आसानी से पच जाता है और शरीर में अवशोषित हो जाता है। यह खास तौर पर स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए फ़ायदेमंद है।
दही खाने में खट्टी होती है।
इसके अंदर ग्राही गुण होता है। इस गुण की वजह से ही ये डायरिया और पेचिश की दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल होता है।
दही पचाने में भारी और तासीर में गर्म होती है
यह वात को कम करती है और कफ और पित्त को बढ़ाती है
यह शरीर में खून और धातुओं को भी बढ़ाती है
मलाई रहित दूध से बनी दही आंत संबंधी दिक्कतों जैसे संग्रहणी, पेट फूलना और अपच में राहत पहुंचाती है
दही को शहद, दाल और आंवले के साथ खाना अच्छा होता है
कभी भी गर्म दही ना खाएं
वसंत और ठंड के मौसम में अधिक मात्रा में दही खाने से बचें
रात के भोजन में दही का सेवन ना करें
हर दिन दही का सेवन नहीं करने की सलाह आयुर्वेद देता है क्योंकि इससे आपके शरीर के स्रोतों के संचालन में बाधा पहुंचती है।
आयुर्वेद कहता है कि घर में बना मक्खन ही सर्वेश्रेष्ठ मक्खन होता है। ताजा मक्खन स्वाद में मीठा और हल्का सा खट्टा और कसैला होता है।
यह पित्त और वात से होने वाली परेशानियों में मदद करता है। त्वचा रोगों में फायदा पहुंचाने के लिए भी यह अच्छा है साथ ही ऐसी बीमारियां जो खून की गंदगी की वजह से होती है उनमें भी ये फायदा पहुंचाता है।
इसके अंदर ग्राही गुण होता है ऐसे में किसी को भी अधिक मात्रा में मक्खन का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर के स्रोतों के संचालन में बाधा आती है। यह याद्दाश्त के लिए के अच्छा है, यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाता है और शुक्र धातु को मजबूती देता है।
घी मक्खन का विशुद्ध रूप है, जिसको गर्म करके पाया जाता है। घी आमतौर पर बहुत सी भारतीय रेसिपियों में इस्तेमाल होता है और इसका इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है।
ताजा घी दिमाग, बुद्धि और याद्दाश्त के लिए बहुत अच्छा होता है
यह पाचन की अग्नि को बढ़ाता है और पाचन को बेहतर बनाता है
यह शरीर के ऊतकों यानि धातुओं और महत्वपूर्ण तरल यानि ओज को बढ़ाता है
वात और पित्त से होने वाली बीमारियों में यह लाभ पहुंचाता है। इसका इस्तेमाल गंभीर बुखार की स्थितियों में भी किया जाता है।
यह कानों और आंखों की दिक्कतों में भी फायदेमंद है।
घावों को ठीक करने में भी इसका इस्तेमाल होता है।
दूध, दही, मक्खन और घी के जिस विवरण को ऊपर बताया गया है वो गाय के दूध से बने उत्पाद हैं। यह भी एक सत्य है कि कुछ देशों में प्राचीन गायों की प्रजातियां नहीं है, हमारे पास इसके बजाए नई प्रजातियां हैं जो बहुत सारा दूध देती हैं। इसके अलावा गायों को अनुवांशिक भोजन और हार्मोन इंजेक्शन दिए जाते हैं। इन कारणों की वजह से मुमकिन है कि दूध और दूध से बने उत्पाद आयुर्वेद के बताए गुणों से मेल ना खाएं। मगर फिर भी आयुर्वेद इनके बारे में यह विवरण बताता है। यह रिसर्च का विषय है कि किसी गाय का दूध और इससे बने उत्पाद में समान गुण हैं या नहीं।
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