बारिश हमारे रोजमर्रा के जीवन को शांत बनाती है। जोरदार बारिश चिपचिपी गर्मी से राहत दिलाती है। राहत के साथ-साथ इस मौसम में बीमार होने काखतरा भी बना रहता है। इस मौसम में पनपने वाले कुछ संक्रमणों से बचना बहुत जरूरी है। बारिश के मौसम में हमारा शरीर ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। आमतौर पर शरीर की रक्षा प्रणाली इस मौसम में कमजोर हो जाती है।
आयुर्वेद में बारिश के इस मौसम को वर्षा ऋतु कहते हैं। इस मौसम में पाचन तंत्र या कहें कि पाचन की अग्नि कमजोर हो जाती है जिससे पाचन से जुड़ी बीमारियाँ हो जाती हैं। हमारी शारीरिक ताकत कमजोर हो जाती है। इसलिए सही आहार लेकर वात और पित्त को संतुलित करना चाहिए। इस मामले में आयुर्वेद शरीर को अंदर से साफ रखने के लिए पंचकर्म, संतुलित और हल्का आहार लेने की सलाह देता है।
जी हाँ, आयुर्वेद की मदद से बिना बीमार हुए आप इस मौमस का मजा ले सकते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक शरीर को अंदर से शुद्ध करने के मामले में बारिश का मौसम वसंत और सर्दी के मौसम जैसा ही बढ़िया समय है। जलवायु के हिसाब सेदेखें तो यह मौसम अपने चरम पर भी नहीं जाता है इसलिए शरीर को शुद्ध करने वाले उपचार जैसे पंचकर्म उपचार लेने का यह एक आदर्श मौसम है। इस मौसम में त्वचा के रोम छिद्र खुले होते हैं, यह विषैले तत्वों को बाहर करने और इलाज के लिए तैयार होते हैं
पंचकर्म शरीर को अंदर से शुद्ध करने और उसमें नई ऊर्जा भरने वाला एक आयुर्वेदिक उपचार है, इससे शरीर के दोषो - धातुओं में असंतुलन भी नहीं आता है। पंचका मतलब है पाँच और कर्म का मतलब है क्रिया। इससे ना सिर्फ शरीर और मन अंदर से शुद्ध होते हैं बल्कि यह शरीर को संक्रमणों से लड़ने के लिए तैयार करता है।
इस उपचार की मदद से विषैले तत्वों को निकालकर शरीर की रक्षा प्रणाली की शक्ति को मजबूत बनाया जाता है। यह शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे शरीर कई बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है।
शरीर को नया सा बनाने के लिए हर्बल/औषधीय तेल से मालिश। इससे खून का दौरा बढ़ता है,तनाव कम होता है।
इस उपचार में औषधीय तेल माथे पर डाला जाता है, इससे आपको तनाव से मुक्ति मिलती है और याददाश्त मजबूत होती है।
इस उपचार में मरीज को भाप और जड़ी बूटियों की मदद से पसीने से तरबतर किया जाता है। इससे शरीर विषैले तत्वों से मुक्त होता है और पाचन बेहतर हो जाता है।
यह एक तरह का तैलीय स्नान है जिससे शरीर को उसके गुण और गरमाहट मिलते हैं। यह थकावट, खुश्क त्वचा और मानसिक विकारों को दूर करता है।
शांतिदायक शुद्धिकरण या विरेचन शरीर के शुद्धिकरण का एक औषधीय तरीका है। त्वचा संबंधित बीमारियों, मधुमेह, अस्थमा, पाचन संबंधी दिक्कतों में यह उपचार बहुत असरदार है।
तो बारिश के इस मौसम में अपने स्वस्थ मन और शरीर के साथ प्रकृति का खुलकर मजा लीजिए।
शरीर के अंदर नई ऊर्जा भरने और उपचार का अनुभव करने के लिए, जीवा में पंचकर्म की सलाह लें। फोन करें
0129-4040404
To Know more , talk to a Jiva doctor. Dial 0129-4040404 or click on ‘Speak to a Doctor
under the CONNECT tab in Jiva Health App.
SHARE:
TAGS:
पित्त का रामबाण इलाज: आयुर्वेदिक उपचार
AYURVEDIC MEDICINE FOR MOUTH ULCER
What is Jiva's Ayunique Treatment Protocol?
Why Choose Jiva For Your Next Ayurvedic Treatment?
Lifestyle & Ayurveda: Understanding the Connection
Is Ayurveda Right For You?
Is Ayurvedic Treatment Effective?
Get The Best Ayurvedic Treatment In India
Why Does Ayurveda Recommend Occasional Fasting?
आँखों के नीचे से काले घेरों को ख़त्म करने के घरेलू और प्राकृतिक उपाय