आसनों की श्रंखला में आज जिस आसन के बारे में बताया जा रहा है उसका नाम है ‘‘पादहस्तासन’’
विधिः
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दोनों पाँव मिलाकर सीधे खड़े हो जायें।
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धीरे-धीरे श्वास भरते हुये और बाजुओं को सीधा रख ऊपर कानों के पास ले जायें।
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धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुये, बाजु सीधी रखते हुये, कमर से ऊपर के हिस्से को आगे की तरफ झुकायें।
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दोनों हाथों से पैरों के अंगूठों को छूने का प्रयत्न करें।
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सामान्य श्वास लेते रहें। क्षमतानुसार 1-3 मिनट तक रुकें।
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श्वास भरते हुये बाजु वापिस कानों के पास लें जायें।
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श्वास छोड़ते हुये हाथों को वापिस लायें।
लाभः
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कमर को पतला व मेरुदण्ड को स्वस्थ एंव लचीला बनाता है।
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मधुमेह को नियंत्रण करने में सहायक।
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कब्ज, अपच व गैस को रोगियों के लिये लाभदायक।
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रक्त संचार, मस्तिष्क की तरफ होने से चेहरे की चमक बढ़ाता है।
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पेट की चर्बी कम करता है।
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बच्चों का कद बढ़ाने में सहायक।
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ज़ंघा व पिण्डलियों की माँसपेशियों को ताकतवर बनाता है।
सावधानियाँः
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श्वास नाक से लें और नाक से ही छोड़ें।
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पाँव न छुए जायें तो घबरायें नहीं और न ही जबरदस्ती छुने की कोशिश करें। निरन्तर अभ्यास से सफलता मिल जायेगी।
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सफलता उपरान्त हथेलियों को पैरों की साईड पर और मस्तक घुटनों से लगाने का प्रयास करें।
विशेषः
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उच्च रक्तचाप व स्लिप डिस्क के रोगी इसे न करें।
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गर्भवती महिलायें व मासिक धर्म के दिनों में अभ्यास न करें।
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शुरु के दिनों में अगर माँसपेशियों में थोड़ा ख़िचाव या हल्का हल्का दर्द महसूस हो तो घबरायें नहीं।
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योगाभ्यास हमेशा सहजभाव व प्रसन्न, शान्ति चित्त से ही करें।
नोटः
- योगाभ्यास शुरु करने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर योग्य शिक्षक की देख-रेख में ही अभ्यास करें।