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पश्चिमोत्तानासन कैसे करें?

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आधुनिक समय में अधिक समय तक लगातार बैठे-2 कार्य करते रहना दीर्ध अवधि तक टीवी देखना, कम्प्यूटर पर कार्य करना, नियमित समय पर भोजन न करना, अशान्त मन से भोजन करना, बिना चबाये जल्दी-2 भोजन निगल जाना, तैलीय मसालेदार, भारी भोजन का अधिक सेवन करना, शारिरिक श्रम न करना इत्यादि क्रिया कलाप हमारी दिनचर्या के अभिन्न अंग बन गये हैं। जिसके कारण मानव मोटापा, तनाव, कब्ज़, बवासीर जैसी कई बिमारियों के चंगुल में फंसता चला जा रहा है।

नियमित योगाभ्यास व आयुर्वेदिक ऋतुचर्या को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से कई बिमारियों से बचाव संभव है। आसनों की श्रृंखला में पश्चिमोत्तान आसन उर्पयुक्त रोगों को नियंत्रित करने में सहायक है। पश्चिमोत्तानासन शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द से हुई है। यह शक्द तीन शब्दों पश्चिम शरीर का पिछला हिस्सा (पीठ), उत्तान लगातार खींचना, (सीधा करना) व आसन बैठने की मुद्रा से मिलकर बना है। इस आसन में सम्पूर्ण शरीर का पिछला हिस्सा पूरी तरह से खिंच जाता है।

पश्चिमोत्तानासन से उदर की पेशियां संकुचित होकर स्वास्थ्य सुधरता है व पेट की चर्बी घट जाती है। यह आसन प्राणों को सुषुम्णा की ओर उन्मुख कर देता है जिससे कुण्डलिनी शक्ति का जागरण होता है।

विधिः

  • स्वच्छ वातावरण में समतल जगह पर आसन बिछा कर बैठें।
  • दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा व आपस में मिलाकर रखें।
  • श्वास भरते हुए बाजूओं को सीधा रखते हुए कानों के पास ले जायें व हथेलियाँ सामने रखें।
  • श्वास छोड़कर आगे की तरफ झुकें तथा हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ें व मस्तक माथा घुटनों को लगायें।
  • 5-10 सैकेंड तक रूकें व श्वास भरकर बाजू वापिस दोनों कानों के पास ले जायें। 3-5 मिनट तक करें।

लाभः

  1. जठराग्नि को बढ़ा पाचन शक्ति में वृद्धि करता है।

  2. कब्ज, गैस व अपच की समस्या दूर करने में सहायक है ।

  3. साईटिका में लाभकारी ।

  4. मोटापा कम करने में सहायक।

  5. बवासीर व मधुमेह रोगियों हेतु उपयोगी।

  6. निम्न रक्तचाप को सामान्य करने में सहायक।

सावधानियांः

  • श्वास पूरी तरह बाहर छोड़कर आगे झुकें, घुटने ज़मीन पर लगे रहें।

  • मोटापे बढ़ा पेट के कारण यदि पैर अँगूठा छूने में कठिनाई हो तो ज़बरदस्ती छूने की कोशिश न करें। निरंतर अभ्यास ही सफलता दिलायेगी।

  • उच्च रक्तचाप व पेट के अल्सर के रोगी इसे न करें। यदि कमर दर्द है तो डॉक्टर चिकित्सक से परामर्श के बाद ही करें।

विशेष

प्रशिक्षण प्राप्त योग विशेषज्ञ की देखरेख में आसन सीखना श्रेयस्कर व उपयोगी होगा।

  • शान्तचित्त व तनाव रहित होकर योगाभ्यास करें
  • ‘‘जितना करोगे योगाभ्यास, जीवन उतना बनेगा खास’’

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