प्रिकली हीट अर्थात् हमारी त्वचा में कई छोटी-छोटी स्वेद ग्रन्थियों के मुहँ बंद होने के कारण स्वेद (हीट) बाहर नहीं निकल पाती और यह छोटी-छोटी फुन्सियों का रूप धारण कर लेती है।
लक्षण:
यह फुन्सियाँ चुभने वाली व खुजली उत्पन्न करने वाली होती हैं तथा कई बार जलन भी पैदा कर देती हैं। प्रिकली हीट छोटे बच्चों में ज्यादा पाई जाती है, क्योंकि उनकी स्वेद ग्रंथि पूरी तरह से विकसित न होने के कारण स्वेद त्वचा के अंदर ही जमा होने लगती है और वहाँ चुभन, खुजली एवं जलन पैदा करती है। घमौरियाँ मुख्यतः पीठ, गर्दन, चेहरे, हाथ-पैरों, सीने व जांघ में उत्पन्न होती हैं।
गर्मी के दिनों में बाहरी वातावरण में गर्मी या उमस बढ़ने के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है। यह कोई खतरनाक बीमारी नहीं है परंतु खुजली, जलन व चुभन के कारण असहज स्थिति बना देती है।
बचाव व सामान्य उपचार:
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गर्मी से बचकर रहना चाहिए।
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सिंथेटिक फैब्रिक से बने वस्त्र ना पहनें।
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सूती और ढ़ीले वस्त्र पहनें।
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उचित शारीरिक साफ-सफाई रखनी चाहिए।
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ठंडे पानी से नहाना चाहिए।
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ठंडे पानी का सेवन करें।
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ठंडी हवा या ठंडे वातावरण में रहना और कुछ प्रसाधनों का प्रयोग घमौरियों को कम करता है। कई बार यह कुछ दिनों के अंदर अपने आप कम हो जाती हैं, पर जलन, खुजली व चुभन जैसी पीड़ा को कम करने के लिए कुछ घरेलू उपचारों का भी काफी फायदा होता है।
घरेलू उपचार:
ठंडे गुण (स्वभाव) वाले फलां का सेवन जैसे - तरबूज़, खीरा, खरबूजा, गन्ने का रस, नींबू पानी, ठंडाई, लस्सी इत्यादि का सेवन ज्यादा आराम देता है।
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गुलकंद का सेवन रोज 1-1 चम्मच तथा दिन में 3 बार सेवन करें अथवा दूध में मिलाकर सेवन करना फायदेमंद है।
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खस के शरबत व नींबू पानी का सेवन भी शरीर की गर्मी को कम करता है और प्रिकली हीट में फायदेमंद है।
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चंदन पाउडर, खस पाउडर, मुलैठी के चूर्ण व गुलाब की पंखुड़ियों के चूर्ण का सेवन करना फायदेमंद है।
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तरबूज़ या पपीते का गूदा घमौरियों पर लगाएं व 30 मिनट के बाद धो लें। इससे भी घमौरियों की वजह से होने वाली जलन-चुभन कम होती है।
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बर्फ से हल्का मसाज करने से भी फायदा होता है।
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आलू की पतली स्लाइस करके प्रभावित स्थान पर हल्के-हल्के रगड़ें ।
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हल्दी और शहद में एन्टी ऑक्सीडेन्ट के साथ जीवाणु प्रतिरोधक क्षमता भी है। अतः हल्दी और शहद का पेस्ट घमौरियों पर लगाएं और 30 मिनट के बाद धो लें।