हम सभी ने अपने जीवन में तनाव का अनुभव किया है, जिसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे- रुपये-पैसों की चिंता, पारिवारिक परेशानी, काम का बोझ आदि। पर्यावरण से जुड़े कई कारणों से भी तनाव हो सकता है, जैसे- सूर्य की रोशनी और हवा की कमी, खाने - पीने की चीजों से निकलने वाले रसायन और कैफीन, तंबाकू और शराब जैसी चीजों का सेवन जो उत्तेजना पैदा करती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, तनाव एक ऐसी अवस्था है जिसमें मन असंतुलित हो जाता है। मन को तभी संतुलित माना जाता है जब वो उत्तेजित ना हो और स्थिर हो। जब मन शांत और स्थिर होता है, तब व्यक्ति कुछ इस तरह से काम करने या व्यवहार करने को सबसे सक्षम होता है जिससे वो अपना मानिसक संतुलन बनाए रखने में सफल होता है।
विशेष रूप से, मन की तीन अवस्थाएँ और गुण होते हैं जिन्हें सत्त्व , रजस और तमस के नाम से जाना जाता है। मानसिक विकार या असंतुलन तब होता हैं जब "सत्त्व" की मात्रा घटती है और "रजस" और "तमस की मात्रा बढ़ती है। जब सत्त्व घटता है तब मानसिक शक्ति, दृढ़ संकल्प शक्ति और भेदभाव करने की क्षमता यानि सही -गलत में अंतर करने की क्षमता में भी कमी आती है। जब ऐसी स्थिति लंबे समय तक रहती है तब मन तनावग्रस्त हो जाता है। जिससे चिंता, अवसाद, भय, घबराहट और अन्य तरह के मानसिक विकार हो पैदा हो जाते हैं।
जैसा कि पहले भी बताया गया है कि इस तेजी से भागते-दौड़ते युग में हम सभी को थोड़े तनाव का सामना करना ही पड़ता है। हम में से कुछ दूसरों की तुलना में तनाव को बेहतर तरीके से संभाल ले जाते हैं। अपने जीवन में हम ऐसी परिस्थितियों से गुजरते हैं जब हम बड़ी कुशलता से बहुत ज्यादा तनाव से निपटने में कामयाब हो जाते हैं। ऐसे अवसर भी होते हैं जब थोड़े तनाव से उबर पाना मुश्किल हो जाता है। ये सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उस घड़ी हममें सत्त्व मात्रा कितनी है।
जब सत्त्व की मात्रा अधिक होती है तब व्यक्ति शांत, विचारशील, शांत, सहिष्णु होता है और सकारात्मक नजरिया पेश करता है या रखता है। दूसरी ओर, "रजस" और "तमस" की अधिकता होने पर व्यक्ति निराशा, नाउम्मीदगी, बेसब्री , भय और चिंता से घिर जाता है। ऐसी स्थिति में, एक व्यक्ति भ्रमित, आलसी हो जाता है और उसकी मानसिक शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसा व्यक्ति नकारात्मक दृष्टिकोण रखने लगता है और मानसिक तनाव से उबरने में असमर्थ हो जाताहै ।
तो कुल मिलाकर देखा जाए तो किसी भी व्यक्ति को सत्त्व की अधिकता पर ध्यान देना चाहिए और रजस और तमस को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। "रजस" और "तमस" भी कई तरह से हमारी शारीरिक क्रियाओं में अहम भूमिका निभाते हैं। जैसे- काम करना (यानि किसी काम को करने का जुनून) और सोना । जब "सत्त्व" की मात्रा अधिक होती है तब "रजस" और "तमस" से जुड़ी चीजों पर भी सकारात्मक प्रभाव होता है और इस स्थिति में ये संतुलन लाने और बेहतर सेहत पाने में मददगार साबित होते हैं।
जैसे कि किसी बिजनेस कॉन्ट्रैक्ट को लेकर हो रही चर्चा के दौरान व्यक्ति आवेश में आ जाता है या फिर वो उत्साह दिखाता है तो ये रजस के कारण होता है, पर "सत्त्व" की मात्रा अधिक हो तो व्यक्ति सामान्य स्थिति में आ जाता है। या अगर दूसरे शब्दों में, कहें तो नकारात्मक भावनाएँ केवल बाहरी रूप से दिखाई देती हैं और आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुँचती हैं।
"सत्त्व" की कमी हो तो आपकी क्रियाएँ नकारात्मक हो जाती हैं और एक असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति "रजस" या "तमस" के कारण गलत तरीके से पेश आने लगता है, जैसे व्यक्ति लड़ने के दौरान हमलावर हो जाता है, चाकू मार देता है, अपने परिवार के प्रति ईर्ष्या महसूस करने लगता है, अपने से छोटों या जूनियर्स का शोषण करने लगता है, उनके साथ हिंसा करने लगता है या उनकी हत्या तक कर देता है। इसलिए "सत्त्व" अवस्था मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में बहुत मददगार होती है।
नीचे "सत्त्व" बढ़ाने के कुछ तरीके दिए गए हैं, जिसके पालन से परिणाम बहुत तेजी से मिलते हैं
आयुर्वेद में, भोजन को दिमाग और शरीर दोनों पर एक गहरा असर डालने वाली चीज के तौर पर देखा जाता है। तनाव को कम करने के लिए ऐसी खाने-पानी की चीजों का प्रयोग करना चाहिए जो "सत्त्व" की मात्रा को बढ़ा सके । ताजे फल, फलों के रस, सब्जियां (कच्चे, पके हुए या उबले हुए), सब्जियों के जूस, अंकुरित अनाज, बादाम, ड्राई फ्रूट्स, शहद, दूध, घी, ताजा मक्खन और छाछ का सेवन 'सत्त्व' को बढ़ाने के लिए सबसे अच्छे माने जाते है। दुकानों में मिलने वाले फल जो कि रेफ़रिजेरेट किए गए हों ऐसे फलों से बचें, ताजा मौसमी फलों को खाएँ
हो सके तो ब्लैक टी, कॉफी, मैदे से बने सामानों, चॉकलेट, चीनी से बने उत्पादों, तले हुए भोजन और गर्म मसालों के प्रयोग से बचें। ये चीजें "रजस" को बढ़ाती हैं।
ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें कोई जीवन ऊर्जा नहीं होती वो "तमस" को बढ़ाने वाले होते हैं। इनमें माँस, मछली, अंडे और ऐसी चीजें शामिल होती हैं जो खराब हो जाती हैं या उनमें रसायन पाए जाते हैं। ये चीजें शरीर को तो पोषण देती हैं पर दिमाग पर इनका हानिकारक प्रभाव होता है।
आयुर्वेद व्यक्ति की पूरी तरह से देखभाल करता है जैसे कि शरीर, मन, आत्मा की शुद्धि, आयुर्वेद इसलिए शाकाहार की सलाह देता है। शाकाहारी भोजन का मतलब बेस्वाद या कच्ची सब्जियाँ और सलाद नहीं है। आयुर्वेद में स्वादिष्ट व्यंजनों की बड़ी लिस्ट है जो तैयार करने में आसान हैं और शरीर पर उसका सात्विक प्रभाव पड़ता है।
सांस लेने का मन के साथ बहुत गहरा संबंध है। चिंतित होने या तनाव होने पर व्यक्ति बहुत जल्दी जल्दी और हल्की सांस लेता है और आराम से रहने पर और खुश होने पर गहरी साँस लेता है। अगली बार जब आपको टेंशन हो तो तो अपनी सांसों पर जरूर ध्यान दें आप। गहरी साँसें लेने का प्रयास करें। शांत और आरामदायक स्थान को चुनकर पेट की मांसपेशियों का प्रयोग करते हुए गहरी साँसें लें। इस प्रयोग से आपको तुरंत आराम मिलेगा। बिजी होने के बावजूद भी बीच-बीच में नियमित अंतराल पर समय निकालकर शांत मन होकर गहरी साँस लें।
व्यायाम करना सिर्फ शरीर के लिए अच्छा है बल्कि ये मन को भी शांत करता है, उसे तरोताजा करता है। इससे रक्त में हार्मोन के बढ़ने में मदद मिलती है जो मन की दशाओं को बेहतर करने का काम करती हैं। इसलिए सुबह के समय रोज अपनी ताकत के अनुसार व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। व्यायाम ऐसा करें जिससे शरीर का हर अंग प्रभावित हो। दिन की शुरुआत करने के लिए तेज गति से चलना एक अच्छा व्यायाम है। योग भी व्यायाम का एक बहुत अच्छा स्वरूप है । इनडोर गेम्स खेलने और पानी में तैरने से भी ताजगी मिलती है।
ध्यान करना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी वस्तु पर एक निर्धारित समय तक मन को केन्द्रित किया जाता है और ये मन और विचारों को शांत करने का एक तरीका है। ध्यान करने के लिए किसी चीज़, चित्र,मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है। ध्यान करते समय व्यक्ति को पद्मासन मुद्रा या आरामदायक मुद्रा में बैठना चाहिए। हाल में किए गए शोध के मुताबिक ये पाया गया है कि ध्यान करने से गहरी सांस लेने में और ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रखने में, मांसपेशियों को आराम देने में, चिंता और तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
काम के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक जरूर लें ताकि दिमाग को आराम मिले। "शवासाना" मुद्रा में योग करना शरीर को आराम देता है। इसके लिए पीठ के बल लेट जाएं, पैरों को हाथ से दूर रखते हुए 15 डिग्री कोण बनाएं। शरीर की सभी मांसपेशियों को आराम दें। अपनी आंखें बंद करके सांसों पर ध्यान दें । गहरी सांस लें और अपनी सांसों की गति पर ध्यान दें। दिन में एक या दो बार पांच मिनट के लिए इस मुद्रा में जरूर रहें।
अपनी पसंदीदा खुशबू का इस्तेमाल करें, मनपसंद संगीत सुनते हुए या फिर मंत्र जप करते हुए और प्रार्थना करते हुए सिर की मालिश तेल से या फिर यूँ ही करें या कराएं। इससे मन को आराम मिलता है।
सप्ताह में कम से कम एक बार शरीर पर तेल लगाने से शरीर और दिमाग को आराम मिलता है। माथे पर तेल डालने से नसों और सिर में पैदा होने वाले तनाव में आराम मिलता है। यदि आपके पास आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों जैसे ब्राह्मी या शंखपुष्पी का पाउडर है तो आप इसका प्रयोग भी कर सकते हैं।
खुद को तनाव देने वाली चीजों का रिकॉर्ड रखते हुए उसे अपनी रूटीन से दूर करें, इससे तनाव कम होगा। आम तौर पर हम अतीत में या भविष्य में जीते रहते हैं या उसकी चिंता में रहते हैं जबकि हमें वर्तमान का अंदाजा भी नहीं होता। इसलिए लाभदायक यही है कि हम वर्तमान पर ध्यान दें । इससे हमें नकारात्मक विचारों और तनाव के लिए जिम्मेदार अन्य कारणों को जानने में मदद मिलती है और फिर हम तर्कसंगत और सकारात्मक सोच रखकर इन्हें खत्म करने का प्रयास कर सकते हैं।
"सत्त्व" की अवस्था को बढ़ाने और इसे स्थिर करने का एक और तरीका है कि आप खुद को जानें और समझें। आध्यात्मिक किताबें पढ़ना और आध्यात्मिकता की खोज करना तनाव को कम करने में मदद करता है।
ये सभी उपचार मानसिक तनाव से तुरंत कुछ राहत दिलाते हैं पर यह भी जरूरी है कि आप इन्हें अपनी रूटीन का हिस्सा बना लें । यह आपके दिमाग को "सत्त्व" बेहतर अवस्था में रखेगा और आप हमेशा स्वस्थ, खुश और शांतिपूर्ण रहेंगे।
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