डॉ. दादी कहती हैं, ‘‘पुराने समय में लोग भले ही घी-दूध खूब खाते-पीते हों, लेकिन वो उतनी ही मेहनत भी करते थे। उनकी जठराग्नि (भोजन को पचाने वाली ऊर्जा) बहुत बढ़िया होती थी और शरीर में आम को बढ़ने ही नहीं देती थी।’’ खराब पाचन तंत्र, शरीर में आम (विषैले तत्वों) बनने का कारण होता है और वात की अधिकता इन विषैल पदार्थों को शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाती है, जिसके परिणामस्वरूप जोड़ों पर जमा होकर यह आमवात बनाता है।
यहां पर डॉ. दादी आपको कुछ आसान से घरेलू नुस्खे बता रही हैं, जो इस रोग से पीड़ित लोगों के लिए बेहद फायदेमंद हैं।
घरेलू नुस्खे
-
पिसी हुई पिप्पली, काली मिर्च और सौंठ को बराबर मात्रा में मिला लें। इस तरह तैयार चूर्ण को दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ लें।
-
पिप्पली, पिप्पली की जड़ या पिप्पलीमूल, चव्य और सौंठ सबके दो बड़े चम्मच (टेबल स्पून) लें। इसे 4 लीटर पानी या दूध में आधा रह जाने तक उबालें। छानकर कर रख लें, जब भी प्यास लगे इसे पिएं।
-
रेत से सूखी सिकाई करना इस रोग के लिए बहुत फायदेमंद है। कपड़े की चार तह बना लें, इसके बीच में रेत रखें और इसकी एक पोटली-सी बना लें। इस पोटली से दर्द वाले जोड़ पर दबाव के साथ सिकाई करें, ताकि जोड़ों पर जमा हुआ अतिरिक्त आम पिघल जाए। पोटली को गर्म करके सिकाई करें, पोटली को तवे पर रखकर गर्म करें।
-
रोज सुबह लहसुन की 2 छिली हुई कलियां पानी के साथ लें।
-
सप्ताह में एक या दो बार सोने से पहले अरण्डी के तेल का सेवन करें। यह आम (विषैल तत्वों) को हटाने और वात को संतुलित करने में मददगार है।
-
मेथी, हल्दी और अदरक को बराबर मात्रा में पीस लें। एक छोटी चम्मच सुबह-शाम सेवन करें।
नोट :
इन नुस्खों को आजमाने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले लें। कृपया याद रखें, घरेलू उपचार को दवाओं के स्थान पर प्रयुक्त नही किया जा सकता। अगर इससे आपकी हालत में सुधार नही आता है, तो किसी चिकित्सक की मदद अवश्य लें।