यौन संचारित रोगों से पर्दा करने की बजाय उनका इलाज आवश्यक है। ऐसे में इनके लक्षण देखते ही चिकित्सक से परामर्श ज़रूर लें।
एसटीडी शब्द का उपयोग उन रोगों के लिए होता है जो सेक्स के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित होते हैं।
प्रमुख यौन संचारित रोग:
यौन क्रियाओं से होने वाला संक्रमण महिलाओं व पुरुषों, दोनों में आम हैं। यूं तो इस समूह में कई रोग शामिल हैं, लेकिन नीचे दिए गए ये रोग प्रधान हैं-
उपदंश (सिफिलिस):
सिफिलिस एक ऐसा यौन संचारित रोग (एसटीडी) है जो ट्रिपोनीमा पैलीडियम नामक जीवाणु से होता है।
सुजाक (गोनोरिया):
गोनोरिया, निसेरिया गोनोरीए नामक बैक्टीरिया से होता है। यह बहुत तेजी से फैलता है। यह आपके गले, मूत्र नली, योनि और गुदा को संक्रमित कर सकता है।
जेनिटल वार्ट्स:
यानि जननांगों पर मस्से। इसका कारण ह्यूमन पैपीलोमावायरस (एचपीवी) है। यह पूरे विश्व में सबसे आम पाया जाने वाला यौन संचारित रोग है।
एड्स:
ये रोग एचआईवी यानि ह्यूमन इम्यूनोडेफिसिएन्सी वायरस के कारण फैलता है।
इन सबके अलावा कुछ अन्य संक्रमण इस प्रकार हैं-
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कैन्डिडा
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बैक्टीरियल वेजिनोसिस
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ट्राइकोमोनिएसिस
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लिफोग्रेन्युलोमा बेनेरियम
एसटीडी रोग के लक्षण:
यौन संचारित रोगों से पर्दा करने की बजाय उनका इलाज आवश्यक है। ऐसे में इनके लक्षण देखते ही चिकित्सक से परामर्श ज़रूर लें। आइए जानें इनके मुख्य लक्षण-
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औरतों में योनि के आसपास खुजली अथवा योनि से स्राव
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पुरूषों में लिंग से स्राव सम्भोग के समय अथवा मूत्र त्याग के समय पीड़ा
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जननेन्द्रिय के आसपास पीड़ा विहीन लाल जख़्म
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जननेन्द्रिय के आसपास मुलायम त्वचा के रंग वाले मस्से
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अप्राकृतिक संबंधों के कारण गुदा के आसपास पीड़ा
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थकावट, रात को पसीना निकलना और वजन का घटना
कैसे करें बचाव:
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एसटीडी का इलाज उसके प्रकार पर निर्भर करता है। वैसे इन बीमारियों से बचने का एकमात्र तरीका संयम तथा साथी के साथ वफादारी है।
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इसके अलावा रोकथाम के लिए यौन प्रक्रिया से पहले कंडोम का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही शारीरिक संबंध स्थापित करने के बाद जननांगों की सफाई ज़रूर करें।
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शर्म, संकोच या डर जैसी चीज़ों को त्याग कर चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।