शिरोवस्ति में महानारायण तेल, चन्दनादि तेल, धांवंतर तेल, क्षीरबला तेल इत्यादि में से कोई भी आवश्यकतानुसार एक-डे़ढ़़ लीटर तेल लिया जाता है और फिर इसे गुनगुना या हल्का गर्म करके सिर पर डाला जाता है। इस क्रिया से केवल मस्तिष्क ही नहीं बल्कि बालों की समस्याएं जैसे बालों का झड़ना, असमय पकना आदि से भी निजात मिल सकती हैं।
शिरोवस्ति.....शिरो यानि सिर और वस्ति यानि पात्र। इस थैरेपी में सिर के ऊपर टोपी के आकार में बनाया गया चमड़े का पात्र रखा जाता है और उसके अंदर हर्बल या औषधी युक्त तेल को डाला जाता है। इस पात्र की मदद से तेल सिर के बीचों-बीच टिका रहता है और बाहर गिरता नहीं है। ये ट्रीटमेंट माइग्रेन, सिरदर्द, अवसाद व अन्य मानसिक बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा तनाव भी कम होता है साथ ही इम्यूनिटी के बढ़ने से मनौदैहिक बीमारियों से भी बचाव होता है।
क्यों शिरोवस्ति:
आयुर्वेद में इंसान के शरीर को उल्टे पेड़ की तरह माना गया है जिसमें जड़ें ऊपर और शाखाएं नीचे की ओर होती है। यानि मस्तिष्क हो गया जड़, सीने व पेट का हिस्सा हो गया तना व बाकि के अंग हो गए शाखाओं के समान। जिस प्रकार एक मजबूत पेड़ की जड़ों से सारा पोषण उसके तने व शाखाओं तक पहुंचता है, उसी प्रकार इस शरीर रूपी पेड़ को भी मस्तिष्क संचालित करता है। आयुर्वेद में इसे उत्तमांग यानि सर्वश्रेष्ठ अंग के नाम से भी पुकारा जाता है। शरीर व मस्तिष्क संबंधी किसी भी बीमारी को दूर करने के लिए उत्तमांग को इलाज व औषधी के जरिए ठीक करना जरूरी है।
कब होती है जरूरत:
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सिर दर्द
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माइग्रेन
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चिंताध्तनाव
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उच्च रक्तचाप
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थकान
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अनिद्रा
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चेहरे पर लकवा
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नाक में शुष्कपन- सिर की त्वचा की जलन बहरापन
अवधि:
आयुर्वेदिक संदर्भ में, यह ट्रीटमेंट वात रोगों में लाभकारी है। हालांकि यह अन्य दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है लेकिन उपचार की अधिकतम अवधि वात में है। इस उपचार में लगभग 40 से 60 मिनट के आस-पास का समय लग जाता है। वैसे यह समय हर व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है।
अन्य फायदे:
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शिरोवस्ति से दर्द कम होता है।
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अनिद्रा की समस्या कम होती है, मस्तिष्क को आराम मिलता है।
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यदि आप चिंता, तनाव या अवसाद की स्थिति से गुजर रहे हैं तो इसमें भी शिरोवस्ति ट्रीटमेंट काफी लाभदायक है।
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त्वचा संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं।