सर्दियों में अचानक होने वाले जोड़ों के दर्द। आयुर्वेद की मदद से शरीर के जोड़ों को बचाने के उपाय।
श्लेष्का कफ यानी सिनोविल फ्लूड जिसे आम भाषा में जोड़ों के बीच का द्रव्य कहा जाता है वह हमारी हड्डियों और जोड़ों की गतिविधियों में मदद करता है। सर्दियों का मौसम एक तरह से वात दोष का मौसम है, यह सूखापन लाता है इसलिए सर्दियों का मौसम जोड़ों के लिए नुकसानदायक है।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ गठिया और वैसी ही दूसरी दिक्कतें जैसे ऑस्थियोअर्थराइटिस, गाउट, इडियोपैथिक अर्थराइटिस वगैरह होना आम बात है जो सर्दियों में बहुत दर्द देते हैं।
कफ के ऊपर शरीर के ऊतकों यानी टिश्यूज़, शरीर में बहने वाले द्रव्य, उसके लचीलेपन और मजबूती को बनाए रखने की जिम्मेदारी है। यह सारी चीजें जोड़ों को सेहतमंद रखने के लिए बहुत जरूरी हैं। इसी वजह से सर्दियों के मौसम में तो कफ को संतुलित करने वाला आहार ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लेना बहुत जरूरी है।
भिंडी, अंकुरित चीजें, कद्दू के बीज, पालक और राजमा जैसी खाने-पीने की चीज़ें शरीर के श्लेष्का कफ को संतुलित कर देती हैं और जोड़ों को दर्द से मुक्ति दिलाती हैं।
गर्म लेप लगाकर मालिश करने से भी मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। इस लेप को ही आयुर्वेद में पोटली कहा जाता है, यह घर पर आसानी से बनाई जा सकती है। कंधे जाम होने पर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर या गठिया समेत जोड़ों और मांसपेशियों के किसी भी तरह के दर्द में यह राहत पहुँचाती है।
एक साफ मलमल या सूती कपड़ा, 1 कप चावल का आटा, 3 चम्मच कद्दूकस किया हुआ अदरक, 1 चम्मच इलायची पाउडर, 1 चम्मच लौंग पाउडर और 1 चम्मच सेंधा नमक लें। इनको बाँधकर पोटली बना लें। एक पैन में 1 कप तिल का तेल हल्का गर्म कर लें। अब इस तेल में पोटली को डालें। इसके बाद पोटली की गर्माहट देखकर इसे अपने जोड़ों पर लगाएँ। ऐसा करने से जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को आराम मिलेगा, खून का दौरा बढ़ेगा और चमत्कारी तरीके से दर्द दूर हो जाएगा। जीवा की दर्द दूर करने वाली पोटली जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में बहुत राहत पहुँचाती है।
जोड़ों को लचीला बनाने के लिए मर्जरीआसन, बालाआसन, गौमुखासन जैसे योगासन बहुत फायदेमंद हैं। यह ध्यान जरूर रखिए कि जोड़ों का दर्द हो रहा हो तो इन आसनों को कभी मत करिए। इन योगासनों को रोज़ करने से यह आपके जोड़ों को लचीला और मजबूत बनाए रखेंगे।
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