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एक आसान परिदृश्य सोचिए। सोचिए कि आप जल्दी ही छुट्टियों पर जाने वाले हैं। उस वक्त आपके दिमाग में क्या आएगा? ज्य़ादातर लोगों के लिये इसकी शुरुआत होगी हवाई जहाज की टिकट की बुकिंग से, होटल बुकिंग और एयरपोर्ट तक जाने की परिवहन व्यवस्था से। कपड़े, पैसे, मोज़े, कैमरा, धूप का चश्मा और भी बहुत कुछ होगा। अगर आप ज्य़ादा सतर्क हुए तो आप यात्रा बीमा भी करवा लेंगे। यह सब कुछ आसान सी यात्रा के लिए है, क्यों है न?
क्या आप होने वाले बच्चे के लिए जो कर रहे हैं वो काफी है?
मुद्दा ये है कि अगर हम अपनी छुट्टियों के लिए इतनी योजनाएँ बनाते हैं, तो गर्भावस्था के दौरान इतना क्यों नहीं सोचते?
अगर आप देखें तो बचपन में होने वाली कुछ घटनाएं जैसे एडीडी यानि अटेंशन डेफिसिट डिसॉर्डर, इसमें बच्चे में ध्यान की कमी होती है, ओडीडी यानि अपोज़ीश्नल डेफिएंट डिसॉर्डर, इसमें बच्चा बहुत ज्यादा उद्दंडी होता है, ज़रूरत से ज्यादा क्रियाशील, एलर्जी, शरीर की कमजोर रक्षा प्रणाली और सीखने में दिक्कत आना जैसी परेशानियाँ सामान्य होती हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है यह चीज़ें उसकी बुरी आदत बनती चली जाती हैं। ये सारी बातें कमज़ोर नींव होने की वजह से होती हैं जो उसके व्यक्तित्व और व्यवहार से जुड़ी हैं।
आयुर्वेद के मुताबिक बच्चे को जन्म देना प्रकृति का तोहफा है जिसको हमें जिम्मेदारी के साथ अपनाना चाहिए। जिस तरह उपजाऊ जमीन पर सही समय पर बीज बोए जाते हैं जिससे प्रकृति उसको पोषण देकर एक विशाल और मजबूत पेड़ बनाती है, उसी तरह से बच्चे को जन्म देने की योजना भी सही परिस्थितियों में बनानी चाहिए।
यहाँ तक कि एक उपजाऊ ज़मीन जो पूरी तरह से तैयार ना हो, वह भी सेहतमंद पेड़ को तैयार नहीं कर पाती है। बच्चे को जन्म देने से पहले शरीर और मनको पूरी तरह से तैयार करने के लिए आयुर्वेद काफी मदद करता है।
जब शरीर के अंदर रहने वाला रस और रक्त शुद्ध रहते हैं तो वह अंबु यानि पोषण से भरा हुआ तरल बनाते हैं। अंबु शरीर की 7 धातुओं को बनाता है जो हमारे शरीर में ओज का निर्माण करते हैं।
जब ओज, शुद्ध और मजबूत बीज यानि पुरुष और महिला के प्रजनन तरल के साथ मिलता है तो यह गर्भ में एक सेहतमंद भ्रूण तैयार करता है। अपने लक्ष्यको पाने के लिए दंपतियों को आयुर्वेद खास औषधियों, योग और सटीक आहार की सलाह देता है। आयुर्वेद के ग्रंथ में कुछ हिस्से ऐसे हैं जिसमें इसके बारे में विस्तार से बताया गया है, जिसको गर्भिणी व्याकरण कहा जाता है, यह ऐसे दिशा निर्देश हैं जिसमें बताया गया है कि कैसे पुरुष और महिला की ऊर्जाएं मिलकर एक नये जीवन को इस धरती पर जन्म देती हैं।
आजकल के दौर में ज्य़ादातर पेशवर युगल अपने काम की मजबूरियों की वजह से गर्भावस्था से पहले की तैयारियों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। शुक्र है कि यहाँ कुछ आसान पूर्वसंस्कार कार्यक्रम हैं जो बिना किसी दिक्कतों के गर्भधारण के आयुर्वेदिक उपचार बताते हैं।
इन कार्यक्रमों में काम में व्यस्त रहने वाले युगलों के लिए आयुर्वेदिक योजनाएँ और तैयारियाँ हैं। जीवा आयुरबेबी एक ऐसा ही पूर्वसंस्कार कार्यक्रम है जो व्यस्त रहने वाले युगलों के लिए बनाया गया है। यह 5000 साल पुराने वैदिक ज्ञान और जन्म देने के आधुनिक विज्ञान के फायदों से तैयार किया गया है, यह कार्यक्रम पेट और प्रजनन प्रणाली को पूरी तरह से शुद्ध करता है, सभी शारीरिक और मानसिक पहलुओं को मजबूती देता है और प्रजनन ऊतकों को नई ऊर्जा देकर एक आदर्श माहौल में भ्रूण को विकसित करता है।
बच्चे को जन्म देना जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण फैसला होता है। शुचिता से भरे हुए बच्चे जीवन की सभी विलासिताओं से ज्य़ादा कीमती होते हैं और पैसे से उसे खरीदा नहीं जा सकता। सही फैसला लें और आयुर्वेद के साथ मिलकर तैयारी करें।
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