पुरातन काल से ही भारत को उसके मसालों के लिए जाना जाता रहा है। वास्तव में कई खोजकर्ताओं को भारतीय मसालों के आकर्षण ने ही भारत में घुसपैठ के लिए मजबूर किया। आज भी भारतीय रसोईघर को मसालों के बिना अधूरा माना जाता है। मसालों को खाने से पहले,खाने के बीच में या फिर उसके बाद लिया जा सकता है। आप इसे घी या खाना पकाने वाले तेल में हल्का तल कर सब्जियों, दाल या करी में इस्तेमाल कर सकते हैं। इन मसालों के पाउडर को भोजन को सजाने, सलाद में डालकर या पौष्टिक पेय के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है
मसालों पर आयुर्वेद का नज़रिया:
आयुर्वेद के मुताबिक मसाले पाचन और भोजन के सही आंकलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, साथ ही यह पाचन अग्नि को संतुलित रखते हैं। गरिष्ठ भोजन को पकाने के दौरान मसालों का इस्तेमाल बहुत ज्य़ादा महत्वपूर्ण होता है। अगर गरिष्ठ भोजन सटीक मसालों के बगैर पकाए गए तो ये आम यानि विष बनाते हैं और शरीर के स्रोतों में बाधा बनते हैं। अक्सर शरीर से आम को साफ करने के लिए ख़ास मसालों की मदद भी ली जाती है।
5 मसाले जो रसोईघर में होने ही चाहिए:
हम आपको कुछ ऐसे खास आयुर्वेदिक मसालों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आमतौर पर इस्तेमाल में लाए जाते हैं, यह मसाले खाना पकाने के दौरान इस्तेमाल होते हैं, यह ना सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि यह उसको पौष्टिक और संतुलित भी बनाते हैं।
धनिया:
सूखी धनिया सच में किसी भी खाना पकाने वाले की पक्की दोस्त है, क्योंकि खाना पकाने के दौरान ये दूसरी जड़ी बूटियों और मसालों के साथ मिल जाती है। इसका असर शरीर के सभी दोषों पर पड़ता है, आयुर्वेद में यह मसाला शरीर और मन को संतुलित करने के लिए सबसे बढ़िया माना जाता है। पाचन तंत्र, सांस लेने की प्रणाली, मूत्र विकारों और पित्त की वजह से होने वाली त्वचा की समस्याओं में भी धनिया फायदा पहुंचाता है।
अदरक:
अदरक तो किसी भी रसोईघर का सबसे अहम अंग है, अदरक किसी भी व्यंजन में स्वाद और तीखापन लाता है और बेहतर पाचन के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। अदरक के औषधीय गुणों को देखते हुए इसे सार्वभौमिक दवा के तौर पर देखा जाता है, कफ और वात की अधिकता से होने वाली सांस से संबंधित बीमारियों में अदरक एक बेहतरीन औषधि साबित होती है। सब्जियों और दालों से अलग इस स्फूर्तिदायक मसाले का इस्तेमाल सर्दी-खांसी होने पर हर्बल चाय के तौर पर भी किया जाता है।
जीरा:
इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने, करी या दाल में तड़का लगाने के लिए होता है, जीरे की पहचान है उसका खुशबूदार होना । यह मसाला पाचन से जुड़ी परेशानियों में पाचन की शक्ति बढ़ाने और कई मामलों में एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है। यह लीवर और पैनक्रियाज़ की कार्यप्रणाली को मज़बूती देता है, यह शरीर में जमे हुए विष को बाहर निकालता है और पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से सोखता है।
मेथी:
अपने औषधीय गुणों की वजह से मेथी बहुत ही कीमती मसाला है। यह पाचन, सांस लेने की प्रणाली, तंत्रिका तंत्र, मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियों में राहत पहुंचाता है, साथ ही साथ यह त्वचा से गंदगी हटाता है और वज़न कम करने में भी मददगार है। रातभर भिगोकर रखे गए मेथी दानों के साथ पानी पीने से शरीर के ब्लड शुगर का स्तर कम होता है। कसैले-मीठे स्वाद वाले मेथी दानों का इस्तेमाल भारतीय पकवानों, सब्जियों और दालों में किया जाता है।
हल्दी:
इसको भारतीय केसर भी कहा जाता है, हल्दी का स्वाद थोड़ा कसैला और तेज़ होता है। सदियों से हल्दी को उसके औषधीय गुणों की वजह से पहचाना जाता रहा है, इसमें एंटी ऑक्सिडेंट, एंटी इंफ्लेमेट्री और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। हल्दी को भारतीय पकवानों के एक अभिन्न हिस्से की तरह देखा जाता है, भोजन पकाने में हल्दी का इस्तेमाल पाचन को मजबूत बनाता है और शरीर से अतिरिक्त वसा को कम करता है।