बवासीर आंतरिक (अगर गुदा के अंदर मौजूद हो) या बाहरी (यदि बवासीर ज्यादा फ़ैल जाए और गुदा क्षेत्र के बाहर भी मौजूद हो), दो प्रकार का होता है।
बवासीर के लक्षण:
बवासीर के कारण बहुत सी परेशानियाँ हो सकती हैं, इसलिए आपको इसके लक्षण पता होने चाहिए। तो कुछ मुख्य लक्षण जान लीजिये:
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मलत्याग के दौरान रक्तस्राव।
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मलत्याग के दौरान दर्द व जलन होना ।
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ठीक से मलत्याग ना होना।
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गुदा के अंदर व आस-पास जलन होना।
अगर पाइल्स का शीघ्र ही इलाज या नियंत्रण नहीं किया जाता तो रक्तहीनता, गुदा और कोलोरेक्टल कैंसर होने की भी सम्भावना है।
कब्ज पाचन में गड़बड़ी का मुख्य कारण है और इससे बवासीर की सम्भावना बढ़ जाती है। यह मलत्याग में कठिनाई और तनाव पैदा करता है और जब अत्यधिक ठोस मल गुदे से गुजरता है तो जलन और सूजन बढ़ने लगती है। इसीलिए, बवासीर से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले कब्ज का निवारण करना जरूरी है।
आयुर्वेद में बवासीर को रोकने और खत्म करने के कुछ प्रभावी तरीके हैं। चूँकि आयुर्वेद विज्ञान मरीज को दीर्घकालिक लाभ और राहत देने में यकीन रखता है, आप आयुर्वेदिक औषधि त्रिफला चूरन का प्रयोग कर सकते हैं। यह बवासीर के दर्द में तुरंत असरदार और कष्ट निवारक है।
पाइल्स में क्यों है गुणकारी त्रिफला?
त्रिफला एक बेहद ही गुणकारी औषधि है। आंतरिक, बाहरी, खून वाली, बिना खून वाली - यह हर प्रकार की पाइल्स (बवासीर) के निवारण में उपयोगी है:
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यह मल को नरम करके कब्ज से राहत दिलाता है, जिससे वह गुदे से आसानी से बाहर आ जाता है और आपको जलन या सूजन नहीं होती।
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यह नसों में खून के असाधारण जमाव को कम करता है।
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गुदा और गुदाशय की नसों को लचीला बनाता है, जिससे उनमें रक्त स्राव सही से हो सके।
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यह मल के संचार को नियमित करता है और उसकी निकासी में भी मदद करता है।
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दूसरी लैक्सेटिव औषधियों की तुलना में आपको इसकी आदत नहीं पड़ेगी। जब एक बार आपको मलत्याग में आसानी होने लगे, तो आप इसका इस्तेमाल करना बन्द कर सकते हैं। इसको इस्तेमाल करने के कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है।
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जड़ीबूटियों से बनी ये औषधि कब्ज को हटाने में बेहद ही लाभदायक है और इसीलिए यह बवासीर के इलाज में भी बहुत उपयोगी है।