हर व्यक्ति के अंदर एक खास प्रकृति होती है जो तीन दोषों: वात,पित्त और कफ से परिभाषित होती है। इन दोषों पर कई चीज़ों का असर पड़ता है जिसमें से एक है ऋतु। गर्मियों का मौसम गर्म होता है, यह हमारी त्वचा को तैलीय बनाता है। गर्मियों में भोजन जल्दी खराब हो जाता है और इनसे कसैली गंध भी आने लगती है। यह ध्यान देने वाली बात है कि ये सारी चीज़ें पित्त दोष के अंदर शामिल हैं।
गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने के लिए पित्त दोष को संतुलित करने वाला आहार लेना चाहिए। हम आपको पित्त को संतुलित करने वाले 10 आहार बताते हैं जिनकी मदद से आप गर्मी के मौसम को हरा देंगे।
नारियल पित्त को शांत करता है। आयुर्वेद के मुताबिक नारियल का रस यानि पचाने से पहले का स्वाद और विपाक यानि पाचन के बाद का स्वाद दोनों ही मीठे होते हैं। यह शरीर को ठंडक देते हैं। यह अलग बात है कि ये भारी है और कमजोर पाचन वाले लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। कार्बोनेटेड पेय के मुकाबले नारियल पानी ज्यादा सेहतमंद पेय है। इसके अंदर वसा,पोटैशियम और ज़रूरी इलेक्ट्रोलाइट होते हैं। गर्मियों में जब आपको पसीना बहुत आता है, आपका शरीर इलेक्ट्रोलाइट्स को खो देता है, उस समय नारियल पानी के सेवन से आप इलेक्ट्रोलाइट्स को वापस पा सकते हैं और शरीर को पानी की कमी से बचा सकते हैं। विरेचन यानि शुद्धता के पंचकर्म उपचार में नारियल पानी, पंचकर्म आहार का एक हिस्सा है।
यह चमकदार गुलाबी और खीरे के परिवार से जुड़ा रसीला फल सिंधु घाटी सभ्यता के समय से उपजाया जा रहा है। तरबूज खाने से शरीर में ठंडक का अहसास होता है। आप इसका सेवन सीधे काटकर या फिर जूसर में इसका रस निकालकर कर सकते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट्स का एक अच्छा स्रोत है, इसमें 90 प्रतिशत पानी होता है, इसके साथ ही इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स भी होते हैं। तरबूज एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है, यह लीवर और किडनी को सेहतमंद रखता है।
आयुर्वेद में खीरे को कभी-कभी सुशीतला भी कहा गया है जिसका मतलब है प्राकृतिक रूप से ठंडा, यह उन मरीजों के लिए फायदेमंद है जिनको मूत्र संबंधित परेशानियाँ हैं या फिर ज्य़ादा प्यास लगती है। अपने आहार में खीरे को शामिल करने से आप गर्मियों में ठंडक का अहसास करेंगे। आप अपने लिए खीरे का एक स्वादिष्ट पेय भी तैयार कर सकते हैं, इसके रस में आप पुदीने की कुछ पत्तियां डाल लें। इस रस में आधा नींबू निचोड़कर चुटकीभर नमक डाल सकते हैं। एलोवेरा जूस की तासीर भी ठंडी है। खीरा और एलोवेरा दोनों ही पित्त दोष को संतुलित करने वाले माने जाते हैं।
गर्मियों में लोग नींबू पानी क्यों पीते हैं इसके पीछे बड़ी वजह है। यह प्राकृतिक रूप से पसीना लाने वाली औषधि है और यह त्वचा से पसीने को आसानी से खत्म भी करता जिससे आपके शरीर को ठंडक मिलती है। आयुर्वेद मानता है कि इसमें पाचन को बेहतर करने के गुण हैं साथ ही यह आम को कम करता है और मुंह को ताजगी देता है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करके हार्ट अटैक के जोखिम को कम करता है। शरीर से विषैले तत्वों को हटाने की आयुर्वेदिक शोधक प्रक्रिया में नींबू का इस्तेमाल किया जाता है।
मूंग दाल को अंकुरित करके या फिर पकाकर खाया जा सकता है। दोनों के अंदर ठंडक देने वाला विपाक होता है और यह पित्त दोष को संतुलित करता है। पीली मूंग दाल पचने में आसान है और इसे रोज़ खाया जा सकता है। अंकुरित मूंग दाल भी गर्मियों में ठंडक देने वाला ऐसा नाश्ता है जिसमें भरपूर पोषण है।
छाछ की तासीर ठंडी है, यह पाचन को बेहतर बनाती है, आम को पचाने में मदद करती है, मल त्याग को आसान बनाती है और पित्त दोष को शांत करती है। छाछ को तैयार करने के लिए एक हिस्सा ताजा दही लें, अगर यह गाय के दूध से बना दही हो तो बेहतर रहेगा, अब इसमें तीन हिस्सा पानी मिलाएं। इसको एक मिक्सर में डालें और कुछ देर के लिए चलाएँ। अगर ऊपर मक्खन इकट्ठा हो जाए तो उसे निकाल लें। इसमें भुना हुआ जीरा, एक चुटकी काला नमक या साधारण नमक और थोड़ा सा धनिया पाउडर मिला लें। इसमें थोड़ा सा हरा धनिया या पुदीने का पेस्ट भी मिला सकते हैं। अगर आप छाछ में ये मसाले नहीं मिलाना चाहते तो इसे सादा भी पी सकते हैं।
अलसी के बीज की तासीर ठंडी होती है और गर्मियों में दिनों में किसी भी वक्त इसका सेवन किया जा सकता है। अलसी के बीज को पानी में कुछ देर के लिए भिगो लें फिर निगलने से पहले अच्छी तरह चबाएँ। अलसी के बीज को चबाने से पहले आप ग्राइंडर में इसे पीस भी सकते हैं। अलसी के बीज कब्ज़, मोटापे और हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कतों में फ़ायदा पहुँचाते हैं। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अलसी के बीज का सेवन नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेद के मुताबिक घी की तासीर शरीर और दिमाग के लिए ठंडक देने वाली होती है। सही मात्रा में घी का सेवन पूरे शरीर को पोषण देता है। घी,पित्त दोष को शांत करता है, इसलिए घी का सेवन भोजन से पहले या शुरुआती समय में ही कर लेना चाहिए। यह ध्यान रखें कि घी के सेवन के बाद कुछ भी ठंडा न खाएं न पिएं जैसे-आइसक्रीम या ठंडा पानी। भोजन के दौरान हल्का गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है।
आयुर्वेद में पुदीने का इस्तेमाल साँस की दिक्कतों, मितली, सिरदर्द और पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में किया जाता है। इसका ज्य़ादातर इस्तेमाल गर्मियों के पेय में किया जाता है क्योंकि इसके अंदर ठंडक देने का प्राकृतिक गुण होता है जो पित्त दोष को संतुलित करता है। मुँह की परेशानियों में भी पुदीना फ़ायदा पहुँचाता है। अपने ताजा फलों के जूस में पुदीना मिलाएं या फिर इसकी चटनी बनाकर खाएँ। शरीर से विषैले तत्वों को निकालने के लिए आयुर्वेद की शोधक प्रणाली में पुदीने की चाय पीने की सलाह दी जाती है।
पित्त दोष को संतुलित करने में ज्य़ादातर कसैली चीजों को फायदेमंद माना जाता है। नीम की पत्तियों में ठंडक देने वाले गुण होते हैं जो रक्त धातु और खून को साफ़ करते हैं। नीम की पत्तियां लीवर, पैनिक्रियास की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाती हैं और रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य करती हैं।
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