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उदवर्तन पाउडर में हरड़, बिभितक, आमला, देवदार, कुलथी और नाडि़यों को शक्ति व पोषण देने वाली अन्य जड़ी-बूटियाँ सम्मिलित हैं।
उदवर्तन कैसे किया जाता है
उदवर्तन में पाउडर अथवा पेस्ट (जो तेल में मिश्रण करने पर बनता है।) को पूरे शरीर पर 30-45 मिनट की अवधि के लिए मला जाता है। पाउडर के सोखने के गुण के कारण यह शरीर में जमा अतिरिक्त वसा को खींच लेता है। मसाज के बाद, एक हर्बल सौना, स्वेदन की सलाह दी जाती है, इसके बाद पाउडर या पेस्ट साफ करने के लिए एक स्नान दिया जाता है।
उदवर्तन के लाभ
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वज़न कम करने और त्वचा निखारने में मदद करता है।
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मानसिक तनाव कम करता है।
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रक्त वाहिकाओं में आई रुकावटों को दूर करता है।
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वसा के मैटाबोलिज्म को बढ़ाता है।
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वात और कफ दोष को संतुलित करता है।
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मधुमेह और स्थूलता में अति लाभकारी है।
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आम का नाश करता है और पाचन क्षमता को बेहतर बनाता है।
यह कैसे काम करता है
उदवर्तन में ऐसे पाउडरों का इस्तेमाल किया जाता है जिनकी प्रकृति शुष्क और गर्म होती है। पेस्ट के लिए अधिकतर तिल के तेल का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी तासीर गर्म होती है। सभी औषधियाँ और तेल शरीर में हल्कापन लाने और रुकावट व अकड़न मिटाने में सहायता करते हैं। जब हर्बल पाउडर और तेल को त्वचा पर एक विशेष प्रकार से मला जाता है तो यह रोम छिद्रों को खोल देता है, नाडि़यों में रुकावट को हटाता है, ऊतकों में उष्मा को बढ़ाता है और चयापचय (मैटाबोलिज्म) को बेहतर करता है।
पेस्ट को शरीर पर मलने के बाद जब मसाज पूरी हो जाती है तो मरीज को एक हर्बल भाप कक्ष में बैठने के लिए कहा जाता है जिसमें व्यक्ति का सिर कक्ष के बाहर रहता है। इस उपचार के दौरान शरीर से बहुत सा अतिरिक्त पानी निकल जाता है और रोम छिद्र खुलने आरंभ हो जाते हैं।
सावधानियां
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उदवर्तन हमेशा एक पंचकर्म विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए।
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उच्च रक्तचाप और त्वचा के संक्रमण वाले व्यक्तियों को उदवर्तन नहीं कराना चाहिए।