पाचन पर बारिश के मौसम के प्रभाव का आयुर्वेदिक नजरिया
बारिश से कुछ महीने पहले मौसम में गर्मी और सूखापन रहता है। अक्सर इससे शरीर में वात ज्यादा मात्रा में इकट्ठा हो जाता है, जिससे पाचन की अग्नि पर बुरा असर पड़ता है। जब बारिश का मौसम शुरू होता है तो वातावरण की नमी पाचन की अग्नि कोकमजोर बनाती है। जाहिर है इससे गैस की समस्या, पेट फूलना, पाचन कमजोर होना, दस्त वगैरह हो सकते हैं। इन परेशानियों से निपटने के लिए आयुर्वेद के पास आपके और आपके परिवार का पाचन मजबूत करने के खास उपचार हैं।
आसानी से पचने वाला आहार चुनें
आयुर्वेद मानता है कि बारिश का मौसम भारी और आलस से भरा हुआ होता है। साल के इन दिनों में पाचन और पाचन की अग्निकमजोर होती है। आसानी से पचने वाले भोजन के बचे-कुचे अंश पाचन तंत्र में मौजूद नहीं रहेंगे, जिससे अमा नहीं बनेगी। आयुर्वेद मानता है कि अनाज, मूँग दाल, मक्का, चने का आटा, जई का दलिया वगैरह खाने में अच्छा और पचने में हल्का है। करेला, हल्दी और नीम का स्वाद कसैला होता है और इसमें एंटीमाइक्रोबायल गुण होते हैं। यह आपके पाचन को बेहतर बनाने के साथ-साथ आपकीस्वाद इंद्रियों को साफ करते हैं और कफ दोष को संतुलित बनाते हैं।
पाचन को बेहतरन बनाए रखने के खास उपाय
बारिश के मौसम में कुछ समय के लिए ही पाचन तंत्र कमजोर या धीमा होता है। बारिश के मौसम में पाचन से जुड़ी दो सामान्य परेशानियाँ होती हैं, इनमें अपच और पेट में जलन शामिल है। इन परेशानियों को दूर करने के लिए घरेलू उपाय निम्न है।
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आँवला पाउडर को 1 कप पानी में मिलाएँ और खाली पेट इसको पिएँ। इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है।
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अदरक के 2 इंच छोटे टुकड़े को महीन काट लें, इसमें चुटकीभर काला नमक मिलाएँ। खाना खाने से आधा घंटा पहले इसे खाएँ।
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आधा चम्मच काली मिर्च को महीने पीस लें, अब इसको गुड़ के पाउडर यानी खाँड या फिर चीनी का पाउडर यानी बूरा में मिलाएँ। अपने पाचन को बेहतर बनाने के लिए इस मिश्रण को खाली पेट कुछ दिनों तक खाएँ। आयुर्वेद में काली मिर्च का इस्तेमाल बेहतरपाचन और गैस की समस्या से निजात दिलाने के लिए किया जाता है।
हल्का फुल्का व्यायाम करें
सुबह किया गया हल्का व्यायाम आपके पाचन और शरीर को मजबूत बनाता है। पाचन बेहतर बनाने के लिए बहुत ज्यादा पसीना बहानेकी जरूरत नहीं है बस घर के पास या पार्क में 20 मिनट टहलना और ताजी हवा में साँस लेना ही काफी है। हालाँकि शुरू में कुछ लोगोंको यह महसूस होगा कि व्यायाम के बाद भूख नहीं लगती, लेकिन बाद में निश्चित तौर पर इसमें सुधार होगा।
जठराग्नि बढ़ाने की आयुर्वेदिक उपचार /
मंदाग्नि का आयुर्वेदिक उपचार
जड़ी-बूटियां:
- त्रिफला चूर्ण, सौंठ, अजवायन, पिप्पली, हींग का सेवन।
आयुर्वेदिक पेय:
- गुनगुना पानी, जीरा पानी, अदरक का रस, नींबू-शहद।
खानपान:
- ताजा, हल्का और समय पर भोजन करें।
- छाछ और गुनगुना पानी पिएं।
योग और जीवनशैली:
- वज्रासन, पवनमुक्तासन करें।
- तनाव कम करें और नियमित व्यायाम करें।
सावधानियां:
- तली-भुनी चीज़ों और ठंडे पानी से बचें।
- रात का भोजन हल्का रखें।
आवश्यकता होने पर आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।
खास सलाह
ऐसे दिनों में जब मौसम चटनी के साथ पकौड़े खाने को मजबूर करें उस दौरान घर के बने पकौड़े खाएं। आखिरकार मां के हाथों से बने व्यंजनों का कोई तोड़ नहीं है, है कि नहीं?