वैसे हम अकेले नहीं हैं जो ऐसा सोचते हैं। अमेरिकन जर्नल ऑफ साइकोलॉजी का एक सर्वे बताता है कि तनाव का सबसे आम कारण है पैसा, उसके बाद काम का दबाव,पारिवारिक जिम्मेदारी और सेहत की चिंता।
जानकारों के मुताबिक हमसे पहले की पीढ़ियों पर भी काम का दबाव और पैसों की चिंता हमारे जैसी ही थी। लेकिन वह कम तनाव में होते थे। इसके पीछे कारण यही है कि वो लोग हानिकारक जीवनशैली नहीं चुनते थे जो हम आजकल चुन लेते हैं। यहां हम आपको तनाव बढ़ने के 5 सबसे अहम कारण बताते हैं।
पैसे की चिंता ही काफी नहीं थी कि मार्च का मौसम भी टैक्स यानि कर का मौसम बन गया है। 18 से 34 की उम्र का कोई भी इंसान मार्च के इस पागलपन यानि कर देने की चिंता से बच नहीं पाता। इसका मतलब यह है आपको निवेश की पर्चियाँ इकट्ठा करने की भागदौड़ करनी पड़ेगी और अकाउंटेंट से किराए के मकान की रसीदें स्वीकार करने की मिन्नतें करनी पड़ेंगी। और अगर आपने कर के देवताओं को खुश करने के लिए यह सब नहीं किया तो फिर वेतन में कटौती के लिए तैयार हो जाइए। वेतन में कटौती की बात सोचना महीने के अंत में आपके मन पर दबाव डालता है। इन सबसे बचने का एक ही तरीका है कि आप अपने निवेशों की योजनाएं पहले ही बना लें और सारे कागज़ात को टैक्स यानि कर के इस मौसम के लिए तैयार रखें।
इंसान एक सामाजिक प्राणी है। हम अपनी भावनाओं को चाहे वो सकारात्मक हों या नकारात्मक उसको बांटना पसंद करते हैं और सदियों से यह बहुत कारगर भी साबित होता आया है कि अपना दुःख बांटने से मन पर दबाव कम होता है। लेकिन जानकार कहते हैं कि चिंता से घिरे रहने वाले व्यक्ति के साथ लगातार संपर्क में रहने से आप अपनी परेशानियाँ जैसे बेचैनी, तनाव, अवसाद और बहुत सारी नकारात्मकता बढ़ा सकते हैं। अपनी चिंताओं पर ज्य़ादा समय ना बिताएं-आगे बढ़े और खुश रहें।
तनाव के माहौल में अपनी पसंदीदा कॉफी पीना सबसे आसान होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा कैफ़ीन का सेवन करने से भी तनाव बढ़ता है? कॉफी या चाय अस्थाई आराम तो देते हैं लेकिन लंबे समय के लिए यह फ़ायदे से ज्य़ादा नुकसान पहुँचाते हैं। तो अगली बार जब आपको कैफीन के सेवन का मन करे तो उसके बदले एक गिलास जूस या सादा पानी पिएँ, न कि चाय या कॉफी।
एक रिसर्च बताती है कि 21वीं सदी की पीढ़ी में तनाव का सबसे बड़ा कारण है अपर्याप्त नींद। हमारे आसपास तकनीक और उससे जुड़े यंत्रों की भरमार है जो हमें एक डिजिटल भँवर में खींच लेती है, ऐसे में नींद कैसे आएगी। 21वीं सदी की पीढ़ी की दिनचर्या भी कठिन होती है क्योंकि इसमें सुबह का नाश्ता जो कि सबसे ज़रूरी होता है वह सबसे ज्य़ादा छोड़ दिया जाने वाला होता है। आपकी मां यह जानती है, इसलिए वो आप पर चिल्लाती है क्योंकि नाश्ते के नाम पर आपके हाथ में सिर्फ एक सेब रहता है। हम सब जानते हैं कि यह बदलने की ज़रूरत है, लेकिन करते कुछ नहीं। एक युवा को रात में 7-9 घंटे तक आराम की नींद लेनी चाहिए और इसकी शुरुआत मोबाइल और लैपटॉप को बिस्तर से दूर रखकर करनी चाहिए। सुबह का नाश्ता आपको दिनभर के लिए ऊर्जा देता है तो इसको कतई न छोड़ें।
एक छोटा-मोटा और परेशान करने वाला परिणाम या तो आपको एक साधारण लड़का या लड़की बनाता है या फिर आपको सफलता और महत्वकांक्षाओं के संसार में लेकर जाता है। आपका बच्चा या फिर आप अच्छे नंबर लाने के गहरे तनाव में होते हैं और आपको इस तनाव से बाहर निकलने की ज़रूरत है। नंबर महत्वपूर्ण हैं लेकिन इस मार्च के पागलपन वाले तनाव को आप कैसे संभालेंगे, यही तो आगे चलकर निर्धारित करेगा कि आप अपने वर्तमान और भविष्य को कैसा बनाएंगे?
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