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आयुर्वेद और दिल

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आयुर्वेद के अनुसार, दिल तीन मुख्य अंगों में से एक है। विभिन्न प्रकार के स्रोत शरीर में वायु, धातु, कोशिकाएं, ऊर्जा और अपशिष्ट पदार्थों के प्रवाह के लिए जिम्मेदार होते हैं।

प्राण वाह स्रोत शरीर में प्राण के होने के लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार होते हैं। दिल प्राण वाह स्रोत का सबसे जरूरी हिस्सा है। सभी मुख्य रक्त वाहिकाएं दिल से ही होकर गुजरती हैं। दिल आत्मा का भी अहम हिस्सा है। ये उस तरल पदार्थ से भी संबंधित है जो चेतना या आत्मा को बनाए रखता है और व्यक्ति को जीवित रखता है। आधुनिक विज्ञान भी दिल के महत्व पर जोर देता है। दिल जीवन का आधार है और हमें इसकी उचित देखरेख करनी चाहिए। दिल प्यार की भावनाओं का भी आधार है। इसलिए, प्यार, सद्भाव और शांति की बुनियाद रखने के लिए ये जरूरी है कि किसी के पास एक स्वस्थ दिल हो।

अपने दिल की देखभाल करना:

  • आयुर्वेद के अनुसार, हृदय रोगों का मख्य कारण अमा होता है। अमा वो विषैला पदार्थ है जो अपाच्य भोजन से बनता है। इसलिए, हर किसी को उतनी ही मात्रा और उसी प्रकार का भोजन करना चाहिए जो वह ठीक से पचा सके।

  • बार -बार या बहुत ज्याद खाना खाने से परहेज करें। सुबह का नाश्ताऔर रात का खाना हल्का ही खाएं। दोपहर का खाना अच्छा खाएं। दूध से बनी खाने पीने की चीजें,तला हुआ भोजन, खाने पीने की ठंडी चीजें और एसिड बनाने वाले भोजन को कम ही मात्रा में लेना चाहिए। मैदे से बनी चीजें और खाने पीने के ऐसे पदार्थ जिनमें रसायनिक तत्व और स्वाद बढ़ाने वाले तत्व शामिल हों, से दूर रहना चाहिए। पशु उत्पाद और मुख्य रूप से लाल मांस अच्छे नहीं होते हैं क्योंकि इन्हें पचाने में काफी समय लगता है और पेट में कई तरह के विषैले पदार्थ पैदा करते हैं।

  • मौसमी फल और ताजा सब्जियां (उबले हुए या पके हुए), होलमील ब्रेड या रोटी, सलाद, अंकुरित दालें, सब्जियों का सूप, मट्ठा, कॅाटेज चीज (पनीर), ताजे दूध और घी की थोड़ी मात्रा भोजन की खाने की चीजों में से एक उपयुक्त सूची है। कुछ भी मीठा संतुलन में लेना चाहिए। शहद और गुड़ चीनी की तुलना में सेहत के लिए ज्यादा अच्छे होते हैं।

  • आमला (भारतीय हंसबेरी) दिल के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे ताजा सूखाया हुआ या पाउडर रूप में लिया जा सकता है।

  • हृदय से जुड़ी बीमारियों के लिए मानसिक तनाव एक आम कारण हैं। योग और प्राणायाम (श्वास अभ्यास) का नियमित अभ्यास तनाव के स्तर को कम करता है। इसके अलावा वैज्ञानिक दृष्टि से प्रमाणित किया गया है कि ध्यान दिल की बीमारियों से बचाने के लिए एक रामबाण तरीका है।

  • हफ्ते में एक बार तेल के साथ या बिना तेल सिर की हल्की मालिश बहुत फायदेमंद है। हफ्ते में एक बार पूरे शरीर की तेल से खुद की गई मालिश भी अच्छी होती है।

  • बहुत ज्यादा चाय, कॉफी, शराब और धूम्रपान दिल के लिए अच्छा नहीं है और इसे छोड़ दिया जाना चाहिए। ये लिवर और पाचन शक्ति को कमजोर करता है और अमा( अपशिष्ट पदार्थ) बनाता है।

  • तांबे के बर्तन में रात भर रखा पानी पीने से दिल मजबूत होता है।

  • हृदय रोगों को रोकने और ठीक करने के लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध अर्जुन जड़ी बूटी (टर्मिनलिया अर्जुन) है। इसे पाउडर के रूप में लिया जा सकता है या इसके पेड़ की छाल की चाय बनाई जा सकती है

  • रुद्राक्ष, जो कि मुख्य रूप से हिमालय में पाए जाने वाले पेड़ का एक फल है, का भी दिल पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। इन बीजों को एक साथ मिलाया जा सकता है और गले में माले के तौर पर पहना जा सकता है या बीज को रात भर पानी में भिगोकर सुबह जल्दी लेना चाहिए।

  • हदय से जुड़े विकारों के लिए मोटापा एक आम कारण है। अगर आपका थोड़ा बहुत वजन बढ़ गया है तो ये अपने भोजन पर नियंत्रण करके और शारीरिक व्यायाम करके कम करना चाहिए।

तो इन बताए गए उपायों को कर के अपने दिल को स्वस्थ रखें

आयुर्वेदिक प्रयोग की सलाह:

  • जीवा स्लिम चाय

  • जीवा अर्जुन चाय

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