सुस्त जीवनशैली, अनुवांशिक कारण, हार्मोनल, एंडोक्राइन और एस्ट्रोजन विकारों के कारण ये वसा बढ़ जाता है। अगर सही समय पर इसका उपचार नहीं किया गया, तो आपके स्वास्थ्य को अधिक हानि पहुँचा सकता है। यह आँतों पर वसा बढ़ा देता है, जो चर्बी के रूप में दिखने लगता है। यह वसा कई बीमारियों, जैसे कि - हृदय रोग, गठिया, गुर्दे की समस्याओं, मधुमेह आदि को बुलावा देता है।
कफ - जो कि एक दोष है - गाढ़ा, सुस्त करने वाला, तरल और भारी होता है, जो सही मात्रा में होने पर आतंरिक अंगों व ज्ञानेन्द्रियों को चिकनाहट और पोषण देता है। परन्तु, अगर इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो यह शरीर में विषैले पदार्थों व वसा कोशिकाओं (मेदा धातु) की मात्रा भी बढ़ा देता है। यह जरूरी है कि शरीर से यह जमा हुआ कफ या वसा बाहर निकाल दिया जाए, ताकि आप तंदरुस्त रह सकें। और कफ दोष को नियंत्रण में करके आप आसानी से ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए, मोटापे से बचने के लिए आयुर्वेद में दिए गए कुछ उपाय आजमा कर देखिये -
मोटापा कम करने के 5 आयुर्वेदिक तरीके
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रोज एक बड़ी चम्मच शहद और आधे नींबू का रस गर्म पानी में मिलाकर लीजिये। इसे सुबह खाली पेट पीने से आपका पेट साफ रहता है। इसके अलावा, दिन में बराबर अंतराल पर भी इसे पिया जा सकता है।
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आमलकी, हरीतकी, बिभीतकी जैसी जड़ीबूटियों को मिलाकर त्रिफला पाउडर तैयार करें और इसे रोज गर्म दूध के साथ लें। त्रिफला आपके शरीर में उपस्थित अशुद्धियों को दूरकर आपका पाचन अच्छा करता है।
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पुदीने और कुछ अन्य जड़ में लगने वाले मसालों को पीस कर रख लें और पाउडर को दोनों टाइम खाने के साथ लें। आप पुदीना मिली हुई ग्रीन टी भी ले सकते हैं। यह भूख घटाकर और प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाकर चयापचय को नियन्त्रित करता है।
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अपने खाने में करेला, सहजन और दूसरी हरी सब्जियाँ बढ़ाएँ। ये मोटापे को कम करने में सहायक हैं।
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आयुर्वेदिक स्लिम टी पियें। स्लिम टी आयुर्वेदिक औषधियों का मिश्रण होता है जो कि आपके शरीर से विषैलापन खत्म करती है और जमे हुए सेल्युलाईट को पिघलाती है। यह प्राकृतिक चाय आपके शरीर को स्वस्थ और तरोताजा रखकर आपको पतला होने में मदद करती है।