हल्दी या टर्मरिक एक चमकदार पीले रंग का मसाला है, जो हर भारतीय रसोई में आसानी से देखा जा सकता है। यह जोड़ों के दर्द को ठीक करने में बहुत असरदार है और इस दर्द से आपको तुरन्त आराम दिला सकता है। पुराने समय में हल्दी पारंपरिक भारतीय चिकित्सकों के पास मिलती थी, जबकि आजकल आधुनिक विज्ञान के अनुसार भी इसमें करक्यूमिन नामक पदार्थ के पाए जाने की वजह से गठिया को ठीक करने में बेहद लाभकारी है।
चलिए देखते हैं कि कैसे हल्दी गठिया रोग और अन्य तेज़ दर्दों को ठीक करने में लाभकारी है:
गठिया रोग के मुख्य लक्षण सूजन, अकड़न और दर्द हैं, जो कि प्रायः जोड़ों के आस-पास जलन के साथ होता है। इसके बाद यह उस एक तरल पदार्थ में फैलता है, जो जोड़ों की चिकनाहट को बनाये रखने के लिए जिम्मेदार है। इससे जोड़ों में दर्द उत्पन्न होता है। हल्दी में पाए जाने वाला प्राकृतिक घटक करक्यूमिन में सूजन विरोधी क्षमता होती है, जो जोड़ों की चिकनाई को बरक़रार रख दर्द को दूर करती है।
हल्दी में बहुत अच्छे एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो कि सिनोवियल नामक तरल पदार्थ को गाढ़ा करते हैं। यह हड्डियों के ऊतकों को भी ख़राब होने से बचाती है और साथ ही, जोड़ों की चिकनाहट को बनाये रखकर कार्टिलेज कोशिकाओं को भी ठीक करती है। इससे यह कोशिकाएँ लचीली और ताकतवर बनी रहती हैं।
गठिया के कारण जोड़ों में होने वाली जलन उन कोशिकाओं को भी प्रभावित करती है, जो मृत्यु को टालने के लिए उत्तरदायी हैं। अर्थराइटिस धीरे-धीरे अन्य जोड़ों में सूजन और जलन पैदा करके परिस्थिति को और भी गंभीर बना देता है। हल्दी का सेवन सीधा उन कोशिकाओं को निशाना बनाता है जो सूजन पैदा कर रही हैं। इस प्रकार, यह सिर्फ उन कोशिकाओं को नष्ट करके सभी जोड़ों को खराब होने से बचाता है।
इस सबके अलावा, हल्दी प्रोटीन की गतिविधियों को बढ़ाकर दर्द को कम करती है और स्थिति को ठीक करने की कोशिश करती है।
सभी जानते हैं कि हल्दी के सेवन के अनेकों लाभ हैं, जैसे - यह गठिया / अर्थराइटिस, बर्साइटिस, एंकिलोज़िंग, स्पोंडिलिटिस आदि को बिना किसी दुष्प्रभाव के ठीक करती है। यह कई बीमारियों को ठीक करने में असरदार है और अतिरिक्त दवा के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है।
आयुर्वेद बीमारी की जड़ तक पहुँचकर जोड़ों के दर्द से राहत देने के लिए और भी बहुत से उपाय सुझाता है। ज्यादा जनकारी के लिए आज ही जीवा स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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