दस्त पाचन तंत्र से जुड़ी एक समस्या है जिसमें बीमार व्यक्ति को बार-बार शौच जाना पड़ता है या उसका मल ढ़ीला और तरल होता है। दस्त 2 से 3 दिनों में ठीक हो जाता है, यदि यह ठीक ना हो तो बीमार व्यक्ति चिकित्सालय में जांच करवाएं।
आंतों में सूजन।
पतला दस्त या लूज़ मोशन (पानी की तरह) अगर दो हफ्ते तक रहे।
दस्त के साथ खून या आंव आता है। इससे शरीर काफी कमज़ोर हो जाता है।
पतले दस्त के साथ उल्टी भी हो सकती है।
वायरल डायरिया- वायरल इंफेक्शन से सबसे ज़्यादा डायरिया होता है।
रोटावायरस- नवजात बच्चों में।
नोरोवायरस- व्यस्कां और स्कूल जाते बच्चों में।
आई. वी. फ्लूयड
एन्टी बॉयोटिक्स
एन्टी डायरियल ड्रग्स
एडोनोवायरस- हर उम्र के लोगों में।
बैक्टीरियल डायरिया- ये डायरिया भी काफी गंभीर होता है।
डायरिया का इलाज घर पर भी संभव है लेकिन जब पतले दस्त लगातार आते रहें, दस्त के साथ सिर्फ पानी आए और शरीर में पानी की कमी हो जाए तो डॉक्टर के पास जाना उचित रहता है। 2-3 दिन तक डायरिया रहता है तो इससे डिहायड्रेशन हो जाता है और मरीज की स्थिति काफी गंभीर हो जाती है।
डिहायड्रेशन में मरीज़ को इलेक्ट्रोलाइट्स और ग्लूकोज़-सलाइन वॉटर सुई के ज़रिए चढ़ाना पड़ता है।
दहीः सादे उबले चावल में दही मिलाकर खाना।
अदरक को कूटकर उसमें शहद मिलाकर खाएं। इसके तुरंत बाद पानी न पिएं। अदरक की चाय (बिना दूध की) भी आराम देती है।
मेथी दानाः एक छोटा चम्मच मेथी दाना को चबाकर, एक बड़ी चम्मच दही खाने से डायरिया में निजात मिलती है।
बेल मुरब्बाः एक चम्मच बेल का मुरब्बा आवश्यकतानुसार दिन में दो-तीन बार लेने से डायरिया से मुक्ति मिलती है।
जीरा पानीः एक चम्मच भुना जीरा चूर्ण एक गिलास पानी में डालें व इसमें एक चम्मच मिश्री डालें। इस मिश्रण वाले पानी का सेवन करने से दस्त से राहत मिलती है।
केलाः 2-3 पके हुए केले रोज़ खाएं। ठंडे दूध को पीना एसिडिटी में लाभप्रद होता है। दस्त लगने पर ईसबगोल दही में डालकर खाने से जल्दी राहत मिलती है।
बिल्ब का चूर्ण 2-2 ग्राम गुनगुने पानी से दिन में 3-4 बार लेने से डायरिया में काफी लाभ मिलता है।
उबालकर ठंडे किए हुए साफ पानी में चीनी व नमक मिलाकर कुछ अन्तराल पर नियमित लेते रहें।
अपने खान-पान व आस-पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। जैसे बासी व सडे़-गले पदार्थ का सेवन न करना, शौच के बाद व भोजन से पहले साबुन से हाथों को अच्छी तरह धोना इत्यादि।
ऊपार बताए गए उपायों को प्रयोग करने के साथ-साथ रोग की गंभीरता के अनुरूप डॉक्टर की सलाह लेनी भी आवश्यक है।
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