चालीस साल के शर्मा साहब को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ जब उनके चिकित्सक ने बताया कि उनको संधिशोथ है। "इनको गठिया कैसे हो सकता है? अभी तो ये सिर्फ चालीस साल के हैं!" उनकी पत्नी ने आश्चर्यचकित हो कर कहा। "आखिर यह तो जोड़ों से संबंधित परेशानी है जो बूढ़े लोगों को होती है?"
उनकी पत्नी को भी बहुत से लोगों की तरह यह भ्रम है कि गठिया सिर्फ जोड़ों के दर्द से संबंधित है और केवल बड़े बुजुर्गों को होता है। लेकिन यह सत्य नहीं है क्योंकि यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। आम तौर पर ६० साल से अधिक उम्र वाले लोगों को इसकी शिकायत होती है पर कुछ प्रकार की गठिया की बीमारियां कम उम्र वालों में भी पाई जाती हैं। वास्तव में २०० से अधिक प्रकार की गठिया से संबंधित अवस्थाएँ हैं, पर ज्यादातर लोग सिर्फ दो के बारे में जानते हैं!
आयुर्वेद के अनुसार, गठिया पाचन की खराबी, खान-पान की गलत आदतों व आसान जीवन शैली और अतिरेक वात दोष के कारण होता है। आयुर्वेद में वात वायु का प्रतीक है। बिगड़े हुए पाचन और अनियमित मल त्याग की वजह से शरीर में आम अथवा जहरीले पदार्थ एकत्र हो जाते हैं। यह आम और अतिरेक वात जोड़ों में जमा हो जाता है जिसके कारण जोड़ अकड़ जाते हैं या उनमें सूजन आ जाती है और दर्द होता है।
गठिया के अनेक रूप हैं, जैसे संधिशोथ, अस्थिसंधिशोथ, संधिवात, किशोर गठिया, इडियोपैथिक गठिया और एंकिलॉजिंग स्पोंडिलोसिस। उसके लक्षण एकदम से या धीरे-धीरे दिखाई दे सकते हैं। जोड़ों में सूजन, चलने-फिरने या हिलने-डुलने में दर्द, क्षुधा और शक्ति का अभाव, बुखार, आदि इसके सामान्य संकेत हैं।
यह जानने के लिए कि क्या आपको गठिया होने का डर है, निम्न कारकों पर गौर करें -
आपको यह बीमारी होने की अधिक संभावना है अगर आपके परिवार में किसी को गठिया या उससे संबंधित परेशानियां हैं
यदि आपकी उम्र ५० साल से ज्यादा है तो आपको यह बीमारी हो सकती है
अगर आपका वजन सामान्य से ज्यादा है तो आपके जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ेगा, इस वजह से किसी न किसी तरह का जोड़ों का दर्द उत्पन्न हो सकता है
अगर आपके किसी जोड़ पर चोट लगी है या आघात हुआ है तो आगे चलकर उसके कारण गठिया हो सकती है
अनुसंधान से पता लगता है कि पुरुषों से अधिक स्त्रियों को गठिया होने की संभावना होती है और उन्हें ज्यादा तीव्र लक्षणों को झेलना पड़ता है
इसके अलावा संवेदनशील व्यक्तियों में वातावरण में उपस्थित कुछ संक्रमण या कारक इस बीमारी को उत्पन्न कर सकते हैं। जवान लोगों में बढ़ती हुई गठिया की समस्या के मुख्य कारण उनके अनियमित समय पर खाना खाने की आदत और आसान जीवन शैली हैं।
ज्यादातर लोग गठिया या उससे संबंधित अवस्थाओं के कारण होने वाले दर्द के बारे में शिकायत करना नहीं पसंद करते हैं और उसे चुपचाप सहते हैं। वास्तव में बहुत से लोग किसी स्वास्थ्य सलाहकार से सहायता लेने की जगह दर्द कम करने की दवाइयों से काम चलाते हैं। वे इस बात को नहीं समझते हैं कि मूल लक्षण भी गठिया की शुरुआत का संकेत हो सकते हैं। यदि उनका उपचार नहीं किया गया तो वे और गंभीर बन सकते हैं।
जीवा आयुर्वेद के संचालक, डॉक्टर प्रताप चौहान कहते हैं कि, शीघ्र निदान करना इस चिरकालिक बीमारी के उपचार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही इलाज और उचित रहन-सहन की राय प्राप्त करके दर्द कम किया जा सकता है। जोड़ों की रक्षा की जा सकती है और गंभीर विकलांगता की स्थिति के आने में देर की जा सकती है। कभी-कभी जल्दी निदान करने से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।
गठिया का आयुर्वेदिक उपचार बीमारी को पूरी तरह से नष्ट करने और लम्बे समय के लिए आराम देने का प्रयास करता है। यह आधुनिक चिकित्सा से भिन्न है जो सिर्फ लक्षणों को दबाने की कोशिश करती है। आयुर्वेद में हर एक मरीज के लिए विशिष्ट उपचार योजना बनायी जाती है जिसमें हर्बल दवाइयों के साथ तथ्य और रहन-सहन के लिए राय भी दी जाती है।
शुरू में अधिकतर गठिया के मरीज अनुभव करते हैं कि उनके जोड़ अकड़ गए हैं या उनमें सूजन आ गयी है अथवा दर्द हो रहा है। इसके अतिरिक्त वे अन्य लोगों की तरह सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। लेकिन कुछ लोगों के लिए चलना-फिरना मुश्किल हो सकता है और उनको दूसरों पर निर्भर होना पड़ सकता है।
इसलिए आयुर्वेद के अनुसार गठिया के मूल कारण का उपचार करने और प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट इलाज करने से मरीज को लम्बे समय के लिए आराम मिलता है। डॉक्टर चौहान ने भारत के जीवा टेलीमेडिसिन सेंटर में हजारों गठिया के मरीजों का इलाज किया है। उनको लगता है कि हमें बीमारी को ठीक करने की जगह उसके रोकथाम पर अधिक ध्यान देना चाहिए। वे कहते हैं कि, प्राकृतिक सिद्धांतों के अनुसार जीवन व्यतीत करने से ही हम संपूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकते हैं और बीमारियों को दूर रख सकते हैं। सरल बातें, जैसे, सही खाना खाकर पाचन को ठीक रखना, मालिश करके जोड़ों को चिकना रखना और नित्य व्यायाम करना, इस बीमारी से बचा सकती हैं।
यदि आप गठिया के मरीज हैं और एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से विशेष उपचार प्राप्त करना चाहते है तो हमें 0129-4040404 पर कॉल करें या info@jiva.com पर लिखें अथवा मुफ्त स्वास्थ्य संबंधी राय का लाभ उठायें।
To Know more , talk to a Jiva doctor. Dial 0129-4040404 or click on ‘Speak to a Doctor
under the CONNECT tab in Jiva Health App.
SHARE:
TAGS:
The Complete Guide to Ayurvedic Detox: Tips, Techniques, and Benefits
How To Reduce Uric Acid Levels With Ayurveda?
Get The Best Ayurvedic Treatment for Rheumatoid Arthritis From Certified Ayurveda Experts
घुटनों के प्रतिस्थापन के लिए शल्य चिकित्सा के बारे में सोच रहे हैं? पहले यह पढ़ें
Easy Ayurvedic tips to control joint pains
Ayurvedic Approach to Gout Home Remedies in India
Ayurveda Treatment for Disc Herniation: A Holistic Approach to Healing
CERVICAL SPONDYLOSIS AYURVEDA TREATMENT
जानिए, कैसे सर्जरी के बिना ओस्टीओफाइटसिस का उपचार करें और राहत पाएं
Joint Pain-Home Remedies