इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (आई बी एस) एक बेहद ही दुखदायी जठरांत्र (गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल) स्थिति है, जो कि कब्ज, दस्त, सूजन, पेट की ऐंठन, अपचन, इन्फ्लूएंजा, अनिद्रा, इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस या मल में श्लेष्म (म्यूकस) इत्यादि को बढ़ा देती है। इसका मुख्य कारण तनाव, चिंता, कार्बोहाइड्रेट का ज्यादा सेवन करना और खाने की बुरी आदतों को माना जाता है। हालाँकि, आयुर्वेद पाचक अग्नि का ठीक से काम न करना, अमा का इकट्ठा होना, पेट की गड़बड़ी के कारण त्रि-दोषों वात, पित्त व कफ का बढ़ना आदि को इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम का कारण मानता है।
तो, आप इसका इलाज कैसे करेंगे? आयुर्वेद के विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करके हमनें यह तीन लाभकारी घरेलू नुस्खे पता किये हैं, जो इर्रिटेबल बॉवेल से आराम दिलाते हैं -
एक प्राकृतिक रेचक (लैक्सेटिव) होने के कारण अदरक कब्ज में बहुत आराम देती है। ये सूजन व जलन को कम करके पाचन को ठीक करती है। इसे कच्चा खायें या फिर दिन में दो बार अदरक की चाय पिएँ।
एक छोटी चम्मच अलसी के बीज को उबालें और उसमें एक कप पानी और एक नींबू मिलाकर चाय बना लें। ज्यादा फायदे के लिए इसे रात में पिएँ। इसमें सूजन-विनाशक और रेचक तत्व होने के कारण यह मल को मुलायम करके पाचन ठीक रखती है।
दस्त और कब्ज होने पर भोजन के बाद एक छोटा चम्मच इसबगोल की भूसी को दही (योगर्ट) के साथ लें। यह एक रेशेदार आहार है, जो ज्यादा पानी को सोखकर मल के निष्कासन को नियमित करता है। इसीलिए, आपको इसे सीमित मात्रा में ही लिए लेना चाहिए।
इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम (आई बी एस) के लिए उपलब्ध आयुर्वेदिक चिकित्सा बहुत प्रभावी है। आयुर्वेद के और फायदे जानने और इलाज के लिए आज ही जीवा डॉक्टर से संपर्क करें।
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