अम्लपित्त या एसिडिटी छाती और उदर में होने वाली वो जलन या दर्द है जो पेट में एसिड की अत्यधिक मात्रा होने से होता है। इसे पेट में जलन से पहचाना जाता है। यह समस्या बरसात के मौसम में आम होती है।
हमारी घरेलू चिकित्सा विशेषज्ञ, डॉक्टर दादी के अनुसार, एसिडिटी या अम्ल-पित्त अधिक पित्तवर्धक भोजन (जैसे तैलीय, मसालेदार, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफी या कार्बोनेटेड शीतल पेय), अनियमित आहार और गलत जीवन शैली से होता है।
जब पित्त बढ़ जाता है तो यह शरीर की पाचक अग्नि को नुकसान पहुंचाता है, जिससे भोजन ठीक से पच नहीं पाता है और आमा बनता है। यह आमा पाचक स्रोतों में जमा होकर उनको अवरुद्ध करता है और जिससे एसिडिटी हो जाती है।
वैसे तो एसिडिटी एक सामान्य समस्या है, परंतु ज्यादातर लोग इससे निपटने के लिए सही तरीके प्रयुक्त ही नहीं कर पाते। अधिकतर लोग दर्द और खट्टी डकार से तत्काल राहत प्राप्त करने के लिए खाने से पहले या बाद में अम्ल रोधी दवाएं लेते हैं। कई लोग खाना ही छोड़ देते हैं। सोचते हैं कि अगर हम खायेंगे ही नहीं तो खाना पचने की समस्या ही नहीं आयेगी और न ही एसिड का निर्माण होगा।
अगर कोई भी व्यक्ति इस तरह के जुगाड़ू तरीके अपनाता है तो वह गलत करता है। एसिडिटी की दवाई से आपका दर्द तो तुरंत खत्म हो जाएगा। परंतु यह तरीके केवल लक्षणों को दबाने का काम कर सकते हैं, समस्या के मूल कारण को तो यह छूते भी नहीं।
भोजन का त्याग कर देना एक और खतरनाक कोशिश है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर को हर तीन से चार घंटे में कुछ न कुछ पोषण की आवश्यकता होती है। वास्तव में, इसे 6 घंटे से ज्यादा समय (सोने के समय को छोड़कर) तक भूखा नहीं रखा जाना चाहिए।
भोजन का त्याग कर देना धातु क्षय या शरीर के ऊतकों के क्षय का कारण बनता है और आपकी (खासकर पित्त प्रधान लोगों में) पाचक अग्नि को भी कम कर देता है। जो गंभीर पाचन की समस्या को उत्पन्न करता है। इसलिए, भोजन को नियमित लेना आवश्यक है और वही खायें जो शरीर आसानी से पचा सके। परंतु अगर आप पेट में कुछ भारीपन महसूस कर रहे हों तो आपके लिए एक या दो समय का भोजन त्याग लाभकारी हो सकता है।
डॉक्टर दादी के उपचार
अम्लपित्त या एसिडिटी की समस्या से निपटने के लिए अस्थायी समाधान चुनने के बजाय, बेहतर है कि आप कुछ सरल घरेलू उपचार करें। प्राकृतिक उपचार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता और इसका अधिक लम्बे समय तक प्रभाव भी रहता है।
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सौंफ का चूर्ण, मुलेठी का चूर्ण, तुलसी की पत्तियां, और धनिया के बीज, सबको समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण का आधा चम्मच, आधे चम्मच पिसी मिश्री के साथ दोपहर और रात के खाने से 15 मिनट पहले लें।
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मिश्री, सौंफ और छोटी इलायची को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। जब भी आपको पेट में जलन महसूस हो, इस चूर्ण का एक चम्मच आधा कप ठंडे दूध के साथ लें।
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सोते समय पानी के साथ ईसबगोल की भूसी 2-3 चम्मच लेने से पेट को साफ रखने में तथा पित्त के विरेचन में मदद मिलती है।
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दोपहर और रात के खाने के बाद गुड़ का एक छोटा सा टुकड़ा लेकर खाएं। अगर अम्लता रहती है तो इसे दोबारा ले सकते हैं।
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एक बोतल में 2-3 चम्मच धनिया का पाउडर लें और इसमें एक कप उबला हुआ पानी डालें। रात भर इसको रखा रहने दें। सुबह एक कपड़े से इसे छान लें। इसमें एक चम्मच मिश्री मिलाकर पी लें।
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1 चम्मच जीरा आधा लीटर पानी में मिलाकर 3-5 मिनट तक उबाल लें। इस पानी को छान कर पी लें। इसे कई दिन लगातार लें।
टिप्पणीः
इन नुस्खों को अपनाने के लिये आप स्वयं जिम्मेदार होंगे। ध्यान रखें, नुस्खों को दवाइयों की जगह पर नहीं लिया जा सकता है। अगर आपकी समस्या में कोई सुधार न दिख रहा हो तो किसी कुशल चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।