जब तक शरीर रुपी गाड़ी का पाचन तंत्र ठीक से काम करता रहेगा, तब तक सभी अंग इस से मिलने वाली ऊर्जा से ठीक काम करते रहेंगे और जीवन हमेशा खुशियों भरा रहेगा।
पाचन प्रणाली को सक्रिय, स्वस्थ व सुचारु रूप से चलाने के लिये ताड़ासन, पादहस्तासन, पश्चिमोत्तानासन, वज्रासन, सुप्त वज्रासन, शशांकासन, भुजंगासन, शलभासन, नौलि, उड्डयान बन्ध काफी लाभदायक हैं।
आसनों की श्रृंखला में आज प्रस्तुत है- शशांकासन
विधि
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आसन बिछा, घुटनों को मोड़ कर एड़ियों पर वज्रासन की स्थिति में बैठ जायें।
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कमर, गर्दन, सिर सीधे रखें।
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बाज़ू सीधे, हाथ घुटनों पर।
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श्वास भरते हुये बाज़ू सीधे कानों को पास ले जायें।
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हथेली सामने की ओर रखें।
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श्वास छोड़ते हुये व बाज़ू सीधी रखते हुये कमर से आगे ज़मीन की तरफ झुकें।
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बाजू समानान्तर रखते हुये हथेलियां व मस्तक के ज़मीन पर टिका दें।
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इस स्थिति में कुछ देर रुकें व श्वास भरते हुये बाज़ू वापिस ऊपर कानों के पास ले जायें।
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श्वास छोड़ते हुये हाथ घुटनों पर टिका दें। 3-4 बार दोहरायें।
लाभ
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आंतें, लीवर, अग्नयाश्य प्रभावित होते हैं।
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फेफडों के लिए लाभदायक।
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हृदय रोगियों के लिए उपयोगी।
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मन को शान्त कर तनाव दूर करता है।
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अस्थमा रोगियों के लिए लाभदायक।
सावधानियां
- श्वास छोड़ते हुये आगे झुकें व श्वास भरते उठें। नितंब एड़ियों के मध्य टिके रहें।
विशेष
- मासिक धर्म के दिनों में योगाभ्यास न करें।
नोट
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योगाभ्यास शुरु करने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर योग्य योगशिक्षक की देख-रेख में ही अभ्यास करें।
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योगाभ्यास के अतिक्ति पेड़ पौधों का रख-रखाव, पशु-पक्षियों की देखभाल व सुरक्षा तथा संयमित जीवन जीने से मिलने वाली आन्तरिक खुशी व सन्तुष्टि से विचारों में आई सकारात्मकता से भी बुद्धि व पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है व प्रकृति विरुद्ध आहार-विहार से पाचन तन्त्र गड़बड़ा जाता है।