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उरोबस्ती

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पिछले कुछ वर्षो में जितनी तेजी से आधुनिक चिकित्सा पर आधारित हृदय रोग उपचार केन्द्र खुले हैं रोगी भी उतने ही बढ़े हैं, काम नहीं हुए। जानिए क्या आयुर्वेद से उरोबस्ति सहायक हो सकती है?

हृदय रोग बढ़ते जा रहे हैं और इसका उपचार भी बेहद महंगा है। ऐसे मामलों में उरोबस्ती बहुत किफायती और रोग की रोकथाम करने वाला उपचार है। संस्कृत में उरो का अर्थ है, छाती और बस्ती का मतलब होता है; जिसमें कुछ रखा जाए (container)। इस तरह उरोबस्ती, हृदय का तेल से किया जाने वाला उपचार है। इसमें आयुर्वेदिक तेल को गरम करके या फिर ताजा हर्बल काढ़ा बना कर हृदय और इसके आसपास डाला जाता है।

यह ऐसे काम करता है

आयुर्वेद में तेल को वात दोषों के प्रमुख उपचार में से एक है। यह वात दोष के कारण होने वाले ज्यादातर हृदय रोगों के उपचार में प्रमुख भूमिका निभाता है। गरम तेल को छाती पर हृदय के आसपास के हिस्से पर स्थिर रखा जाता है। ऐसा करने से यह त्वचा के रोम छिद्रों से होता हुआ गहराई तक हृदय के ऊतकों तक पहुंचता है। हृदय के आवरण को चिकनाहट प्रदान करता है, हृदय की कोशिकाओं को पोषण देता है और बढ़े हुए वात दोष को शांत करता है। बार-बार ऐसा करने से हृदय के ऊतकों में नई शक्ति का संचार होता है और ओजस भी मजबूत होता है।

विधि:

  • जिस व्यक्ति को उरोबस्ती उपचार दिया जाता है, उसे मालिश करने वाली टेबल, द्रोणी पर लिटा देते हैं।

  • काले चने या गेहूं के आटे को गूंथ लिया जाता है। फिर इससे छाती पर हृदय के चारों ओर 4-5 इंच व्यास का एक घेरा बना दिया जाता है।

  • कुछ पानी या चिपचिपा पदार्थ लगा कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि औषधीय तेल इससे बाहर न बहे। अब इसके अंदर धीरे-धीरे गुनगुना औषधीय तेल या हर्बल काढ़ा डाला जाता है। ठंडा हो जाने पर इसे हटा कर, नया तेल या काढ़ा भरा जाता है।

  • इस विधि के अंत में गुंथे हुए आटे को भी हटा दिया जाता है और उस हिस्से पर हल्की मालिश की जाती है। इसके बाद व्यक्ति कोे कुछ समय तक आराम करने की सलाह दी जाती है।

उरोबस्ती के लाभ

  • हृदय के दर्द को दूर करता है।

  • हृदय के ऊतकों को ऊर्जा प्रदान करता है और हृदय के संकुचन (cardiac contractions) को बेहतर करता है।

  • हृदय को पोषण मिलने के साथ-साथ पम्पिंग बेहतर होती है।

  • मानसिक तनाव के कारण हृदय पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है।

  • हृदय को सामान्य रूप से स्वस्थ करता है और विशेष प्रकार के हृदय रोगों से बचाव करता है।

सावधानियां

  • बुखार, खांसी, अस्थमा और हिचकियों के दौरान उरोबस्ती नहीं करना चाहिए।

  • फेफड़ों में पानी भरा होने पर भी यह उपचार नहीं करना चाहिए।

  • उपचार का समय, चिकित्सक के परामर्श/मार्गदर्शन अनुसार निश्चित किया जाना चाहिए।

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