बढ़ा हुआ साइनस न केवल दीर्घकालिक सिरदर्द, चक्कर और माइग्रेन जैसी परेशानियों का कारण है, बल्कि इसके कारण तनाव, व्याकुलता और अन्य दिमागी समस्याएँ भी शुरू हो जाती हैं। हमारे चिकित्सकों ने आयुर्वेद के अनुसार सुबह की जाने वाली क्रियाओं की एक श्रृंखला तैयार की है, जिसे दिनचर्या कहा जाता है। इन्ही क्रियाओं में से एक है - जल नेति।
जल नेति एक अतुल्य और बेहद ही आसान प्रक्रिया है, जो कि साइनस को साफ़ कर नाक की नली में जमा गंदगी और श्लेष्म को हटा देती है। साथ ही, यह अश्रु नलिकाओं को साफ़ करके तंत्रिका-तंत्र को पुनः बल देती है।
जल नेति शब्द की उत्पत्ति आयुर्वेदिक शब्द 'नेति' से हुई है, जिसका अर्थ है - नाक को स्वच्छ रखने की प्रक्रिया। और जब नेति को जल के साथ किया जाता है, उसे जल नेति कहते हैं। यह एक यौगिक तकनीक है, जो जमा साइनस को साफ करती है। जल नेति एक आसान अभ्यास है, जो कि दाँतों को ब्रश करने की तरह ही दैनिक आधार पर किया जा सकता है। इसका उद्देश्य नाक की नली से गले तक के रस्ते को साफ़ रखना है।
इसे करने के लिए आपको एक नेति मटका, हल्का गर्म पानी और एक चुटकी सादा नमक चाहिए।
अब अपना सिर एक तरफ झुकाकर सिंक पर खड़े हो जाइए और नेति मटके से पानी अपनी नाक की एक तरफ की नली में डालिये। मुँह से सांस लीजिये और पानी को नाक के एक छेद से दूसरे छेद की तरफ बहने दीजिये। ध्यान रखें कि पानी का तापमान सहनीय होना चाहिए।
साइनसिटिस, जमी हुई नाक और गंभीर सिरदर्द के उचित उपचार के लिए जीवा आयुर्वेद में आकर डॉक्टर से आज ही सलाह लें।
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